धार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग शुक्रवार, 16 मई 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
शुक्रवार 16 मई 2025
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
🌌 दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – उत्तरायण
☂️ ऋतु – सौर ग्रीष्म ऋतु
☀️ मास – ज्यैष्ठ मास
🌗 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – शुक्रवार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि 05:13 AM तक उपरांत पंचमी
✏️ तिथि स्वामी – चतुर्थी के देवता हैं शिवपुत्र गणेश। इस तिथि में भगवान गणेश का पूजन से सभी विघ्नों का नाश हो जाता है। यह खला तिथि हैं।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र मूल 04:07 PM तक उपरांत पूर्वाषाढ़ा
🪐 नक्षत्र स्वामी – मूल नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है.मूल नक्षत्र का देवता नैऋति माना गया है, जिसे प्रलयंकर शिव की संहार शक्ति के रूप में भी जाना जाता है।
⚜️ योग – सिद्ध योग 07:14 AM तक, उसके बाद साध्य योग
प्रथम करण : बव – 04:41 पी एम तक
द्वितीय करण : बालव – 05:13 ए एम, मई 17 तक कौलव
🔥 गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
⚜️ दिशाशूल – शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है।यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल -दिन – 11:13 से 12:35 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:23:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 06:37:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:06 ए एम से 04:48 ए एम
🌆 प्रातः सन्ध्या : 04:27 ए एम से 05:30 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:50 ए एम से 12:45 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 02:34 पी एम से 03:28 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:04 पी एम से 07:25 पी एम
🌃 सायाह्न सन्ध्या : 07:06 पी एम से 08:08 पी एम
💧 अमृत काल : 09:11 ए एम से 10:55 ए एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:57 पी एम से 12:38 ए एम, मई 17
🚓 यात्रा शकुन-शुक्रवार को मीठा दही खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-गणेश मंदिर में मीठी लस्सी चढ़ाएं।
🌳 वनस्पति तंत्र उपाय-गूलर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – श्री गणेश चतुर्थी व्रत (चंद्रोदय रात्रि 09:49 मि.)/मूल समाप्त/ अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश दिवस, शांतिपूर्वक साथ-साथ रहने का अंतर्राष्ट्रीय दिवस, राष्ट्रीय सम्मान हमारे LGBT बुजुर्गों दिवस, सिक्किम स्थापना दिवस, राष्ट्रीय डेंगू दिवस, भारतीय उद्योगपति रुस्तमजी होमसजी मोदी स्मृति दिवस, पूर्व विदेश मंत्री, भारत सरकार नटवर सिंह जन्म दिवस, संस्थापक-संपादक गुलशेर ख़ाँ शानी जन्म दिवस, प्रसिद्ध साहित्यकार गोपाल चंद्र प्रहराज पुण्य तिथि, भारतीय पत्रकार कमला पूर्णिया टेलर स्मृति दिवस, संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह (12 से 16 मई)
✍🏼 तिथि विशेष – चतुर्थी तिथि को मूली एवं पञ्चमी तिथि को बिल्वफल त्याज्य बताया गया है। इस चतुर्थी तिथि में तिल का दान और भक्षण दोनों त्याज्य होता है। इसलिए चतुर्थी तिथि को मूली और तिल एवं पञ्चमी को बिल्वफल नहीं खाना न ही दान करना चाहिए। चतुर्थी तिथि एक खल और हानिप्रद तिथि मानी जाती है। इस चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी हैं तथा यह चतुर्थी तिथि रिक्ता नाम से विख्यात मानी जाती है। यह चतुर्थी तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ तथा कृष्ण पक्ष में शुभफलदायिनी मानी गयी है।
