मध्य प्रदेश

राजा चन्द्रहास और रानी सति विषया के सती स्थल पर भरा मिठाई का मेला

ब्युरो चीफ : शब्बीर अहमद
बेगमगंज । नगर से सागर की ओर ग्राम बेरखेडी होते हुए मात्र 9 किमी दूर नेपाल से आए राजा सूर्य नरेश की नगरी कुन्तलपुर जिसका बिगड़ा नाम कोकलपुर में कार्तिक पूर्णिमा को रानी विषया के सती स्थल पर परम्परा अनुसार मेले का आयोजन किया गया। जहां दूर दराज से आए लोगों ने रानी विषया | देवी के सती स्थल पर पूजा अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं रखी तथा जिनकी मानोकामनाएं पूर्ण हो चुकी है उन्होंने भी यहा पर मिठाई का प्रसाद चढ़ा कर वितरित किया। राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता भी यहां पर पहुचे और पूजा अर्चना कर रानी से विजयी होने का आर्शीवाद प्राप्त किया।
वर्षो से तालाब के किनारे रानी सती विषया देवी का सिद्ध स्थान पर मेला भरता आ रहा है। इस मेले की विशेषता है कि यहा पर विक्टलों | मिठाई बिकने के लिए आती है और कोई भी व्यापारी बचा कर नहीं ले जाता शाम ढलने से पहले ही सारी मिठाई बिक जाती है मिठाई की कीमत भी कम होती है और उसे खाकर आज तक कोई भी बीमार नहीं हुआ है। किवदंती है कि यहा जिन्न आकर मिठाई खरीदकर खाते है। लोगों को रूहानी ताकतों का आभास होता है। लोगों की मान्यता है कि जिन्नात इंसानों के वेश में आकर मेले के अंदर मिठाई खरीद कर ले जाते हैं।
मेले में आसपास के ग्रामों के बुजुर्गो ने नृत्य करते हुए गीतों के माध्यम से राजा चन्द्रहास और रानी विषया देवी की प्रेम गाथा का वर्णन बड़े ही मार्मिक अदाज में किया जिसे सुनकर लोग पुरानी यादों में खो गए । रानी विषयादेवी के सती स्थल पर पूजा अर्चना करने जनप्रतिनिधियों में पूर्व विधायक देवेंद्र पटेल, जिला कांग्रेस महामंत्री राजेंद्र सिंह तोमर, जिला पंचायत सदस्य ठाकुर मोहित सिंह लोधी, जनपद सदस्य लोकेंद्र लोधी, कोकलपुर सरपंच विमलेश आदिवासी, बेरखेड़ी सरपंच सीमा चौधरी, सुमेर सरपंच भगवान सिंह सोलंकी,
सेट अनेकों जनप्रतिनिधि पहुंचे।
बेरखेड़ी पंचायत की सरपंच सीमा चौधरी ने यहां के ऐतेहासिक महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सती विषया देवी एवं राजा चन्द्रहास राजा सूर्य नरेश का इतिहास विश्राम सागर में सक्षिप्त रूप से एवं धार्मिक ग्रन्थ जैमिनी पुराण में अध्याय 41 से 62 विस्तार पूर्वक तक दिया हुआ है। महाभारत युद्ध के पूरा होने के बाद दिग्विजय यज्ञ का घोडा छोड़कर पाण्डुपुत्र देश भ्रमण पर निकले तो कुन्तलपुर के राजा चन्द्रहास ने उक्त घोड़ा पकड़ लिया। जिस पर पाण्डु पुत्र अर्जुन और राजा चन्द्रहास के बीच युद्ध की स्थिती निर्मित हो गई तब द्वारकाधीश श्री कृष्ण ने अपने दोनों भक्तों के बीच आकर मित्रता करवाई और साढ़े तीन दिन तक श्री कृष्ण यहा पर रूके फिर पाण्डु पुत्र राजा चन्द्रहास को भी साथ लेकर अन्य राजाओं को अपने अधीन करने निकल पड़े तब काशी के समीप हुए युद्ध में राजा चन्द्रहास वीर गति को पहुंच गए तो उनका पार्थिव शरीर जब कुन्तलपुर लाया गया तो रानी विषया ने अपने आप को सती कर लिया ।
क्या कहते है व्यापारी मेले में आए मिष्ठान विक्रेता नारायणप्रसाद नेमा, सुदामा नेमा, मदन नेमा, जगदीश नेमा ने बताया कि वे दस दस क्विंटल व अन्य करीब एक दर्जन व्यापारी करीब 80 क्विटल मिठाई लेकर आए थे सभी की सम्पूर्ण मिठाई बिकी कोई बचा कर नहीं ले गया। वे अपने पिता के साथ करीब 27 वर्षों से आ रहे है उससे पहले उनके पिता अपने पिता के साथ आते थे तब मनो मिठाई बिकती थी जो अब क्विटलों में बदल गई है।
मिठाई के अलावा श्रंगार सामान की हुई बिक्री- मेले में अन्य वस्तओं की दुकानें विशेष तौर पर महिलाओं के श्रंगार की दुकानों पर जमकर बिक्री हुई दूर दराज ग्रामों से मेला देखने अपने परिवार के साथ आई महिलाओं ने श्रंगार सामग्री की खरीदारी जमकर की। मेले में जन प्रतिनिधियों के अलावा राजनेतिक पार्टियों भाजपा, कांग्रेस, सपा, व निर्दलीय दलों के कार्यकर्ता भी पहुंचे और उन्होने सती स्थल पर माथा टेककर प्रसाद चढ़ाया।
मेले में अधिकतर युगल जोड़े हुए शामिल :- मेले में अधिकतर युगल जोड़े अथवा युवा भारी संख्या में सती स्थल पर पहुंचकर अपनी मनोकामनाएं रखते है क्योंकि राजा चन्द्रहास और सती विषया की प्रेम स्थली के रूप में भी लोग इसे देखते है और मन चाही मुरादे पाते है।
मेले के संबंध में कोकलपुर पंचायत के पूर्व सरपंच महेश गुर्जर ने बताया कि जन प्रतिनिधियों ने रानी सती विषया देवी के चबूतरे व उसके आसपास दो चबूतरे निर्मित करा दिए है जिससे काफी सुविधा हो गई है। पुरातत्व विभाग को इस प्राचीन स्थल की सुध लेना चाहिए यहां जगह जगह मूर्तिया बिखरी डली है इसे ऐतेहासिक गांव घोषित कर उनका संरक्षण करवाना चाहिए।

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