धार्मिक

राम लक्ष्मण द्वारा वन में सीता माता की खोज और बाली सुग्रीव युद्ध में प्रभु श्री राम के बाण से बाली वध की लीला का मंचन

रिपोर्टर : शिवलाल यादव
रायसेन। रायसेन शहर में चल रही वार्षिक श्री राम लीला महोत्सव में सोमवार को श्री राम और लक्ष्मण माता सीता के वियोग में व्याकुल होकर वन वन उनकी खोज में भटकते हैं।बाद में बाली सुग्रीव महायुद्ध में प्रभु श्रीराम के हाथों धनुष से छोड़े गए बाण से छल कपट से बाली का वध कर देते हैं।रामलीला का मैदानी मंचन देखने के लिए मेला ग्राउंड में दर्शकों की भारी भीड़ जमा रही। खचाखच भरे दर्शकों की भीड़ से भरे मैदान ने मेले की वैभव नई ऊंचाइयां दीं।
रामलीला मेला संचालन समिति के प्रमुख पण्डित राजेन्द्र शुक्ला, रामलीला मेला समिति के कार्यवाहक अध्यक्ष ब्रजेश चतुर्वेदी, हल्ला महाराज, गंगा प्रसाद शर्मा मुन्ना महाराज ने बताया कि सोमवार को श्रीराम मेले में लंकापति रावण द्वारा साधु के वेश में छलकपट से सीता का हरण कर विमान से हरण कर अशोक वाटिका लंका में राक्षसों राष्शनियों के कड़े पहरे में कैद कर लेता है।माता जानकी के वियोग में व्याकुल होकर पंचवटी सहित वन वन में भटक कर सीता माता की खोज करने निकल पड़ते हैं। सीता माता की खोज करते हुए प्रभुराम भगवान लखन लाल भिलनी शबरी के आश्रम पहुंचते हैं।यहां राम भक्त भिलनी शबरी के जीवन का उद्धार कर उसके बताए गए रास्ते पर श्री राम लक्ष्मण किष्किंधा पर्वत पर वानर राज सुग्रीव से मित्रता हनुमानजी कराते हैं। इसके पूर्व पवनपुत्र हनुमान साधु वेष में श्री प्रभुराम से भेंट कर अपना परिचय देते हैं।प्रभुराम वानर सेना सहित किष्किंधा पर्वत पर रहने का कारण सुग्रीव से पूछते हैं।वानर राज सुग्रीव भगवान राम लखनलाल को उसके बड़े भ्राता बाली के अत्याचार की कहानी बताते हैं।तभी भगवान प्रभुराम सुग्रीव को बाली को युद्ध के लिए ललकारने का कहकर भेज देते हैं। महायुद्ध में बाली बल पराक्रम शौर्य ताकत से सुग्रीव को बुरी तरह मारपीट कर भगा देता है।तब भगवान श्रीराम सुग्रीव के गले में माला डालकर दोबारा युद्ध करने भेजते हैं।पेड़ की ओट में से छलकपट से धनुष से छोड़े गए बाण से बाली की छाती में मारकर वध कर देते हैं।तब श्रीराम बाली का मरते वक्त संवाद होता है।श्रीराम ने कहा छोटे भाई की पत्नी तारा को पत्नी बनाकर रखना और राजपाट पर कब्जा करने जैसी बात नीति के विरुद्ध है। इसीलिए मैंने तुम्हारा वध बुरेकर्मों की वजह से कर सुग्रीव को इंसाफ दिलाया है।वानर राज सुग्रीव को पंपापुरी का राज्य सिंघासन सौंपा। जहां सुग्रीव अपनी पत्नी तारा और बाली पुत्र अंगद सहित आराम से रहने लगे।

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