धार्मिकमध्य प्रदेश

रामकथा अमृत है, राम नाम इस भवसागर से पार ले जाने वाला: जगदगुरू

श्रीराम कथा पंचम समापन दिवस
सिलवानी।
नगर के हैलीपेड ग्राउंड पर चल रही पंच दिवसीय श्रीराम कथा के समापन अवसर पर कथा व्यास जगद्गुरु रामरूपाचार्य जी ने श्रद्धालुकों संबोधित करते हुए कहा हमें अपने देश को राष्ट्र को मजबूत बनाना है तो सब को संघटित रहने की आवाश्यकता है। मनुष्य को अपने बल, ऐश्वर्या, धन का कभी अभियान नहीं करना चाहिए बल्कि उस बल, धन और ऐश्वर्या और को हमें धर्म में लगाना चाहिए। जिससे मनुष्य धर्म का अनुकरण कर सके। इस कलिकाल में राम नाम इस भवसागर से पार ले जने वाला है इससे बड़ी कोई औषधी नहीं है। राम नाम अमृत है हमें आपने बच्चों को संस्कारवान बनाना चाहिए, देश की युवा पीड़ी को रामकथा क रसपान कराना चाहिए जिससे युवा पीड़ी धर्म शास्त्रों का अनुसरण कर सकें। जो संभव को असंभव करें वो भगवान है, कभी मनुष्य को धन का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। सच्चा धनवान वो है जो धर्म में धन लगा दे और धर्म का अनुसरण करें साथ ही धर्म की रक्षा करें। राम चरितमानस एक समग्र जीवन दर्शन है, इसका अनुशीलन करके मानव जीवन को उत्कृष्ट बना सकते हैं। शास्त्र के अनुसार जो ज्ञात है उसके अनुसार आचरण करना और दुष्टता को त्यागकर सज्जनता को स्वीकार करें, दंभ, अंहकार को त्यागकर धर्ममय आचरण करना मानव का धर्म है। श्रेष्ठ आचरण से आत्मचेतना जाग्रत होती है, परमात्मा की कृपा प्राप्त होती है। इसी प्रयत्न से जीवन यापन करना चाहिए, जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ती का भली भांति प्रयत्न करना चाहिए। मन, वचन से माता पिता की सेवा का संकल्प लेना चाहिए। जगत कल्याण और मानव कल्याण के साथ साथ राष्ट्रसेवा भी हमारा ध्येय होना चाहिए। हमारे लिए परमात्मा की विशेषकृपा का प्रत्यक्ष परिणाम यह है कि हमारा जन्म भारत भूमि में मानव योनि में हुआ है। भारत भूमि हमारी मातृभूमि है इससे बड़ा पुण्य अन्य कोई हो नहीं सकता। परमात्मा हमारे एकमात्र आश्रय हैं, उनका सदा चिंतन, ध्यान और भजन हमको उनके निकट ले जाता है। ईश्वर के मार्ग का अनुसरण करने वालों का संग करना श्रेष्ठ है, सतसंग की महिमा से हमारा चित्त पवित्र होता है, यह पहले प्रकार की भक्ति है, इसके बाद ही हम निर्मल मन से भगवान का चिंतन, स्मरण, मनन करते हुए उनको प्राप्त करते हैं। जीव की अंतिम अवस्था मोक्ष की अवधारणा का वर्णन करते हुए महाराज जी ने कहा कि जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति का लक्ष्य निर्धारण करके कार्य करना चाहिए। जब मानव अपने जीवन उद्देश्य से भटक जाता है, तो उसे कैसे जीवन यापन करना चाहिए यह ज्ञान कराने के लिए ही परमसत्ता का प्राकट्य होता है, प्रभु श्रीराम के द्वारा मर्यादायुक्त आचरण से हमें जीवनयापन करने की आर्दश शिक्षा प्राप्त होती है।
