कृषिमध्य प्रदेश

महादेवी स्व- सहायता समूह कछारगांव बड़ा में दलालों के द्वारा चलाई जा रही खरीदी

रिपोर्टर : सतीश चौरसिया
उमरियापान | धान खरीदी केंद्र महादेवी स्व सहायता समूह कछारगांव बड़ा में दलालो के माध्यम से खरीदी चलाई जा रही हैं। गुप्त सूत्रों से जानकारी लगी हैं कि जमकर कमीशन भी चालू हैं। जहां शासन की मंशा हैं कि महिलाओ को आगे बढ़ाया जाए पर दलालों के द्वारा समूह का सहारा लेकर अपनी रोटियां सेकी जा रही हैं। स्व- सहायता समूह की महिलाएं केंद्र से रहती हैं नदारत, इसलिए सरकार की प्राथमिकता महिलाओ को आगे बढ़ाने वाली, आगे नहीं बढ़ पाती हैं क्यूंकि दलालों के द्वारा नोट कमाकर अपनी जेब गर्म कर ली जाती हैं और जब घटी निकलती हैं तो दलाल कह देते हैं हम नहीं जानते बेचारी स्व- सहायता समूह की महिलाएं अत्यधिक जागरुक नहीं होती। खामियांजा यह भुगतना पड़ता हैं कि दुबारा स्व- सहायता समूह को खरीदी नहीं मिल पाती। कृषि को एक ओर शासन जहां लाभ का धंधा बनाने के लिये जतन कर रही है वहीं दूसरी ओर सरकारी नुमाईदें शासन की मंशा पर पानी फिरने का काम कर रहे है और हर वर्ष की बार इस वर्ष भी धान उर्पाजन केन्द्र में किसानों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है और बिना कमीशन के धान का उर्पाजन करवाना किसी युद्ध जीतने से कम नहीं है। लिहाजा इनके द्वारा नियमों को रौंदकर पहले व्यापारी से धान की खरीदी की जा रही है और प्रत्येक क्विटल का 100 रूपये कमीशन लिया जाता है। वहीं सूत्रों ने यह भी बताया कि तुलाई वारदाने की सिलाई एवं स्केटिंग के नाम पर 40 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से भी वसूली की जाती है। जबकि शासन द्वारा बोरा पलटने, वजन करने सिलाई करने तथा छल्ली लगाने के लिये भी सरकार द्वारा हम्माल नियुक्त करने की व्यवस्था की जाती है। शासन द्वारा सूजा, सुतली और रंग के लिये पैसा मुहैया कराया जाता है लेकिन जिम्मेदार इसमें गोलमाल कर रहे है और किसानों को इसकी जानकारी नहीं देते है।वहीं विभागीय सूत्रों ने बताया कि जिम्मेदारो के द्वारा किसानों से ही सारा खर्चा कराकर अपने करीबियों को ही रिकार्ड में हम्माल बताकर सारी हम्माली खुद ही चट कर जाते है। शासन द्वारा प्रति बोरा 40.760 किग्रा भर्ती प्रावधान किया गया है लेकिन महादेवी स्व- सहायता समूह कछारगांव बड़ा उर्पाजन केन्द्र में 41.200 किग्रा से 41.700 किग्रा तक लिया जा रहा है। हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं है तथाकथित अधिकारियों के आदेश के बाद ही धान की गुणवत्ता को ताक पर रखकर खरीदी की जा रही है।

Related Articles

Back to top button