मरीजों के हक की दूध रोटी खा रहा सिविल सर्जन का कुत्ता
विदिशा । अजब मध्य प्रदेश में गजब अधिकारी है रोज नए-नए किस्से सुनाने को मिलते हैं….जिला अस्पताल विदिशा का सिविल सर्जन डॉ. शिरीष रघुवंशी अपने पालतू कुत्ते का लालन पालन में मरीजों के हिस्से का दूध और रोटी खिला रहा था!
जिसे भ्रष्टाचार उन्मूलन संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने प्रदेश अध्यक्ष रवि साहू के नेतृत्व में रंगे हाथों पकड़ा। समिति के प्रदेश अध्यक्ष रवि साहू ने बताया कि जब से डॉ. शिरीष रघुवंशी विदिशा सिविल सर्जन पदस्थ हुए हैं तब से वह अपने शासकीय आवास में पल रहे कुत्ते को मरीजों को बंटने वाले दूध और रोटी खिला रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसको रंगे हाथों पकड़ने की तैयारी विगत एक सप्ताह से चल रही थी! जिला अस्पताल में बनी सरकारी मेस जिसमे मरीजों का खाना बनता है। वहां से लेकर सिविल सर्जन के आवास तक वीडियो बनाकर पूरी पुख्ता तैयारी की गई थी। इसके बाद समिति के कार्यकर्ताओं ने डॉ. शिरीष रघुवंशी के शासकीय आवास पर मेस में काम करने वाले उन दोनों कर्मचारियों को पकड़ा जो प्रतिदिन सिविल सर्जन के आवास पर मरीजों का दूध रोटी देने जाता था. कर्मचारी ने पूछताछ में बताया कि जब से साहब आए हैं तब से ही उनके कुत्ते के लिए दूध और रोटी उनके आवास लाने की ड्यूटी हमारी लगाई गई है!
इस मामले जब एसडीएम क्षितिज शर्मा को फोन लगाकर इस गंभीर मामले का पंचनामा बनाकर कार्यवाही करने की बात कही गई तो उनका साफ कहना था कि आपने जो कुछ भी किया है उसकी रिपोर्ट मुझे दे देना जबकि ज्ञात हो ठीक उसी समय विदिशा विधायक मुकेश टंडन अस्पताल का निरीक्षण कर रहे थे और मुश्किल से 500 मीटर की दूरी पर एसडीएम विधायक के साथ मौजूद थे। किंतु उन्होंने मौके पर आकर या किसी तहसीलदार को भेजने की जहमत तक नहीं उठाई।
इसके बाद समिति के सभी कार्यकर्ताओं ने जिला अस्पताल के ट्रामा सेन्टर के सामने बैठकर धरना दिया और जोरदार नारेवाजी कर सिविल सर्जन को बर्खास्त करने मांग की इसके बाद विदिशा विधायक मुकेश टंडन के अस्पताल परिसर में आने पर समिति के प्रदेश अध्यक्ष रवि साहू ने सिविल सर्जन के भ्रष्टाचार के कारनामे बताकर और मरीजों के हक का दूध रोटी कुत्ते को खिलाने के मामले शिकायत कर बर्खास्त करने की मांग की । विधायक मुकेश टंडन ने कहा कि उपरोक्त मामले में स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उचित कार्यवाही की अनुशंसा करेंगे। अब देखना है इस गंभीर मामले पर कार्रवाई होती है या पर्दा डाला जाता है..?