कृषिमध्य प्रदेश

पाले से फसलो के बचाव के लिए किसानों को कृषि वैज्ञानिकों ने दी सलाह

बर्फीली हवाओं के ठिठुरन गलन से जनजीवन प्रभावित
रिपोर्टर : शिवलाल यादव
रायसेन । जिले में जारी बर्फ़ीली हवाओं की ठिठुरन गलन से जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। मौसम विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी अनुसार प्रदेश के कई जिलों में रात्रि का तापमान तेजी से कम होने की संभावना बताई जा रही है। तापमान में होने वाली इस गिरावट का असर खासकर दलहनी/तिलहनी एवं सब्जी वाली फसलों पर पाले के रूप में होने की आशंका रहती है। जिसके दृष्टिगत उप संचालक कृषि एनपी सुमन वरिष्ठ वैज्ञानिक नकतरा कृषि विज्ञान केंद्र के डॉक्टर स्वप्निल दुबे ने जिले के विभागीय अधिकारियों को समस्त मैदानी अमला अपने-अपने क्षेत्र के किसानों से सतत् सम्पर्क स्थापित कर उन्हें पाले से बचाव की सलाह देने और ग्रामीण स्तर पर ढोड़ी पिटवाकर सभी किसानों को सचेत करने के निर्देश दिए गए हैं।
उप संचालक कृषि सुमन द्वारा सभी विभागीय अधिकारियों को क्षेत्र में सघन भ्रमण कर फसलों की स्थिति पर नजर रखने के लिए कहा गया है। जिले के सभी मैदानी अमला, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी एवं ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों को पाले से बचाव के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए उपायों के व्यापक प्रचार-प्रसार करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
पाले से बचाव के लिए किसानों को रात्रि में विशेषकर खेत की मेढ़ों पर कचरा तथा खरपतवार आदि जलाकर धुंआ करने की सलाह दी गई है, जिससे धुएं की परत फसलों के ऊपर आच्छादित हो जाए। शुष्क भूमि में पाला पड़ने का जोखिम अधिक होता है, अतः फसलों में स्प्रिंकलर के माध्यम से हल्की सिंचाई करना चाहिए। थायो यूरिया की 500 ग्राम मात्रा का एक हजार लीटर पानी में घोल बनाकर 15-15 दिन के अंतर से छिड़काव भी पाले के विरूद्ध उपयोगी उपाय है। इसके अतिरिक्त 8 से 10 किलोग्राम सल्फर डस्ट प्रति एकड़ का भुरकाव अथवा घुलनशील सल्फर 300 ग्राम प्रति 300 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करना भी पाले के विरूद्ध कारगर उपाय है।

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