🏘️ Vastu tips_ 🏚️
वास्तु शास्त्र में तुलसी के पौधे को अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वहां देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और घर के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। विशेष रूप से हर शाम तुलसी के पास घी का दीपक जलाने से न केवल घर की ऊर्जा शुद्ध होती है, बल्कि सौभाग्य और सुख-शांति भी आती है। यह परंपरा घर की महिलाओं द्वारा निभाई जाए तो इसका प्रभाव और भी शुभ माना जाता है।
पूजा स्थल में दीपक और कपूर का महत्व हर दिन अपने पूजा स्थल पर घी का दीपक जलाने की परंपरा सिर्फ एक धार्मिक अभ्यास नहीं, बल्कि ऊर्जा को संतुलित करने का एक तरीका है। शाम के समय कपूर जलाकर आरती करने से घर के कोनों में छिपी नकारात्मकता समाप्त होती है और एक नई, ताजगी भरी ऊर्जा का संचार होता है। यह उपाय घर के वातावरण को सात्त्विक बनाए रखने में बेहद कारगर है।
🎯 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
नारियल का बाहरी खोल यानी कि उसका मोटा और कठोर छिलका, पूरी तरह से वॉटरप्रूफ होता है। उसके अंदर एक और मजबूत परत होती है — जो सफेद रंग का गूदा होता है, जिसे हम खाते हैं। इन दोनों परतों के बीच, गहरे अंदर, एक हर्मेटिकली सील्ड चेंबर में वह अमृत-तुल्य पानी रहता है। बाहर से किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस, हवा, या नमी का उस पानी तक पहुंचना लगभग असंभव होता है। यही कारण है कि नारियल जब तक टूटा नहीं, तब तक उसका पानी एकदम सुरक्षित और ताज़ा बना रहता है।
👉 जैसे एक काँच की बोतल में बंद शहद खराब नहीं होता, वैसे ही नारियल का पानी भी खराब नहीं होता जब तक उसका “ढक्कन” यानी छिलका नहीं खुलता।
✅ दूसरा कारण: एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर तरल 🧬🧪
नारियल पानी केवल शुद्ध जल नहीं होता — उसमें होता है एक खास एंटीमाइक्रोबियल और एंटीऑक्सिडेंट गुणों वाला मिश्रण। यह पानी किसी भी बैक्टीरिया या फंगस को पनपने नहीं देता। इसमें उपस्थित लॉरिक एसिड, जो मां के दूध में भी पाया जाता है, बैक्टीरिया को खत्म करता है और संक्रमण से बचाता है। इसकी वजह से यह पानी एक प्रकार से स्वयं में एक जीवाणुनाशक बन जाता है।
🍃 आरोग्य संजीवनी ☘️
🔶 औषधियां और घरेलू उपाय 🌿
✅ त्रिफला चूर्ण + गर्म पानी रोज रात को खाने के बाद त्रिफला चूर्ण लेने से कब्ज दूर होती है और आंतें साफ रहती हैं, जिससे संक्रमण कम होता है।
✅ नीम, हल्दी, गिलोय ये तीनों तो जैसे प्राकृतिक एंटीबायोटिक्स हैं। नीम की पत्तियों का रस, हल्दी वाला दूध, और गिलोय का काढ़ा – ये शरीर को भीतर से शुद्ध करते हैं।
✅ सिट्ज़ बाथ (गर्म पानी में बैठना)हर रोज़ हल्के गर्म पानी में थोड़ी सी सेंधा नमक डालकर बैठना — इससे पस बाहर निकलता है, सूजन कम होती है और आराम मिलता है।
🔶 आहार और जीवनशैली में बदलाव 🍲
❌ क्या ना करें:
तीखा, मसालेदार, बासी खाना
तले-भुने भोजन
ज्यादा देर बैठना या मल दबाना
शराब और सिगरेट
✅ क्या करें:
फाइबर से भरपूर भोजन (सब्ज़ियां, फल, दलिया)
खूब पानी पीना
दिन में थोड़ा टहलना
मल त्याग का समय नियमित रखना
📖 गुरु भक्ति योग
🕯️
मित्रों! आज हम पढ़ेंगे राजा नृग की कथा। यह कथा हमे सिखाती है कि दान-पुण्य करने के बाद भी यदि कोई भूल हो जाए तो उसके परिणाम क्या हो सकते हैं। यह कथा भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं द्वारका में अपने भाइयों और पटरानियों को सुनाई थी। चलिए आज हम आपको सुनाते और उम्मीद करते हैं कि कथा आपको पसंद आए। तो सबसे पहले जानते हैं कि राजा नृग कौन थे?
