मध्य प्रदेश

महावीर जयंती परंपरागत रूप से मनाई गई

ब्यूरो चीफ: शब्बीर अहमद
बेगमगंज । महावीर जयंती नगर सहित सुल्तानगंज में परंपरागत रूप से मनाई गई दिगंबर बड़ा जैन मंदिर से प्रातः काल श्रीजी की शोभायात्रा निकाली गई जिसमें कुछ झांकियां भी सजाई गई थी विभिन्न स्थानों पर लोगों ने विमान को कांधा देकर श्री जी की आरती उतारी। महावीर जयंती को लेकर पूरे नगर को झंडे, बैनर स्वागत द्वार से सजाया गया था। महावीर जयंती की शोभायात्रा में जहां समाज बंधुओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया वही क्षेत्रीय विधायक ठाकुर रामपाल सिंह राजपूत, पूर्व विधायक देवेंद्र पटेल, नगर पालिका अध्यक्ष संदीप लोधी, जनपद अध्यक्ष प्रतिनिधि पुष्पेंद्र सिंह ठाकुर, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व महामंत्री राजेंद्र सिंह तोमर सहित अनेकों जनप्रतिनिधि शोभायात्रा में शामिल हुए और जुलूस का स्वागत किया। शोभायात्रा में दुलदुल घोड़ी, बैंड पार्टी एवं सेवादल के भैया बहनों ने बेहतरीन प्रस्तुतियां दी झांकी के माध्यम से भी लोगों को सत्य अहिंसा के मार्ग पर चलने का संदेश दिया गया।
सत्य, अहिंसा और त्याग की शिक्षा देने वाले जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर महावीर जी की जयंती के अवसर पर विधायक रामपाल सिंह ने बेगमगंज और सुल्तानगंज में महावीर जी की भव्य शोभायात्रा में सम्मिलित होकर आशीर्वाद प्राप्त किया और समस्त जैन समाज के स्वजातीय बंधुओं को शुभकामनाएं प्रेषित की।
श्रीजी की शोभायात्रा बड़ा दिगंबर जैन मंदिर से शुरू होकर गांधी बाजार, पुराना बस स्टैंड, सागर रोड, नया बस स्टैंड, फर्सी रोड से होकर हदाईपुर मंदिर पहुंची जहां समाज बंधुओं ने विशेष आरती की उसके बाद श्रीजी की शोभायात्रा वापस बड़ा दिगंबर जैन मंदिर पहुंचकर समाप्त हुई। जहां पर अभिषेक शांतिधारा आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए।
तत्पश्चात आचार्य जी के प्रवचन हुए जिसमें बताया गया कि महावीर स्वामी, जैन धर्म के 24वें और आखिरी तीर्थंकर थे, जो 540 ईसा. पूर्व, भारत में बिहार के एक राजसी परिवार में जन्में थे। यह माना जाता है कि, उनके जन्म के दौरान सभी लोग खुश और समृद्धि से परिपूर्ण थे, इसीलिए इन्हे वर्धमान के नाम से भी जाना जाता है। ये राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के घर पैदा हुए थे। यह माना जाता है कि, उनके जन्म के समय से ही इनकी माता को इनके बारे में अद्भुत सपने आने शुरु हो गए थे कि, ये या तो ये सम्राट बनेगें या फिर तीर्थांकार। उनके जन्म के बाद इन्द्रदेव द्वारा इन्हें स्वर्ग के दूध से तीर्थांकार के रुप में अनुष्ठान पूर्वक स्नान कराया गया था। उन्होंने 30 वर्ष की आयु में धार्मिक जागरुकता की खोज के लिए घर त्याग दिया था और 12 वर्ष व 6 महीने के गहरे ध्यान के माध्यम से इन्हें कैवल्य अर्थात् ज्ञान प्राप्त करने में सफलता प्राप्त हुई थी। इन्होंने पूरे भारत वर्ष में यात्रा करना शुरु कर दिया और लोगों को सत्य, असत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह की शिक्षा देते हुए 30 वर्षों तक लगातार यात्रा की। 72 वर्ष की आयु में इन्होंने निर्वाण को प्राप्त किया और जैन धर्म के महान तीर्थांकारों में से एक बन गए, जिसके कारण आज इन्हें जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है।
शोभायात्रा में विशेष रूप से उक्त के अलावा जैन समाज के जिला अध्यक्ष पुष्पेंद्र जैन नगर अध्यक्ष अक्षय जैन सर्राफ, पूर्व नपाध्यक्ष शिखर चंद जैन, महेंद्र जैन, विमल जैन, जिनेश जैन, मुकेश जैन सर्राफ, नपा उपाध्यक्ष सुदर्शन घोसी, पार्षद अजय जैन, प्रवीण जैन, बृजेश लोधी, राजकुमार जैन प्रिंस, संतोष जैन, निक्की जैन, चिंटू जैन मयंक सिंघई, प्रदीप जैन, शैलेंद्र अलंकार, कमल कुमार जैन, विकी जैन समेत अनेक लोग व्यवस्थाएं करते नजर आए।

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