ज्योतिष

Aaj ka Panchang आज का पंचांग सोमवार, 17 अप्रैल 2023

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
सोमवार 17 अप्रैल 2023

महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
☄️ दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।
सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।
सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।
जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।
सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन
🌐 संवत्सर नाम अनला
🔯 शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)
☸️ काली सम्वत् 5124
🕉️ संवत्सर (उत्तर) पिंगल
☣️ आयन – उत्तरायण
☀️ ऋतु – सौर वसंत ऋतु
🌤️ मास – बैशाख मास
🌖 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – द्वादशी 15.46 तक तत्पश्चात त्रियोदशी
✏️ तिथि का स्वामी – द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री विष्णु जी और त्रियोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी है।
💫 नक्षत्र : पूर्व भाद्रपद – 02:28 ए एम, अप्रैल 18 तक
🪐 नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अजैकपाद तथा स्वामी देवगुरू बृहस्पति हैं।
🔊 योग( – ब्रह्म 21.07 PM तक तत्पश्चात इंद्र
प्रथम करण : तैतिल – 03:46 पी एम तक
द्वितीय करण – गर – 02:35 ए एम, अप्रैल 18 तक
🔥 गुलिक काल : – सोमवार का अशुभ गुलिक काल -दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
⚜️ दिशाशूल – सोमवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दर्पण देखकर, दूध पीकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल -सुबह -7:30 से 9:00 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदय – प्रातः 05:54
🌅 सूर्यास्त – सायं 18:48
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:25 ए एम से 05:10 ए एम
🌅 प्रातः सन्ध्या : 04:47 ए एम से 05:54 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:55 ए एम से 12:47 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:30 पी एम से 03:21 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 06:47 पी एम से 07:09 पी एम
🏙️ सायाह्न सन्ध्या : 06:48 पी एम से 07:54 पी एम
💧 अमृत काल : 07:01 पी एम से 08:30 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:58 पी एम से 12:43 ए एम, अप्रैल 18
🚓 यात्रा शकुन- मीठा दूध पीकर यात्रा करें।
👉🏽 आज का मंत्र-ॐ सौं सोमाय नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-शिवजी का दुग्धाभिषेक करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय- पलाश के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – सोम प्रदोष/व्यापार मुहूर्त, भारतीय आत्मज्ञानी संत आशारामजी बापू जन्म दिवस, भारत के द्वितीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन पुण्य तिथि, विश्व हीमोफिलिया दिवस, फ़ायर सर्विस सप्ताह,
✍🏼 विशेष – द्वादशी के दिन तुलसी तोड़ना निषिद्ध है। द्वादशी के दिन यात्रा नहीं करनी चाहिए, इस दिन यात्रा करने से धन हानि एवं असफलता की सम्भावना रहती है। द्वादशी के दिन मसूर का सेवन वर्जित है।
🗼 Vastu tips 🛕
नैत्रत्य दिशा में खिड़की और दरवाजे या तो बिलकुल भी ना हो और यदि हो तो ज्यादातर बंद ही रहने चाहिए ।
नैत्रत्य मुखी भवन में मुख्य द्वार दक्षिणी नैत्रत्य एवं पश्चिमी नैत्रत्य दोनों ही में अच्छे नहीं समझे जाते है क्योंकि यह शस्त्रु की दिशा मानी जाती है, इसलिए मुख्य द्वार इस दिशा में नहीं वरन पश्चिम वायव्य दिशा में बनाना चाहिए ।
इस दिशा में द्वार बहुत बड़ा नहीं वरन छोटा बनाना चाहिए और एक बड़ा द्वार ईशान कोण में भी जरूर बनाना चाहिए ।
नैत्रत्य मुखी भवन में शुक्ल पक्ष के किसी अच्छे मुहूर्त में शनिवार को संध्या के समय ताम्बे में बने राहु यंत्र को स्थापित करना चाहिए । इसे इस दिशा में जो भी कमरा हो उसके दाहिनी तरफ टांगना चाहिए अथवा किसी उचित जगह ताम्बे की किलों से ही लगाना चाहिए ।
नैत्रत्य मुखी भवन के सम्मुख भाग में चारदीवारी से मिलाकर ही निर्माण कराना चाहिए इस दिशा में कुछ भी खाली स्थान बिलकुल भी नहीं छोड़ना चाहिए ।