कौन थे राजा नृग? राजा नृग इक्ष्वाकु वंश के एक धर्मपरायण और उदार राजा थे। वे अपनी दानशीलता के लिए प्रसिद्ध थे और प्रतिदिन हजारों गायों का दान ब्राह्मणों को करते थे। राजा नृग की यह कामना थी कि वे अधिक से अधिक पुण्य प्राप्त करें ताकि उनके बाद भी उनके वंश में सुख-समृद्धि बनी रहे।
दान में हुई भूल एक बार राजा नृग ने कई ब्राह्मणों को गायें दान में दीं। गायें सभी प्रकार से सुन्दर और उपयोगी थीं। लेकिन एक दिन ऐसा हुआ कि एक ब्राह्मण को दी गई गाय गलती से दूसरे ब्राह्मण के बाड़े में चली गई। जब राजा नृग ने दूसरे ब्राह्मण को गाय दान में दी तो वह नाराज़ हो गया और कहा कि यह गाय पहले ही उसे दी जा चुकी है।
दोनों ब्राह्मण आपस में झगड़ने लगे। राजा नृग ने अपनी गलती मानकर दोनों ब्राह्मणों से माफी मांगी और उन्हें संतुष्ट करने के लिए और भी अधिक गायें देने का प्रस्ताव रखा। लेकिन दोनों ब्राह्मणों ने उसे क्षमा करने से इंकार कर दिया।
शाप और यमलोक में दंड राजा नृग की भूल से कुपित होकर ब्राह्मणों ने उन्हें शाप दिया कि वे अगले जन्म में गरुड़ के समान विशालकाय गिरगिट बनकर धरती के नीचे पड़े रहेंगे। राजा नृग की मृत्यु के बाद, यमराज ने उनसे पूछा कि वे पहले अपने पुण्य का फल भोगना चाहेंगे या पाप का। राजा नृग ने सोचा कि पाप का दंड पहले भोग लेना चाहिए, ताकि बाद में पुण्य का सुख मिल सके।इस प्रकार राजा नृग गिरगिट के रूप में एक सूखे कुएं में पड़े रहे।
भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उद्धार कई वर्षों बाद जब भगवान श्रीकृष्ण अपने भाई बलराम और यादव बालकों के साथ वन में खेलने गए, तो वे उसी कुएं के पास पहुँचे जहाँ राजा नृग गिरगिट के रूप में पड़ा था। बालकों ने कुएं में विशाल गिरगिट को देखकर भगवान श्रीकृष्ण से उसे बाहर निकालने का आग्रह किया।
भगवान श्रीकृष्ण ने अपने करुणा भरे हाथो से उसे बाहर निकाला।भगवान ने जैसे ही गिरगिट को स्पर्श किया तो वह तुरंत राजा नृग के रूप में परिवर्तित हो गया। राजा नृग ने भगवान को प्रणाम किया और अपनी पूरी कथा सुनाई। भगवान श्रीकृष्ण ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा कि उसके सारे पाप मिट चुके हैं और अब वह स्वर्ग लोक में जाकर अपने पुण्य का फल भोग सकता है।
👉🏼 कथा का संदेश_
*अहंकार और भूल से बचें भले ही हम अच्छे कार्य कर रहे हों, लेकिन अगर भूल से भी कोई अपराध हो जाए तो उसे स्वीकार करना चाहिए और क्षमा मांगनी चाहिए।
क्षमा का महत्व यदि कोई व्यक्ति गलती करे और माफी मांग ले, तो उसे क्षमा कर देना चाहिए।
भगवान की करुणा सच्चे भक्तों को भगवान हमेशा संकट से उबारते हैं।
आशा करते हैं दोस्तों की कहानी आपको पसंद आई होगी, अगली कहानी के साथ फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए आप हंसते रहें, मुस्कराते रहें और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहें।
धन्यवाद!
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⚜️ चतुर्थी तिथि में तिल का दान और भक्षण दोनों भी त्याज्य है। आज गणपति, गजानन, विघ्नहर्ता श्री गणेशजी की पूजा का विशेष महत्त्व है। आज गणपति की पूजा के उपरान्त मोदक, बेशन के लड्डू एवं विशेष रूप से दूर्वादल का भोग लगाना चाहिये इससे मनोकामना की सिद्धि तत्काल होती है। शास्त्रानुसार जिस व्यक्ति का जन्म चतुर्थी तिथि को होता है वह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होता है। चतुर्थी तिथि में जन्म लेने वाला व्यक्ति बुद्धिमान एवं अच्छे संस्कारों वाला होता है। ऐसे लोग अपने मित्रों के प्रति प्रेम भाव रखते हैं तथा इनकी सन्तानें अच्छी होती है। इन्हें धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है और ये सांसारिक सुखों का पूर्ण उपभोग करते हैं।।

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