मानसून की बेरुखी : किसानों पर पड़ रही है एक-एक दिन भारी
सिलवानी। प्रदेश के कुछ जिलों व नगरों में झमाझम बारिश की खबरों ने भले ही समूचे सूबे को मानसून की सक्रियता से अवगत कराते हुए सामान्य बारिश की उम्मीदें बंधा दी हो, लेकिन कृषि-प्रधान सिलवानी तहसील का समूचा कृषक समाज अब भी आसमान की ओर टकटकी लगाए अपने देवी-देवताओं को मनाने में जुटा हुआ है। उल्लेखनीय है कि चंद दिनों पहले हुई मानसून पूर्व की छुटपुट सी बारिश को मानसूनी बारिश समझ बैठे स्थानीय जनजीवन को लगातार हताशा का सामना विगत कुछ दिनों से लगातार करते रहना पड़ रहा है तथा इस दौरान भयावह गर्मी और उमस ने हर उम्मीद को धराशाही बनाने का ही काम किया है। यही वजह है कि प्रदेश के कुछ हिस्सों में झमाझम बारिश की खबरों पर भी जनजीवन और किसानों को सहज भरोसा नहीं हो पा रहा है तथा सभी झमाझम बारिश को अपने आंगन में उतरते देखकर तृप्त हो लेने के बाद ही मानसूनी बारिश और ईश्वर की कृपा का धन्यवाद अदा करने का मानस बनाए बैठे हैं। फिलहाल, आसमान से लेकर हवाओं तक बारिश के आसार कोसों दूर बने हुए हैं। दो तीन बार थोड़े-बहुत बरसाती छींटे भी गर्म तवे की तरह दहकती अंचल की धरती पर पडकर उड़ चुके हैं तथापि एक-एक दिन गिनकर मौसम की खेंच की मार भोग रहे किसानों की हसरतों का यौवन पर आना अभी पूरी तरह से बांकी बना हुआ है।
बुवाई में देरी, उत्पादक हलकान सामान्यत: 30 जून से 15 जुलाई तक के समय को अंचल में खरीफ की फसलों की बुआई के लिए सर्वाधिक अनुकूल माना जाता रहा है, जिसकी शुरूआत गत दिनों से हो चुकी है। वही कुछ किसानों ने बारिश की पहली में क्रांति धान की बोबनी कर दी है। और मानसून लेट हो रहा है। ऐसे में बोवनी की तैयारियां पूरी किए बैठे किसान प्रक्रिया में अनचाही व अप्रत्याशित देरी की आशंकाओं के कारण परेशानी में नजर आ रहे हैं। सर्वाधिक परेशानी उन किसानों को है जो विगत वर्ष की तरह इस वर्ष भी ज्यादा पानी की जरूरत वाली धान की पैदावार करने के वाहिशमंद हैं तथा अब तक सिर पकड़े बैठे नजर आ रहे हैं। खेती-किसानी के जानकारों का कहना यह है कि मानसून की खेंच और बुआई में देरी के बावजूद अभी भी स्थिति नियंत्रण से पूरी तरह बाहर नहीं है। ऐसे में यदि अगला एक सप्ताह मानसूनी बारिश के नाम रहता है तो बुआई में देरी से उत्पन्न होने वाली क्षति की प्रतिपूर्ति संभव भी हो सकती है।
आम लोग भी कम चिंतित नहीं: तहसील के शहरी व ग्रामीण अंचल सहित वनांचल तक निवासरत आम जनजीवन की समस्याएं भी किसानों से कुछ कम नहीं हैं। सामान्यतः कृषि और कृषि आधारित व्यवसायों पर आधारित तहसील की अर्थव्यवस्था की स्थिति से परिचित आम जनजीवन को समुचित वर्षा, अल्पवर्षा और अवर्षा के परिणामों का आभास भी है तथापि इन दिनों सभी की परेशानी का केन्द्र वह भीषण गर्मी और उमस है, जो जनसामान्य को त्राहि-त्राहि करने पर विवश कर रही है। अच्छी बारिश नहीं हुई तो उन्हें मौजूदा दौर में उपलब्ध हो रही बिजली से भी दो-चार होना पड़ेगा।