ज्योतिष

Aaj ka Panchang आज का पंचांग शुक्रवार, 06 जनवरी 2023

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
शुक्रवार 06 जनवरी 2023

ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
🌸 06 जनवरी 2023 दिन शुक्रवार को पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। आज स्नान-दानादि एवं व्रतादि की पौष पूर्णिमा है। आज दक्षिण भारत में अरुद्रदर्शन का विधान है। आज जैन लोगों का पुष्याभिषेक यात्रा है।।
🌌 दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
🔮 शुभ विक्रम संवत्-2079, शक संवत्-1944, हिजरी सन्-1443, ईस्वी सन्-2022
🌐 संवत्सर नाम-राक्षस
✡️ शक संवत 1944 (शुभकृत् संवत्सर)
☸️ काली सम्वत 5123
☣️ अयन- उत्तरायण
🌦️ ऋतु – सौर शिशिर ऋतु
🌤️ मास – पौष मास
🌔 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📆 तिथि – पूर्णिमा 27:12 PM बजे तक उपरान्त प्रतिपदा तिथि है।
✏️ तिथि स्वामी – पूर्णिमा के देवता हैं चंद्रमा। इस तिथि में चंद्रदेव की पूजा करने से मनुष्‍य का सभी जगह आधिपत्य हो जाता है।
💫 नक्षत्र : आर्द्रा – 12:14 ए एम, जनवरी 07 तक
🪐 नक्षत्र स्वामी – इस नक्षत्र का स्वामी राहु है राशि स्वामी बुध है।
📣 योग – ब्रह्म 08:14 AM तक उपरान्त ऐन्द्र योग है।
प्रथम करण : विष्टि – 03:24 पी एम तक
द्वितीय करण : बव – 04:37 ए एम, जनवरी 07 तक
⚜️ दिशाशूल – शुक्रवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो दही खाकर यात्रा कर सकते है।
🔥 गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
🤖 राहुकाल (अशुभ) – सुबह 10:06 बजे से 12:00 बजे तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदय – प्रातः 06:45:38
🌅 सूर्यास्त – सायं 17:15:32
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 05:26 ए एम से 06:20 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 05:53 ए एम से 07:15 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 12:06 पी एम से 12:48 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:11 पी एम से 02:52 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 05:36 पी एम से 06:04 पी एम
🎆 सायाह्न सन्ध्या : 05:39 पी एम से 07:00 पी एम
💧 अमृत काल : 01:04 पी एम से 02:51 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:00 पी एम से 12:54 ए एम, जनवरी 07
सर्वार्थ सिद्धि योग : 12:14 ए एम, जनवरी 07 से 07:15 ए एम, जनवरी 07
🚕 यात्रा शकुन-शुक्रवार को मीठा दही खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏻 आज का मंत्र-ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-गूलर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – पूर्णिमा (व्रत,स्नान-दान)/शाकंभरी जयंती/माघ स्नान प्रारंभ, शाकंभरी देवी नवरात्र समाप्त, पत्रकार दिन (महाराष्ट्र), वर्षगांठ: पहला मराठी अखबार दर्पण (1832), बाना सिंह – (परमवीर चक्र से सम्मानित) जन्म दिवस, कपिल देव, (भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान) जन्म दिवस, ए आर रहमान, (ऑस्कर विजेता भारतीय संगीतकार) जन्म दिवस, राजनीतिज्ञ- जयराम ठाकुर जन्म दिवस, प्रसिद्ध कवि – त्यागराज पुण्य तिथि, ग़ुलाम मोहम्मद शाह पुण्य तिथि, अभिनेता ओमपुरी स्मृति दिवस, शाकंभरी पुर्णिमा, पुष्याभिषेक यात्रा, माघ मेला आरंभ, पूर्णिमा समाप्ति उ. रात्रि 04.37
✍🏼 विशेष – पूर्णिमा को घी एवं प्रतिपदा को कुष्मांड खाना एवं दान करना दोनों वर्जित बताया गया है। पूर्णिमा तिथि एक सौम्य और पुष्टिदा तिथि मानी जाती है। इसके देवता चन्द्रमा हैं तथा यह पूर्णा नाम से विख्यात है। यह शुक्ल पक्ष में ही होती है और पूर्ण शुभ फलदायी मानी गयी है।
🗼 Vastu tips 🗽
नकारात्‍मकता या वास्‍तु दोष होने के लक्षण
कई लोगों को बिना किसी कारण के नौकरी में तरक्‍की न मिले, व्‍यापार में घाटा हो और इसके बाद भी व्‍यक्ति कोई साहसिक कदम न उठा पाए तो यह भी वास्‍तु दोष का लक्षण है. वास्‍तु दोष व्‍यक्ति के साहस-आत्‍मविश्‍वास पर बुरा असर डालता है।
हमेशा बीमार रहना भी वास्‍तु दोष की निशानी हो सकती है. घर के सदस्‍यों का अक्‍सर बीमार रहना वास्‍तु दोष का लक्षण है।
तमाम कोशिशों के बाद भी घर में पैसा न टिकना, आय न बढ़ता, तरक्‍की न होना वास्‍तु दोष का लक्षण है. ऐसे लोगों के हाथ आए अवसर भी निकल जाते हैं।
बार-बार धन हानि होना या आर्थिक स्थिति में बार-बार उतार-चढ़ाव आना भी वास्‍तु दोष का संकेत है।
घर में हमेशा कलह होना, बेवजह लोगों में चिड़चिड़ाहट होने के पीछे वास्‍तु दोष के कारण पैदा हुई नकारात्‍मक ऊर्जा हो सकती है. घर के लोगों की आपस में न बनना।
जिंदगी जीने का उत्‍साह कम होना, हमेशा निराशा या उदासी से घिरे रहना भी वास्‍तु दोष का लक्षण है।
🔰 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
धनिया क्यों फायदेमंद होता है ?
