मां ने सामने टेडी को नहलाकर सुखाया, मां चली गई तो दो बच्चियां भी छोटी बहन को नहलाने लगीं, बच्ची डूबी तो घबराकर ढक्कन लगा दिया

बच्चों के सामने कुछ भी करने से पहले सोचिये क्योंकि भोलेपन में ऐसा भी हो सकता है
रिपोर्टर : नीलेश पटेल
सोहागपुर । बच्चे भोले होते हैं उनके सामने कुछ भी करने से जरूर सोचे। बच्चे जो सुनते और देखते वह भी वही करते है। ऐसा ही एक घटना शोभापुर में बीते दिनों 12 महीने की बच्ची की बाल्टी में डूबने मौत में देखने को मिली। जानकारी के अनुसार छीपा- सिलावट मोहल्ला निवासी फल विक्रेता आसिफ खान की पत्नी रुखसार ने बुधवार को अपनी दो बेटियों 4 साल और 6 साल के सामने टेडी (खिलौना) को नहलाकर धूप में सुखाने रख दिया। रुखसार खाना बनाने किचिन में चली गई। यह देखकर कुछ देर बाद दोनों बच्चियां भी खेल-खेल में अपनी छोटी बहन को टेडी की तरह नहलाने लगीं। बच्ची हाथ से छूटकर बाल्टी में डूब गई तो घबराकर बहनों ने ढक्कन बंद कर दिया। इस तरह नादानी में 2 महीने की मासूम की जान उसकी बहनों के हाथ से चली गई।
45 मिनट प्यार से पूछताछ की तो बच्चियों ने यह बताया
सुबह हम दोनों बहनें 4 साल और 6 साल घर में खेल रही थीं। अब्बू काम पर गए थे। सुबह हम टेडी बियर से खेल रहे थे। कुछ देर बाद टेडी बियर को अम्मी ने नहलाकर उसे धूप में सुखाने रख दिया। इसके बाद अम्मी खाना बनाने लगी। हमने सोचा कि टेडी की तरह बहन को भी नहला देते हैं। हम दोनों कमरे में पलंग पर सो रही छोटी बहन को उठाकर बाथरूम में ले गए। वहां उसे पानी से नहलाया। बाल्टी पानी से भरी थी। हम छोटी बहन को बाल्टी के किनारे पर बैठाकर नहला रहे थे। तभी वह फिसलकर बाल्टी में गिर गई। हमने उसे निकालने की कोशिश की, लेकिन नहीं निकाल सके। हम घबरा गए। सोचा- मां डटिंगी, इसलिए बाल्टी का ढक्कन लगा दिया।
(बच्चियों ने जैसा एसडीओपी मदनमोहन समर को बताया)
रोते हुए पिता बोले- बच्ची की एक तस्वीर भी नहीं
पिता आसिफ ने बताया उनकी शादी को 8 साल हो चुके हैं। 6 और 4 साल की दो बेटी हैं। दो माह पहले 22 जनवरी को तीसरी बेटी हुई थी। हम खुश थे कि बेटी स्वस्थ है। भाई के घर भी दो बेटियां हैं। बेटा-बेटी को लेकर हमारे घर में कोई फर्क नहीं है। मासूम बेटी की एक तस्वीर भी नहीं है। बच्ची की मां रुखसार बीमार है। अपनी दुधमुंही बच्ची को खोने का अहसास उसे सता रहा है।
7 साल तक के बच्चों पर केस दर्ज नहीं होता
पुलिस अधीक्षक डॉ. गुरकरन सिंह ने बताया अभी यह घटना प्रथम दृष्टि बच्चों के द्वारा खेल-खेल में होना सामने आ रहा है। अभी इस मामले में यह भी देखा जाएगा कि किसी और ने तो बच्चों को इस काम के लिए प्रेरित नहीं किया है। आईपीसी की धारा 82 के तहत 7 साल के कम उम्र के बच्चे अपराधी नहीं हो सकते हैं। उनके खिलाफ केस दर्ज नहीं होता है।
बच्चों को अकेला न छोड़ें
बाल कल्याण समिति सदस्य सुमन सिंह ने बताया घर में छोटे बच्चों को कभी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। बच्चे अपने आसपास के माहौल को बहुत जल्दी सीखते हैं। बच्चे खेलें तो घर का एक बड़ा सदस्य उनके पास ही रहे। बच्चों से बात करते रहें।
मामले में खात्मा लग सकता है
अधिवक्ता संघ अध्यक्ष केके थापक ने बताया कि 7 साल से कम उम्र के बच्चों पर केस दर्ज नहीं होता है जो अपराध शोभापुर में दर्ज हुआ है उस मामले में यदि कोई बड़ा व्यक्ति दोषी नहीं पाया गया तो फिर मामले में खात्मा लग सकता है।