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कामदा एकादशी कल, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण का समय

Astologar Gopi Ram : आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🚩 कामदा एकादशी कल, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण का समय

हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास में दो एकादशी पड़ती है पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। वहीं, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी माना जाता है। इसके साथ ही ये एकादशी हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। पद्म पुराण के अनुसार, कामदा एकादशी के व्रत करने से व्यक्ति को हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि, खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है। जानिए आचार्य श्री गोपी राम से कामदा एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण का समय।
✴️ कामदा एकादशी 2023 कब है?
🔹 चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ- 31 मार्च, शुक्रवार को रात 1 बजकर 58 मिनट पर
🔹 चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आरंभ- 1 अप्रैल को रात 4 बजकर 19 मिनट पर तक
🔹 तिथि- कामदा एकादशी का व्रत 1 अप्रैल 2023 को रखा जा रहा है।
💧 कामदा एकादशी व्रत पारण समय
कामदा एकादशी व्रत पारण समय – 2 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 40 से शाम 04 बजकर 10 मिनट तक
🗣️ कामदा एकादशी व्रत की कथा
हिंदू मान्यता के अनुसार जिस एकादशी व्रत की कथा कहने से साधक को भगवान श्री विष्णु पर पूरी कृपा बरसती है वो कुछ इस प्रकार है. मान्यता है कि रत्नपुर नाम के एक राज्य में पुण्डरीक नाम का राजा राज्य करता था, जिसके राज्य में सभी लोग सुख-शांति से रहा करते थे. एक दिन उनके दरबार में जब एक गंधर्व गाते-गाते अपनी पत्नी की याद में खो गया और सुर बिगड़ गए तो राजा ने उसे राक्षस होने का श्राप दे दिया।
☸️ व्रत के पुण्य फल से दूर हुआ श्राप
इस घटना से गंधर्व की पत्नी बहुत दु:खी हुई और वह श्रृंगी ऋषि के आश्रम पहुंची. उसने श्रृंगी ऋषि से अपने पति की श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा. तब श्रंगी ऋषि ने उसे चैत्र शुक्ल पक्ष की उस एकादशी तिथि का व्रत करने को कहा, जिसे विधि-विधान से करने पर साधक की सभी कामनाएं शीघ्र ही पूरी हो जाती हैं. मान्यता है कि इसके बाद गंधर्व की पत्नी इस व्रत को पूरी आस्था और विश्वास के साथ किया, जिसके पुण्यफल से गंधर्व को राक्षस योनि से मुक्ति मिल गई।

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