कृषिमध्य प्रदेश

राजस्व रिकॉर्ड में नहीं होगा उपयोग : रायसेन में प्रचलित उपनाम के कारण हजारों किसान हुए पीएम किसान योजना से वंचित, हो रहा सुधार

रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन ।
रायसेन जिले के राजस्व रिकॉर्ड खसरा- खतौनी में अब प्रचलित उपनामों का उपयोग नहीं किया जाएगा। राजस्व अधिकारियों की मानें तो हजारों भू-स्वामी के रिकार्ड में छोटी बहू, मझले भाई और बड़ी बहू के कारण पीएम किसान योजना से वंचित हो गए है। सम्मान निधि का फॉर्म भरते समय किसानों के जमीन संबंधी रिकार्डों की जांच की गई तो तरह-तरह के विचित्र नाम सामने आए। कई ऐसे भी प्रकरण सामने आए। जिसमें भू-स्वामी के नाम की जगह उनकी पहचान व उपनाम लिखा मिला। ऐसे में कलेक्टर अरविंद कुमार दुबे द्वारा शासन को जानकारी भेजी गई। शासन द्वारा मार्गदर्शन मिलने के बाद अब 1 नवंबर से 15 नवंबर तक खसरा सुधार अभियान चलाया जा रहा है।
हम आपको यह बता दें कि जिन खसरों में गड़बड़ी मिली है। ये सभी राजस्व रिकॉर्ड तीन से चार दशक पुराने हैं। दावा है कि उस समय लोगों को नाम के आधार पर नहीं, बल्कि प्रचलित उपनाम के आधार पर पुकारा जाता था। लेकिन अब डिजिटल जमाने में हर जगह आधार कार्ड की अनिवार्यता कर दी गई। ऐसे में पुराने उपनाम लोगों को सिरदर्द बन गए। बड़ी संख्या में लोगों के योजना से वंचित होने के कारण अंतत: भू-स्वामियों के प्रचलित नाम अब खसरे में नहीं दिखेंगे। भू-स्वामी नाम सुधार अभियान अंतर्गत खसरों में वहीं नाम दर्ज किए जा रहे हैं जो आधार कार्ड में हैं।
सम्मान निधि से वंचित हुए किसान….
यदि हम पटवारियों की मानें तो खसरे और आधार कार्ड में भू-स्वामी का अलग-अलग नाम होने से कई किसान सम्मान ​निधि से वंचित हो गए थे। जब शासनस्तर से समीक्षा की गई तो चौकाने वाले खुलासे हुए। जांच में पता चला कि योजना का लाभ उन्हीं किसानों को मिला है। जिनके नाम खसरे और आधार कार्ड में एक समान थे। दावा है कि पीएम किसान योजना शुरू होते ही कई भू-स्वामियों ने आधार कार्ड में दर्ज नाम अपने खसरे में सुधार करा लिए थे। अब जितने नाम सुधार के प्रकरण बचे हैं। उन्हें प्रशासन दुरुस्त करा रहा है।
2367 प्रकरण दर्ज हुए
रायसेन जिले की 9 तहसीलों में खसरा सुधार वाले 2367 प्रकरण सामने आए हैं। जिसमें भू-स्वामी के नाम सुधार के लिए 782 प्रकरण विभिन्न तहसीलों में दर्ज हैं। इनमें से 502 प्रकरणों में नाम सुधार की कार्यवाही पूर्ण कर ली है। जबकि 1147 प्रकरण सुधार के लिए बचे हैं। राजस्व अधिकारियों का प्रयास है कि 15 नवंबर तक खसरे में नाम सुधार की कार्रवाई पूर्ण कर ली जाए।

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