भागवत कथा: श्रीकृष्ण सुदामा की मित्रता की सुनाई कथा, जीवन का बताया महत्व
उमरियापान के बड़ी माई मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा, बड़ी संख्या में कथा सुनने पहुँचे श्रद्धालु
रिपोर्टर : सतीश चौरसिया
उमरियापान ।।उमरियापान के बड़ी माई मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में रविवार को श्रीकृष्ण- सुदामा की मित्रता की कथा सुनाई गई।कथा व्यास श्रीज्ञान जी महाराज ने सातवें दिन कृष्ण सुदामा की मित्रता की कथा सुनाते हुए बताया कि किस प्रकार एक निर्धन गरीब सुदामा बचपन से ही कृष्ण का मित्र बन गया। जिसने आजीवन गरीबी बिताई। अपनी पत्नी सुशीला के कहने पर अपने बचपन के मित्र से मिलने चला गया। द्वारिका पहुंचने पर कृष्ण ने अपने मित्र के सारे संकटों को दूर कर दिया।उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भी कृष्ण सुदामा जैसी मित्रता की आवश्यकता है। कथा के बीच बीच में गाए गए भजनों पर महिलाओं ने नृत्य किया।भागवत कथा के दौरान श्रीकृष्ण- रुक्मिणी और सुदामा की जीवांत झांकी सजाई गई।कथा व्यास ज्ञानजी महाराज ने बताया तीन मुट्ठी चावल के बदले कृष्ण ने तीन लोकों का राज्य देने का मन बना लिया था। इसका तात्पर्य है कि मित्रता में एक दूसरे का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें कोई छोटा बड़ा नहीं होता। सत्ता पाकर व्यक्ति को घमंड नहीं करना चाहिए। बल्कि उसे श्रीकृष्ण जैसा विनम्रता एवं उदारता का आचरण अपनाना चाहिए। जो इंसान श्रीकृष्ण के जैसा आचरण अपना लेता है। वह संसार के मोह माया से पूरी तरह त्याग कर देता है। उन्होंने बताया कि जब सुदामा अपने मित्र श्रीकृष्ण से मिलने के लिए पहुंचे उन्होंने दौड़कर सुदामा के चरण पकड़ लिए और उनका आशीर्वाद लेकर अपनी राजगद्दी पर बैठाया। इसके अलावा भगवान के गोलोकधाम जाने की कथा सुनाई।इस मौके पर कथा सुनकर श्रद्धालु भाव भिवोर हो उठे।इस दौरान कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं बड़ी माई मंदिर पहुँचे।




