मध्य प्रदेश

ब्राह्मण भवन में भगवान परशुराम जयंती को लेकर बैठक सम्पन्न

रिपोर्टर : नीलेश पटेल
उदयपुरा । भगवान परशुराम जयंती की तैयारियों को लेकर शनिवार को बैठक सम्पन्न हुई।
इस साल भगवान परशुराम जयंती 22 अप्रैल शनिवार को मनाई जा रही है। मान्यता है इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। भगवान परशुराम विष्णु भगवान के छठे अवतार हैं।इस दिन लोग उपवास करते हैं और बाह्मण लोगों के द्वारा विशेष पूजा अर्चना की जाती है और भगवान परशुराम जी की भव्य शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं।
जानते हैं परशुराम जयंती महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
परशुराम जयंती के दिन कैसे पूजा की जाती है।
परशुराम जयंती पर सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. अब स्वच्छ एवं साफ कपड़े पहन कर पूजा घर को गंगाजल से शुद्ध करें।
अब चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान परशुराम की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
भगवान परशुराम के चरणों में चावल, फूल और अन्य पूजा सामग्री चढ़ाएं।
फल का भोग लगाकर धूप दीप करके परशुराम जी की आरती करें।
परशुराम जयंती महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठें अवतार थे. इन्होंनें ब्राह्मणों और ऋषियों पर होने वाले अत्याचारों का अंत करने के लिए ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के यहां जन्म लिया था. मान्यता है कि परशुराम जयंती पर व्रत और पूजन करने से पुत्र प्राप्ति होती है. इसके साथ ही इस दिन पूजा आराधना से . भगवान परशुराम के साथ विष्णु जी की कृपा भी प्राप्त होती है।
भगवान शिव ने दिया था दिव्य
परशुराम जी भगवान शिव के भक्त थे. उन्होंने अपनी कठोर तपस्या से भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया था. उनके तप से प्रसन्न होकर महादेव ने उनको अपना दिव्य अस्त्र परशु यानी फरसा प्रदान किया था. वे हमेशा शिव जी का वह परशु धारण किए रहते थे, जिस वजह से उनको परशुराम कहा जाने लगा. वे अस्त्र शस्त्र में बहुत ही निपुण थे।
बैठक में जयनारायण शर्मा, बब्लेश दुबे, शिवम् शर्मा, गोलू शर्मा, कुलदीप शर्मा आदि सम्मिलित हुए।

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