भाजपा कार्यकर्ताओं की आपसी अंतर्कलह बनी नगर में चर्चा का विषय

रिपोर्टर : संजय द्विवेदी गैरतगंज।
गैरतगंज। गैरतगंज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विगत कुछ महीनों से बुरीतरह अंदरूनी कलह से जूझ रही है चाहे पुराने भाजपाई हो जो सालो से भारतीय जनता पार्टी के पद अधिकारी रहे हो या अब नए भाजपाई हो जो कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए है पुराने भाजपा पद अधिकारी पहले ही प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से आमने सामने अपनी नाराजगी ज़ाहिर कर चुके है जिस का कोई फर्क पिछले सांची उपचुनाव में देखने को नही मिला कांग्रेस सरकार में शिक्षा मंत्री रहे डॉ प्रभुराम चौधरी के कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल होने से कई कांग्रेसीयो ने भाजपा की सदस्यता लेली और डॉ प्रभुराम चौधरी के साथ भाजपाई हो गए बाद सांची विधानसभा में हुए उपचुनाव में भाजपा से प्रत्याशी बन कर चुनावी मैदान में उतरे डॉ प्रभुराम चौधरी ने कांग्रेस प्रत्याशी मदन लाल को लगभग 67 हजार मतो से हरा दिया सांची विधानसभा सीट पर आए इस अचम्भित परिणाम को देख कर राजनीति के जानकारों ने भी दांतो ताले उंगलियां दबाली या यूँ कहे दवाना पड़ी क्योंकि यह मध्यप्रदेश अब तक हुए चुनावों में सबसे बड़े अंतर की जीतो में से थी।
उपचुवानो में आये परिणाम से कार्यकर्ताओं में कभी उत्साह था उसी उत्साह में चार चांद और लग गए जब डॉ प्रभुराम चौधरी को मध्यप्रदेश सरकार में स्वास्थ एंव परिवार कल्याण मंत्री बना दिया गया।
कुछ महीने सब ठीक ठाक चलता रहा लेकिन एक बार फिर से समय परिवर्तन हुआ जिस में पुराने भाजपाई और नए भाजपाइयों को साधने का प्रयास करते हुए नये मंड़ल अध्यक्षों की नियुक्ति की गई अब नियुक्ति के बाद से जो गैरतगंज भाजपा मंडल अध्यक्ष के साथी कहे जाने लगे थे वो अब बागी बनते नजर आ रहे है अभी कुछ दिन पहले एक समिति बनाई गई जिस में प्रशासन द्वारा समाज सेवियों, जनप्रतिनिधियों को उस समिति में लिया गया है।
समिति के सदस्यों के नामों का प्रकाशन होते ही नगर में फिर से भाजपाइयों की गुटवाजी खुल कर देखने को मिल रही है गुपचुप-गुपचुप बैठकों का दौर भी चल रही है जिस नये-पुराने भाजपा कार्यकर्ता अपने अपने तरीके से अपनी नाराज़गी जाहिर कर रहे है यह भी चर्चा है कि मंत्री जी पर दवाब बना रहे है कि हमे ना तो हमे उचित सम्मान ना ही स्थान मिल रहा है और मंत्री महोदय केवल कुछ विशेष व्यक्ति की सुन रहे है जिन का नगर सहित क्षेत्र भर में अच्छा खासा विरोध है।