मध्य प्रदेश

आवास की दरकार : किराए के आवासों में रह रहे पुलिसकर्मी, मौजूदा आवास पड़ रहे कम

नगर सहित क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था संभालने वाले पुलिसकर्मियों के लिए नहीं हैं आवास
सिलवानी।
नागरिकों की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहे पुलिस अधिकारी एवं आरक्षकों के लिए शासकीय आवास का अभाव नगर में बना हुआ है। कई बार पुलिसकर्मियों के लिए आवासों के निर्माण की कवायद करने के बाद भी निर्माण नहीं हो पाया है। जिसके परिणाम स्वरूप पुलिस अधिकारी आरक्षकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिससे सेवाएं भी प्रभावित होती हैं। पुलिसकर्मियों को किराए से ही भवन लेकर निवास करना पड़ रहा है। वर्तमान में सिलवानी थाना परिसर में कुछ आवास बने हैं, लेकिन पुलिस स्टाफ की दृष्टि से कम पड़ते हैं। आवास वर्षों पुराने होने के चलते अव्यवस्थित हो रहे हैं। आवासों के निर्माण न होने से पुलिसकर्मियों को परेशानियां हो रही हैं। सिलवानी थाना निर्माण के बाद स्टाफ एवं पुलिसकर्मियों की संख्या में इजाफा हुआ है। अधिकारियों सहित आरक्षकों को थानांतर्गत पदस्थ किया है, लेकिन आवासों की संख्या वही है। ऐसे में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पुलिस अधिकारी, कर्मचारियों को अपने परिवार को किराए पर भवन लेकर रहना पड़ रहा है।
थाना परिसर में हो सकता है आवासों का निर्माण
पुलिस क्वार्टर के निर्माण के लिए भूमि की कमी बताई जा रही है, लेकिन सिलवानी थाना परिसर भी लंबे रकबे में फैला हुआ है। इसमें कुछ पुलिस आवास बने हुए हैं। लेकिन थाना भवन के पीछे एवं बाजू से कई भूमि रिक्त पड़ी हुई है। यदि इन भूमि पर अतिरिक्त कुछ आवासों का निर्माण कर दिया जाए तो पुलिस अधिकारी और जवानों की यह समस्या हल हो सकती है। परिसर में आवासों के निर्माण को उपयुक्त माना जा रहा है। परिसर में आवासों का निर्माण किया जाता है तो पुलिसकर्मियों को थाने से दूर नहीं रहना होगा। पूर्व में थाने के नए भवन का निर्माण हो चुका है। ऐसी स्थिति में आवास के निर्माण पर भी विभाग को ध्यान देना चाहिए।
थाने में पदस्थ है बड़ा स्टाफ, लेकिन आवास काफी कम
थाने में टीआई, एसआई, एएसआई, महिला एसआई, प्रधान आरक्षक, एवं आरक्षक, महिला आरक्षक सहित पुलिसकर्मी पदस्थ हैं। जिनके रहने के लिए महज आधा दर्जन आवास हैं। जहां कुछ पुलिस कर्मी वर्तमान में निवासरत है। कई बार कोई घटना होने पर बाहर के पुलिसकर्मियों को सुरक्षा की दृष्टि से बुलाया जाता है, लेकिन थाने के पास उनके रहवास की कोई व्यवस्था नहीं होती। ऐसी स्थिति में उन्हें सामाजिक धर्मशाला, या स्कूल व शासकीय भवनों में रूकवाया जाता है। यदि आवासों के निर्माण होते हैं तो कुछ हद तक यह समस्या भी हल हो सकती है। वहीं एसडीओपी को राजस्व विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों के निर्मित आवास में निवास करना पड़ रहा है।

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