73% बच्चे और 55% गर्भवतियां एनीमिया का शिकार, किशोरियों में 7 साल के भीतर 14% तक बढ़ गई यह बीमारी
इस कारण से भी बढ़ रही मातृ और शिशु मृत्युदर
रिपोर्टर : शिवलाल यादव
रायसेन । सरकार के प्रयासों के बावजूद भी महिलाओं और किशोरियों में एनीमिया (खून की कमी) की बीमारी घटने की जगह बढ़ रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के मुताबिक जिले में 55 फीसदी गर्भवतियां इसी बीमारी से ग्रस्त हैं। जबकि 7 साल पहले की रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 में 40 फीसदी गर्भवतियां ही एनीमिया से पीड़ित थीं।
वहीं सामान्य महिलाओं में भी एनीमिया की बीमारी 7 साल में 10 फीसदी बढ़ी है। सीएमएचओ डॉ दिनेश खत्री यदि हम 15 से 19 वर्ष तक की किशोरियों की बात करें तो उनमें भी 14 फीसदी तक रक्त अल्पता की यह बीमारी बढ़ी है। महिलाओं में एनीमिया का सीधा असर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर पड़ रहा है क्योंकि हर साल करीब 8 फीसदी गर्भवतियों की मृत्यु एनीमिया के कारण ही होती है।
5 साल तक के बच्चों में 16% तक की वृद्धि….,
6 से 59 माह तक के 83.3 बच्चे एनीमिया का शिकार हैं। 7 साल पहले यह आंकड़ा 67.4 फीसदी था। यानी बच्चों में एनीमिया घटने की जगह 12 फीसदी और बढ़ गया। वहीं दस्तक अभियान के आंकड़ों के मुताबिक इनमें 557 बच्चे गंभीर एनीमिया के शिकार हैं, लेकिन हीमोग्लोबिन की जांच करने के बाद भी इन्हें अस्पतालों तक नहीं पहुंचाया जाता।
शरीर में आयरन की कमी से होता है एनीमिया…..
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनीता अतुलकर मेडिकल ऑफिसर डॉ दीपक गुप्ता ने बताया कि शरीर की कोशिकाओं को एक्टिव रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है और ऑक्सीजन को शरीर के अलग-अलग भागों में रेड ब्लड सेल्स में मौजूद हीमोग्लोबीन द्वारा पहुंचाया जाता है।
शरीर में आयरन की कमी से रेड ब्लड सेल्स और हीमोग्लोबीन बनने की क्रिया प्रभावित होती है। इससे सेल्स को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता जो कार्बोहाइड्रेट और वसा को जलाकर एनर्जी पैदा करने के लिए जरूरी है। जिससे बॉडी और ब्रेन की काम करने की क्षमता पर असर पड़ता है, इस स्थिति को एनीमिया कहते हैं।
एक्सपर्ट व्यू- सिर्फ आयरन की गोली देने से काम नहीं चलता
स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त संचालक डॉ. नीना गिडियन ने बताया कि महिलाओं में एनीमिया के कई कारण हैं। जैसे- पोषण आहार की कमी, गर्भवती माताओं के पेट में कीड़े, बवासीर, बार-बार बुखार या मलेरिया, टाइफाइड आदि। एनीमिया में सिर्फ आयरन की गोलियां देने से काम नहीं चलता, कारण भी पता होना जरूरी है, तभी महिला का ठीक तरह से इलाज हो सकेगा।