सूरदास जयंती 2023 तिथि, महत्व, समय और ऐतिहासिक तथ्य
Astologar Gopi Ram : आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🙇🏻♂️ सूरदास जयंती 2023 तिथि, महत्व, समय और ऐतिहासिक तथ्य
🥏 HEADLINES
♦️ वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी पर सूरदास जयंती होती है.
♦️ सूरदास जी श्रीकृष्ण जी के परम भक्त माने जाते हैं.
♦️ 25 अप्रैल 2023 को उनका जन्मोत्सव मनाया जाएगा.
🧘🏻♂️ महान कवि और संगीतकार सूरदास के जन्म के उपलक्ष्य में इस वर्ष 25 अप्रैल को सूरदास जयंती मनाई जाएगी। संत अपनी कविताओं और गीतों के लिए काफी मश्हूर थे। इसके साथ ही वह अपनी भगवान कृष्ण की प्रति भक्ति को लेकर भी याद किए जाते है। वह सदैव उनकी स्तुति किया करते थे। श्री कृष्ण के भक्त और सूरदास के प्रशंसक वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सूरदास जयंती मनाते हैं। इस साल सूरदास जयंती 25 अप्रैल को मनाई जाएगी। श्री कृष्ण के सबसे बड़े भक्तों में सूरदास का नाम विशेष उल्लेख मिलता है। सूरदास, जो जन्म से ही नेत्रहीन थे, उन्होंने अपने इष्ट देवता की प्रशंसा में हजारों कविताओं/गीतों की रचना की थी। इसके साथ ही उनकी रचनाएं आज की पीढ़ी को भी प्रेरणा देती हैं। ऐसे ही कई तथ्यों के साथ हमने इस लेख को तैयार किया है जो इस लेख को पूर्ण करता है। कई बिंदूओं के साथ तैयार किया गया यह लेख हमने सूरदास जी के बारे में कई बातें बताता है। अगर सूरदास जयंती के बारे में सभी जानकारी पाना चाहतें है आचार्य श्री नीरज कुमार के इस लेख को पूरा पढ़ना ना भूलें।
🧘🏻♂️ सूरदास जयंती का समय
सूरदास जयंती शुरुआत और समापन समय इस प्रकार से है-
पंचमी तिथि प्रांरभ – अप्रैल 24, 2023 08:24 AM से
पंचमी तिथि समापन – अप्रैल 25, 2023 09:39 AM तक
☸️ सूरदास जयंती कब है?
साल 2023 में सूरदास जयंती 25 अप्रैल को मनाई जाएगी।सूरदास जयंती गौरवशाली आत्मा सूरदास के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। सूरदास जी जिन्हें अंधा माना जाता है लेकिन उन्हें उनके काम के लिए महिमामंडित किया गया था। सूरदास शब्द का अर्थ “सुरों का सेवक” है। वह अपने साहित्यिक कौशल के लिए जाने जाते हैं और वह अपनी कविताओं और गीत के लिए प्रसिद्ध हैं। कवि ने वात्सल्य रस को अपना योगदान दिया था। वह भगवान कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे। बचपन से ही उन्हें भगवान कृष्ण के लिए कविता, गायन और लेखन में गहरी रुचि थी। वे मुख्यतः ब्रज भाषा में लिखते थे जिसे वृन्दावन की मूल भाषा माना जाता है।संत सूरदास (1478-1581 सीई) एक महान कवि और संगीतकार थे। सूरदास जन्म से अंधे थे और इस वजह से उन्हें उनके परिवार द्वारा उपेक्षित किया गया था। परिणामस्वरूप, उन्होंने छह साल की छोटी उम्र में ही अपना घर छोड़ दिया और बहुत कम उम्र में ही भगवान कृष्ण की स्तुति करने लगे।
👉🏽 हम सूरदास जयंती क्यों मनाते हैं?
सूरदास अपने साहित्यिक कार्यों के व्यापक काम के लिए काफी प्रसिद्ध हुए। उनके गीतों और कविताओं को व्यापक रूप से लोगों द्वारा सराहा गया था।। वह भगवान कृष्ण के प्रबल अनुयायी थे और उन्होंने अपना जीवन अपने कृष्णा के लिए लेखन और गायन के लिए समर्पित कर दिया था। उनके गीत कृष्ण के जीवन के विभिन्न चरणों पर आधारित थे। संगीत और कविता के क्षेत्र में व्यक्तियों और प्रतिष्ठानों ने कविता और हिंदू धार्मिक संगीत में उनके अविश्वसनीय योगदान के लिए सूरदास जयंती पर महान कवि को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
💃🏻 सूरदास जयंती कैसे मनाई जाती है?
सूरदास जयंती मुख्य रूप से उत्तरी भारत में मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है और सूरदास के साथ-साथ इस दिन भगवान कृष्ण के लिए व्रत भी रखा जाता है।इस दिन ब्राह्मणों को भी भोजन कराने की परंपरा है। संगीत और कविता में रुचि रखने वाले लोग इस जयंती को बड़ी पूजा और भक्ति के साथ मनाते हैं। लोग उनके द्वारा लिखित पांडुलिपियों का जाप करते हैं और महान संत को याद करने के लिए इस दिन भजन और कीर्तन भी आयोजित किए जाते हैं। सूरदास जयंती वृंदावन और ब्रज में बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन को मनाने के लिए विभिन्न संगीत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, इस दिन कविता प्रतियोगिताओं के साथ-साथ वृंदावन में सूरदास जयंती के दिन कुछ विशेष कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। सूरदास जयंती के इस पावन अवसर पर ब्रज उत्साह और उमंग से भर जाता है और हर साल जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन के लिए विभिन्न प्रकार की संगीत प्रतियोगिताएं और संगीतमय रातें भी निर्धारित की जाती हैं।
🤷🏻♀️ सूरदास जयंती 2023 : महत्व
सूरदास को सूर सागर की लोकप्रिय रचना के लिए जाना जाता है। सूरसागर भगवान कृष्ण और राधा के प्रेमियों के रूप में वर्णन करते हैं। इसमें भगवान कृष्ण के लिए राधा और गोपी की लालसा भी शामिल है जब वह मौजूद नहीं थे। इसमें उनकी व्यक्तिगत भक्ति भी शामिल है, जो रामायण और महाभारत के प्रसंगों में भी दिखाई देती है। उनकी कविताएँ और गीत ब्रजभाषा में लिखे गए थे जो हिंदी भाषा की साहित्यिक बोलियों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने वल्लभ आचार्य की शिक्षाओं से अपनी प्रेरणा ली है, जिनसे वे 1510 में मिले थे। सूरदास के बारे में कई कहानियाँ हैं लेकिन सबसे प्रमुख उनके जन्म से अंधे होने की हैं। सूरदास जी भारत वर्ष के बहुत बड़े लेखक और कृष्ण भक्त है, यहीं कारण है जो हर साल सूरदास जी की जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है।