जंगलों में पौधरोपण के बाद अब गड़बड़झाले पर उठने लगे सवाल, मामला आठ लाख पौधे रोपण का, सवालों के घेरे में पौधरोपण अभियान
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन। सामान्य वनमण्डल सर्किल रायसेन के अंतर्गत आने वाली आठों वनरेंजों में इस वित्तीय वर्ष में 8 लाख से ज्यादा पौधे रोपे जाना है। इस अभियान के लिए वन विभाग द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में वन महकमे के आला अफसरों वनकर्मियों को पौध रोपण अभियान के लिए ट्रेनिंग भी दी गई।
बताया जा रहा है कि जिन स्थानों पर वन विभाग के आला अधिकारियों सहित वन कर्मचारियों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। वहां रोपे गए थे उन पर सवाल उठने लगे हैं। उक्त सभी 8 वन रेंजों में पौधरोपण किया जाना निश्चित किया गया है। पश्चिमी वनरेंज के गोपीसुर सतकुण्डा में के जंगल में वन महकमे के अधिकारी कर्मचारियों के लिए एक दिवसीय ट्रेनिंग दी गई। यहां की 25 हजार हैक्टेयर भूमि पर 25 हजार पौधे रोपे गए हैं। पौधरोपण के लिए 25 हजार गड्ढ़ों का निर्माण वन विभाग द्वारा किया जाना है। इस ट्रेनिंग में सामान्य वनमण्डल रायसेन सर्किल के तहत आने वाले सभी 8 वन परिक्षेत्रों अधिकारियों सहित वन कर्मचारियों समेत मीडिया कर्मी मौजूद रहे।
वन महकमे के जिम्मेदार अधिकारी ने मीडिया से चर्चा करते हुए डीएफओ सामान्य रायसेन अजय कुमार पांडेय ने बताया कि गोपीसुर सतकुंडा में पौधरोपण के लिए 25 हजार गड्ढ़ों की खुदाई कराई गई है।इस साल 15 जून से मानसून दस्तक देगा। इससे पूर्व ही प्री-मानसून की धमाकेदार बारिश होने लगी थी।इसीलिए विभागीय स्तर पर हमने गोपीसुर सतकुंडा में प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा था। इस ट्रेनिंग में विभागीय अधिकारियों वन कर्मचारियों को प्रशिक्षण देकर रोपे गए पौधों की बच्चों की परवरिश के समान उनकी देखरेख सुरक्षा करें। हमने जिले की सभी 8 वनरेंजों के पौधरोपण इंचार्ज एसडीओ, रेंजर और डिप्टी रेंजर आदि शामिल हुए थे। रायसेन डिवीजन में इस साल 8 लाख पौधे रोपे जाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। ट्रेनिंग में वनरेंजरों, वन क्षेत्रपालों को पौध रोपण किस तरह किया जाना है इसकी जानकारी दी गई। पिछले साल जंगलों में रोपे गए पौधे मर गए थे या फिर सूख गए थे अथवा मवेशी खा गए थे। उन पौधों को बदलने का काम किया जाएगा।
रोपे जाने थे 25 हजार पौधे, रोपे 12 हजार गडढे खोदकर पौधे
खरबई वनरेंज के गोपीसुर सतकुंडा में विभागीय स्तर पर 25 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में 25 हजार गड्ढ़ों की खुदाई करने के बाद इतने ही पौधे रोपे जाने थे। लेकिन सिर्फ गड्ढ़े 12 हजार खुदाई के बाद पौधेरोपण किया जा सके। बाकी 13 हजार गड्ढ़ों के कागजी खानापूर्ति की गई। इस तरह खरबई के वन अमले की कागजी खानापूर्ति कर राशि गोलमाल करने की चर्चा जोरों पर है। इस गोलमाल के मामले में वन विभाग केअधिकारी बजाय जांच करवाने के खमोश बने हुए हैं।
कागजों पर पौध रोपण की बानगी उजागर….
हर साल निर्धारित पौध रोपण का वन विभाग के 8 वनरेंजों में शासन स्तर पर टारगेट तय किया जाता है। लेकिन निर्धारित लक्षय के आधा ही टारगेट पूरा हो पाता है। बाकी कागजों में ही वन अमला पौध रोपण को पूरा होना आंकड़ों की बाजीगरों में बता देते हैं। इसका ताजा उदाहरण जब सामने आया तब पश्चमी वनरेंज रायसेन के गोपीसुर सतकुंडा के जंगल में बजाय 25 हजार पौध रोपण कराने के सिर्फ 12 हजार गड्ढों में ही पौधे रोपे जा सके।
इस संबंध में अजय कुमार पांडेय डीएफओ सामान्य वनमण्डल रायसेन का कहना है कि मौके की जांच कराई जाएगी कि पश्चमी वनरेंज रायसेन के अगरिया गोपीसुर , सतकुंडा में 25 हजार हेक्टेयर भूमि में 25 हजार पौधे रोपे गए हैं अथवा नहीं। हमारे यहां जब प्लांटेशन होता है तो साल में दो बार मई और अक्टूबर महीने में इसका मूल्यांकन कराया जाता है। आशंका होने पर टीम भेजकर जांच करवा ली जाती है। हरियाली और खुशहाली के तहत पौधरोपण अभियान में लापरवाही बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।