हरे ताजे धनिया की पत्तियां लगभग 20 ग्राम और उसमें चुटकी भर कपूर मिला कर पीसकर रस छान लें। इस रस की दो बूंदें नाक के छिद्रों में दोनों तरफ टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर हल्का-हल्का मलने से नाक से निकलने वाला खून, जिसे नकसीर भी कहा जाता है, तुरंत बंद हो जाता है।
थोड़ा-सा ताजा हरा धनिया कुचलकर कर पानी में उबाल कर ठंडा होने के बाद मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें। इसकी दो बूंदें आंखों में टपकाने से आंखों में जलन, दर्द तथा आंख से पानी गिरना जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
धनिया महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी समस्याओं को भी दूर करता है। यदि मासिक धर्म साधारण से ज्यादा हो, तो आधा लीटर पानी में लगभग 6 ग्राम धनिया के बीज डालकर खौलाएं और इसमें शक्कर डालकर पिएं, फायदा होगा।
धनिया को मधुमेह नाशी माना जाता है। इसके सेवन से खून में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है। धनिया त्वचा के लिए भी फायदेमंद है।
🩸 आरोग्य संजीवनी 💊
पेट में कीड़े होने पर करें अनार का सेवन
अनार के फायदे से पेट के कीड़ों को खत्म कर सकते हैं। इसके लिए 50 ग्राम अनार की जड़ की छाल, पलाश बीज 6 ग्राम, और वायविडंग 10 ग्राम लें। सबको कूटकर 1.25 लीटर पानी में धीमी आग पर पकाएं। जब पानी आधा रह जाए, तो उसे उतारकर ठंडा करके छान लें। इसे 50 मिली की मात्रा में आधा-आधा घंटे के अंतर से पिलाएं। इसके प्रयोग से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
अनार के पत्तों को छाया में सुखाकर महीन पीस लें। इसे छान लें। इसे 3-6 ग्राम की मात्रा में सुबह छाछ के साथ, या ताजे पानी के साथ पिएं। इसके प्रयोग से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
पेट के कीड़े को खत्म करने के लिए 10 ग्राम अनार के पेड़ की जड़ की छाल, 6 ग्राम वायविडंग, और 6 ग्राम इद्र जौ को कूटकर काढ़ा बना लें। इसका सेवन करने से पेट में कीड़े खत्म हो जाते हैं।
पेट में कीड़े से परेशान लोग ये तरीका भी आजमा सकते हैं। 20 ग्राम खट्टे अनार के छिलके, और 20 ग्राम शहतूत को 200 मिली पानी में उबाल लें। इसे पिलाने से भी पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
आचार्य श्री गोपी राम ने अपने शास्त्र में पूर्व जन्म के कर्म और उसके फल को लेकर दूसरे अध्याय में एक श्लोक लिखा है. आइए जानते हैं आचार्य श्री गोपी राम ने इसमें क्या बताया है…
भोज्यं भोजनशक्तिश्च रतिशक्तिर्वराङ्गना ।
विभवो दानशक्तिश्च नाल्पस्य तपसः फलम् ॥
शास्त्र के दूसरे अध्याय में वर्णित इस श्लोक में हम कहते हैं कि व्यक्ति को 5 चीजें पिछले जन्म पुण्यों के आधार पर मिलती हैं. इसमें सबसे पहला स्थान है अच्छे भोजन का. हमारे के मुताबिक वो लोग किस्मत वाले होते हैं जिन्हें अच्छा खाना मिल पाता है. यानी आपका दिल जिस चीज को खाने का करे और वो चीज मिल जाए तो उससे बड़ा सुख क्या होगा।
