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संघ रोटी और सूखी चटनी के माध्यम से एक-एक परिवार तक पहुंचा है…

राहुल गांधी ! संघ को समझना है तो संघ के पास आओ…
हरीश मिश्र
राहुल गांधी कहते हैैं ” उन्हें अपना घर बचाना था, इसलिए वे डर गए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ “जाॅइन” कर ली ” संघ ही एक मात्र संगठन है। जिसे कोई “जाॅइन” नहीं करता, ना ही “रिजाइन” देता है । राहुल जी ! इसलिए संघ को समझना है तो संघ के पास आओ। जो एक बार शाखा में आकर भगवा ध्वज को प्रणाम कर लेता है, गणवेश पहन लेता है ,वह जीवन भर के लिए स्वयंसेवक बन जाता है। स्वयंसेवक बनाने के लिए संघ से किसी को डरने की जरूरत नहीं है। बल्कि स्वयंसेवक के संस्कारों को प्रणाम करने का मन करता है। युद्ध काल हो या प्राकृतिक आपदा, स्वयंसेवक स्वत: स्फूर्त प्रेरणा से राष्ट्र कार्य में सबसे आगे रहते हैं। यही कारण है कि देश ही नहीं विश्व भर में संघ के प्रति श्रद्धा है, डर नहीं। आपकी दादी मां ने कहा था ” मैं सिर्फ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों को आपदा प्रभावित क्षेत्रों में काम करते देखती हूं- तो क्या आपकी दादी मां डर गई थी । नहीं राहुल जी ! आपकी दादी मां ने संघ के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की थी और आपने अपनी अपरिपक्वता का परिचय दिया है। मुझे मौला अली का एक संदेश याद आ रहा है ” साधारणतया लोग उस चीज के दुश्मन हो जाते हैं जिसे वह नहीं जानते।” आप भी ना संघ को जानते हैं… ना संघ की शक्ति को।
मैंने भारत के अनेक संगठनों के उत्थान और पतन का थोड़ा-बहुत अध्ययन किया है। संगठन का तात्पर्य परिवार नहीं होता। कांग्रेस संगठन एक परिवार से आगे नहीं सोचता। कांग्रेस एक खास “कल्चर” के लिए काम करती है। इसलिए परिवार की चमक फीकी पड़ते ही कांग्रेस की चमक कमज़ोर हो गई। 2024 में कांग्रेस को पुनः जिंदा करना है। तो नेतृत्व परिवार से बाहर सौंपना होगा।

  दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने स्थापना काल से समाज को संगठित करके राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाने के जिस उद्देश्य को लेकर आगे बढ़ा फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। हर पड़ाव,  हर संघर्ष के बाद संघ की शक्ति बढ़ी है।

कांग्रेस  और संघ में ये ही अंतर है। कांग्रेस एक परिवार तक सीमित है... कांग्रेस में बड़ा से बड़ा व्यक्ति परिवार की हां में हां मिला है। न जाने कितनी राष्ट्रीय प्रतिभाएं श्मशान तक पहुंच गई... लेकिन कांग्रेस उन प्रतिभाओं का राजनैतिक सम्मान नहीं दे सकी। जबकि संघ रोटी और सूखी चटनी के माध्यम से एक-एक परिवार तक पहुंचा। कांग्रेस एक "कल्चर" पोषित संगठन है । संघ संस्कारित शक्ति। दूर से देखने पर दृष्टि दोष के कारण वह नहीं देख पाते जो हम पास जाकर देख सकते हैं। जो भी संघ को समझना चाहता है। संघ के पास आइए। देखिए। अनुभव कीजिए जुड़िए । संघ समझ में आएगा।

लेखक : हरीश मिश्र रायसेन (दैनिक दिव्य घोष के सम्पादक है)

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