श्रीराम कथा मंच संचालक नगर खेरापति पंडित नरेश शास्त्री ने श्रद्धालुओं को रामकथा श्रवण कराते हुए कहा कि रामकथा को कहने, सुनने और कराने वाले परम सौभाग्यशाली होते हैं। उन्होंने कहा ईश्वर का स्मरण करने वाला जीव ताप संताप से मुक्त होकर सुखमय जीवन व्यतीत कर परम गति को प्राप्त होता है। शास्त्री ने कहा कि गंगा, नर्मदा तुलसी, और दान की बड़ी महिमा है। शास्त्रों में दान की बड़ी महिमा हैं, दान से कई विपत्तियां नष्ट हो जाती है। हमारे द्वारा लगाया गया धर्म के कर्म में दान का छोटा सा अंश भी लाखों विपत्तियां हर लेते है। देवताओं, धर्म, भंडारे में लगा हुआ दान एक यज्ञ के समान होता है। व्यक्ति को एक यज्ञ का पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए दान धर्म करते रहे ये धन हमारा नहीं है। हमारे धन में गाय, ब्राह्मण, देवताओ का अंश होता है। कभी भी दान धर्म करें श्रद्धा, भक्ति, हर्ष से करें, अतः दान स्वार्थ में न जाकर परमार्थ में लगाएं। उसका जीवन धन्य हो जाता है, अन्य दान, गाय दान, स्वर्णदान, भूमिदान आदि करने से व्यक्ति सीधा स्वर्ग लोग जाता है। आप के द्वारा किया गया दान मानव का कल्याण करता है। दान में बड़ी शक्ति है। जीवन अल्प है दान धर्म करते रहो साथ बस पुण्य, पाप जाएंगे, रामकथा ही मानव को भव से पर लगाएगी।
ब्रह्मचारी श्री 1008 मानस रत्न अशोक दास जी रामायणी ने कहा कि नर्मदा के दर्शन मात्र से लाखों पुण्य की प्राप्ति होती है और स्नान करने से करोड़ांे पुण्य की प्राप्ति होती है। पर व्यक्ति स्नान, पूजा करते समय, मन, भाव, भक्ति मय हो, गंगा जी नर्मदा जी में किसी की म्रत्यु होती है वह सीधा बैकुण्ड जाता है। जो गंगा में नित्य स्नान करता है वह श्री नारायण लोक में निवास करता है। तुलसी कभी बगैर स्नान करें न तोड़े, तुलसी की बड़ी महिमा है। तुलसी का पत्ता 7 दिन तक अशुद्ध नहीं होता मरते समय व्यक्ति के यदि मुंह में तुलसी चली जाए तो वह सीधा नारयण के चरणों मे स्थान पाता है। धर्म शास्त्र कहते है कि कभी भी बेटी का धन नहीं लेना चाहिये, जो व्यकि ऐसा करता है वह सीधा नर्क जाता है। यदि मनुष्य जन्म से मुक्ति प्राप्त करना है तो राम जी, हरि, राधे कृष्ण, भगवती किसी एक को इष्ट बनाकर निरन्तर नाम जपे मनुष्य जन्म से मुक्ति प्राप्त हो जाएगी। पुरुषों को सलिग्र राम भगवान की पूजन करना चाइये जितना पुण्य यज्ञ, वेद से पुण्य प्राप्त होते है। उतने सिर्फ सलिग्र राम जी की पूजन से हो जाते हैं। दान देने से पहले ये सोच ले की हमारे द्वारा दिया गया दान अन्न धन का सदुपयोग हो वहां ही दान करें। कथा के समपान अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण किया।
पूर्व विधायक ने कथा श्रवण कर जगद्गुरू से लिया आशीर्वाद
सिलवानी। नगर में चल रही पंच दिवसीय श्रीराम कथा में मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद जगद्गुरू स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज के पास पहुंचकर पूर्व विधायक व कांग्रेस जिलाध्यक्ष देवेन्द्र पटेल ने कार्यकर्ताओं के साथ आषीर्वाद लिया। जगद्गुरू के चरणों में शाल, श्रीफल भेंट किए और कथा का श्रवण किया।

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