उत्तम खाना मिल जाना ही सुख नहीं है, अच्छे भोजन को पचा पाने की शक्ति का होना भी आवश्यक है जिसकी क्षमता सभी में नहीं होती. यह शक्ति उन्हीं लोगों को पास होती है जिन्होंने पूर्व के जन्मों में अच्छे कर्म किए होते हैं. सभी जानते हैं कि ज्यादा भोजन खतरनाक होता है. इसलिए भोजन को पचा पाने की शक्ति हो तो आनंद और बढ़ जाता है।
इस श्लोक में सुंदर और गुणवान स्त्री का भी जिक्र करते हैं. वो कहते हैं कि किस्मत वालों को ही सर्व गुण सम्पन्न और समझदार पत्नी मिलती है. वर्तमान संदर्भ में गुणवान पत्नी का मिलना पुण्य के फल से कम नहीं है. अपने जीवनसाथी का आदर करने वाले व्यक्ति को ही ऐसी कन्या प्राप्त होती है।
कहते हैं कि अच्छे काम शक्ति वाले मनुष्य में भाग्यशाली होते हैं. आचार्य श्री गोपी राम कहते हैं कि व्यक्ति काम के वश में नहीं होना चाहिए. काम के वश में रहने वाले व्यक्ति का विनाश जल्द हो जाता है।
धन के सही इस्तेमाल की जानकारी का होना भी खुशहाल जीवन के अत्यंत आवश्यक माना गया है. हम कहते हैं कि धनवान होने से ज्यादा जरूरी धन के इस्तेमाल की जानकारी होना है. यह गुण भी कर्मों के पुण्यों से ही प्राप्त होता है।
दान देने वाला स्वभाव भी बेहद कम लोगों में होता है और यह भी किसी पुण्य के फल से कम नहीं है. क्योंकि धरती पर धनवान लोगों की कमी नहीं है फिर भी भंडार भरा होने के बाद भी व्यक्ति दान के लिए हाथ आगे नहीं बढ़ा पाता. वहीं, गरीब व्यक्ति भी अपने गुजारे के धन में से जरूरतमंद को मदद कर देता है.हमारे कहने के मुताबिक ये गुण भी पूर्वजन्म के कर्मों से मिलता है।
●●●●★᭄ॐ नमः श्री हरि नम: ★᭄●●●●●
⚜️ वैदिक सनातन धर्म में हर मास की पूर्णिमा को कोई-न-कोई व्रत-त्यौहार होता ही है। जिनकी कुण्डली में चन्द्रमा की दशा चल रही हो उसे पूर्णिमा के दिन उपवास रखना अर्थात व्रत करना चाहिये। जिनके बच्चे कफ रोगी हों अर्थात सर्दी, जुकाम, खाँसी और निमोनियाँ समय-समय पर होती रहती हो उनकी माँ को वर्षपर्यन्त पूर्णिमा का व्रत करना और चन्द्रोदय के बाद चंद्रार्घ्य देकर व्रत तोड़ना चाहिये।
पूर्णिमा माता लक्ष्मी को विशेष प्रिय होती है। इसलिये आज के दिन महालक्ष्मी की विधिवत पूजा करने से मनोवान्छित कामनाओं की सिद्धि होती है। पूर्णिमा को शिवलिंग पर शहद, कच्चा दूध, बिल्वपत्र, शमीपत्र, फुल तथा फलादि चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। पूर्णिमा को शिव पूजन में सफ़ेद चन्दन में केशर घिसकर शिवलिंग पर चढ़ाने से घर के पारिवारिक एवं आन्तरिक कलह और अशान्ति दूर होती है।
जिस व्यक्ति का जन्म पूर्णिमा तिथि को होता है, वह व्यक्ति पूर्ण चन्द्र की तरह आकर्षक और मोहक व्यक्तित्व का स्वामी होता है। इनकी बुद्धि उच्च स्तर की होती है। ऐसे जातक अच्छे खान पान के शौकीन होते हैं तथा ये सदा ही अपने कर्म में जुटे रहते हैं। ऐसे लोग अत्यधिक परिश्रमी होते हैं और इसी वजह से धनवान भी होते हैं। परन्तु इनमें एक बहुत बड़ी कमी ये होती है, कि ये सदैव परायी स्त्रियों पर मोहित रहते हैं।

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