⏺️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
घर के झगड़े मिटाने और सुख-शांति पाने के उपाय
शनिदेव स्वयं कहते हैं कि ‘जो शनिवार को पीपल को स्पर्श करते है, उसको जल चढ़ाता है, उसके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उसको कोई पीड़ा नहीं होगी |’ ग्रहदोष और ग्रहबाधा जिनको भी लगी हो, वे अपने घर में 9 अंगुल चौड़ा और 9 अंगुल लम्बा कुमकुम का स्वस्तिक बना दें तो ग्रहबाधा की जो भी समस्याएँ है, दूर हो जायेगी |
स्नान के बाद पानी में देखते हुए ‘हरि ॐ शांति’ इस पावन मंत्र की एक माला करके वह पानी घर या जहाँ भी अशांति आदि हो, छिडक दे और थोडा बचाकर पी लें फिर देख लो तुम्हारा जीवन कितना परिवर्तित होता है |
🍃 आरोग्य संजीवनी ☘️
समस्त रोगनाशक उपाय
स्वास्थ्यप्राप्ति हेतु सिर पर हाथ रख के या संकल्प कर इस मंत्र का 108 बार उच्चारण करें :
अच्युतानन्तगोविन्दनामोच्चारणभेषजात् |
नश्यन्ति सकला रोगा: सत्यं सत्यं वदाम्यहम् ||
हे अच्च्युत ! हे अनंत ! हे गोविंद ! – इस नामोच्चारणरूप औषध से समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं, यह मैं सत्य कहता हूँ …. सत्य कहता हूँ |’
🌹 गुरु भक्ति योग 🌷
आचार्य श्री गोपी राम ने यह भी बताया गया है कि व्यक्ति किस तरह जीवन के संघर्ष को कम कर सकता है। हमनें अपनी नीतियों के माध्यम से अनगनित युवाओं का मार्गदर्शन किया था और आज भी हमारी नीतियों को सफलता की कुंजी के रूप में पढ़ा जाता है। हमनें यह भी बताया था कि व्यक्ति को अपने जीवन में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और पालन करना चाहिए। आइए जानते हैं-
त्यजेद्धर्म दयाहीनं विद्याहीनं गुरुं त्यजेत् ।
त्यजेत्क्रोधमुखी भार्या निःस्नेहान्बान्धवांस्यजेत् ।।
अर्थात- किसी भी धर्म में यदि दया भाव ना हो तो उसे शीघ्र अति शीघ्र त्याग देना चाहिए। इसके साथ व्यक्ति को विद्याहीन गुरु, क्रोधी और स्नेहहीन स्वाभाव के बंधुजनों को भी त्याग देना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि दया भाव न होने पर विनाश निश्चित हो जाता है। इसके साथ परिवार के सदस्यों में प्रेम ना होने पर व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा देखा जाता है कि जरूरत या विषम स्थिति में परिवार ही साथ देता है। लेकिन स्नेहहीन बंधुजनों से मदद की अपेक्षा तो दूर, सांत्वना भी नहीं मिलती है।
यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निर्घषणच्छेदन तापताडनैः ।
तथा चतुर्भिः पुरुष परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा ।।
अर्थात- जिस तरह सोने का परिक्षण घिसने, कटने, तापने और पीटने, इन चार चीजों से किया जाता है। इसी तरह व्यक्ति की परीक्षा उसके त्याग, शील, गुण और कर्म भाव से किया जाता है। इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य बता रहे हैं कि कि जिस तरह असली सोने को अपनी प्रमाणिकता देने के लिए कई प्रकार के जांच से गुजरना पड़ता है। ठीक उसी तरह एक श्रेष्ठ व्यक्ति को उसके स्वाभाव और त्याग के भाव से पहचाना जाता है और समय-समय पर उसकी परीक्षा ली जाती है। इसलिए हर व्यक्ति के स्वभाव में मधुरता और दया का भाव होना बहुत जरूरी है।
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⚜️ इस तिथि का नाम यशोबला भी है, क्योंकि इस दिन भगवान श्री विष्णु जी / भगवान श्रीकृष्ण जी का आंवले, इलाइची, पीले फूलो से पूजन करने से यश, बल और साहस की प्राप्ति होती है।
द्वादशी को श्री विष्णु जी की पूजा , अर्चना करने से मनुष्य को समस्त भौतिक सुखो और ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है, उसे समाज में सर्वत्र आदर मिलता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं निश्चय ही पूर्ण होती है।
द्वादशी तिथि के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यन्त श्रेयकर होता है।
द्वादशी के दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।
भगवान विष्णु के भक्त बुध ग्रह का जन्म भी द्वादशी तिथि के दिन माना जाता है। इस दिन विष्णु भगवान के पूजन से बुध ग्रह भी मजबूत होता है ।

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