दशकों से पगडंडियों में चलने मजबूर ग्रामीण
उमरियापान से कुदवारी पीडब्ल्यूडी रोड का मामला
रिपोर्टर : सतीश चौरसिया, उमरिया पान
उमरियापान। बड़ी माई उमरियापान से लेकर कुदवारी को जोडऩे वाला मार्ग दशकों बाद भी नहीं बन सका है। बताया जाता है कि उक्त मार्ग की लम्बाई डेढ से दो किलोमीटर की है। यदि उक्त मार्ग बन जाये तो इस मार्ग से लगभग 10 से 15 गांव के ग्रामीणों का आवागमन असान हो सकता है। वर्तमान में ये सभी गांव के लोगों को घूमकर आना पड़ता और ये लोग बम्हनी होकर उमरियान आते है जिस कारण से ग्रामीणों को 5 से 6 किलो मीटर की अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि यदि उमरियापान से कुदवारी रोड का पक्का बन जाये तो जो 6 किलोमीटर का घुमाव कम होगा और आने जाने में असानी होगी।
उल्लेखनीय है कि यह सड़क पीडब्ल्यूडी के अंतर्गत है जिसका देखरेख का जिम्मा पीडब्ल्यूडी के पास है लेकिन दशकों बाद भी उक्त सड़क का निर्माण न होना प्रश्र चिन्ह खड़ा करता है। इस सड़क से जोडऩे वाले अधिकांश गांव में आदिवासी निवास करते है। वहीं संवाददाता को बताया गया कि उमरियापान पंचायत द्वारा बड़ी माई से नहर तक सीसी रोड बनवाई गई है लेकिन आगे पीडब्ल्यूडी की रोड है इस कारण से पंचायत निर्माण नहीं करा सकती है। समय-समय पर उमरियापान पंचायत द्वारा उक्त सड़क में मुरम आदि डलवाई जाती है। लिहाजा उपरोक्त सड़क को प्राथमिकता के साथ पीडब्ल्यूडी को बनवाया चाहिये। क्योंकि उक्त सड़क से लगभग 10 से 15 गांव के ग्रामीणों का आना-जाना है।
जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का नतीजा
दशकों बाद भी उक्त सड़क का निर्माण न होना स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को दर्शाता है। चूंकि वर्तमान समय में शासन द्वारा कई योजनाओं के तहत गांवों को मैन रोड से जोडऩे का क्रम जारी है। यदि इस संबंध में जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रयास किये जाते तो निश्चित ही उक्त सड़क का निर्माण हो जाता लेकिन मात्र वोट बैंक की राजनीति तक सभी दल सीमित है उन्हें विकास से कोई मतलब नहीं है। स्मरण रहे कि इस क्षेत्र से पूर्व मंत्री मोती कश्यप भी दो बार विधायक रह चुके है लेकिन उनके द्वारा भी कोई सुध नहीं ली गई है। उसका नतीजा यह है कि दशकों बाद भी ग्रामीण पगडडिंयों में चलने को मजबूर है ।