Today Panchang आज का पंचांग शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
शुक्रवार 18 अप्रैल 2025
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
🌌 दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126_
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – उत्तरायण
☂️ ऋतु – सौर ग्रीष्म ऋतु
☀️ मास – बैशाख मास
🌔 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📅 तिथि – शुक्रवार बैशाख माह के कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि 05:07 PM तक उपरांत षष्ठी
📝 तिथी स्वामी – पंचमी के देवता हैं नागराज। इस तिथि में नागदेवता की पूजा करने से विष का भय नहीं रहता, स्त्री और पुत्र प्राप्ति होती है। यह लक्ष्मीप्रदा तिथि हैं।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र ज्येष्ठा 08:21 AM तक उपरांत मूल
🪐 नक्षत्र स्वामी – ज्येष्ठा नक्षत्र के स्वामी ग्रह बुध हैं. इस नक्षत्र के देवता इंद्र हैं।
⚜️ योग – परिघ योग 01:03 AM तक, उसके बाद शिव योग
⚡ प्रथम करण : तैतिल – 05:07 पी एम तक
✨ द्वितीय करण : गर – 05:48 ए एम, अप्रैल 19 तक वणिज
🔥 गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
⚜️ दिशाशूल – शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है।यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल -दिन – 11:13 से 12:35 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:40:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 06:20:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:24 ए एम से 05:08 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 04:46 ए एम से 05:52 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:55 ए एम से 12:46 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:30 पी एम से 03:22 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 06:47 पी एम से 07:10 पी एम
🌃 सायाह्न सन्ध्या : 06:49 पी एम से 07:55 पी एम
💧 अमृत काल : 03:25 ए एम, अप्रैल 19 से 05:09 ए एम, अप्रैल 19
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:58 पी एम से 12:42 ए एम, अप्रैल 19
🚓 यात्रा शकुन-शुक्रवार को मीठा दही खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।
💁🏻 आज का उपाय-लक्ष्मी मंदिर में श्वेत चन्दन चढ़ाएं।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-गूलर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – श्री मलूक दास जयंती/ गुड फ़्राइडे/ सिक्खों के नौवें गुरु गुरु तेग़ बहादुर जयन्ती, अभिनेत्री पूनम ढिल्लों जन्म दिवस, पंडित धुंडीराजशास्त्री उर्फ अन्ना लक्ष्मण दाते, पंचांग और ज्योतिषी स्मृति दिवस, भारतीय क्रांतिकारी दामोदर हरी चापेकर स्मृति दिवस, भारतीय उद्यमी मुकेश अंबानी जन्म दिवस, सवाई माधवराव पेशवा जन्म दिवस, राष्ट्रीय पशु पटाखे दिवस, अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल दिवस, फ़ायर सर्विस सप्ताह, महान क्रांतिकारी के नायक तात्या टोपे शहीद दिवस, विश्व विरासत दिवस, (World Heritage Day)
✍🏼 तिथि विशेष – पञ्चमी तिथि को बिल्वफल त्याज्य बताया गया है। पञ्चमी तिथि को खट्टी वस्तुओं का दान और भक्षण दोनों ही त्याज्य है। पञ्चमी तिथि धनप्रद अर्थात धन देनेवाली तिथि मानी जाती है। यह पञ्चमी तिथि अत्यंत शुभ तिथि भी मानी जाती है। इस पञ्चमी तिथि के स्वामी नागराज वासुकी हैं। यह पञ्चमी तिथि पूर्णा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह पञ्चमी तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ और कृष्ण पक्ष में शुभ फलदायीनी मानी जाती है।
🏘️ Vastu tips 🏚️
हिंदू मान्यताओं के अनुसार झाड़ू का संबंध धन की देवी मां लक्ष्मी से है। वहीं वास्तु शास्त्र में भी झाड़ू रखने के लिए दक्षिण दिशा को बेहतर माना गया है। इससे मां लक्ष्मी की कृपा से साधक को धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। ध्यान रखें कि झाड़ू को दक्षिण दिशा में इस तरह रखना चाहिए, जहां किसी की नजर उस पर न पड़े।
ये चीजें रख सकते हैं वास्तु शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार, घर के दक्षिण दिशा में सोने के आभूषण आदि कीमती चीजें रखनी चाहिए। मान्यता है कि जो जातक ऐसा करता है उसके घर में खुशहाली आती है। इसके साथ ही आप दक्षिण दिशा में किसी पक्षी की तस्वीर भी लगा सकते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जाएं प्रवेश नहीं कर पाती हैं।
✴️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
सही समय पर ब्रेकफास्ट क्यों जरूरी है?
मेटाबोलिज्म को गति देता है: यदि आप सुबह जल्दी ब्रेकफास्ट करते हैं, तो यह आपके मेटाबोलिज्म को एक अच्छा शुरूआत देता है। इसका मतलब है कि आपका शरीर दिनभर अधिक कैलोरी बर्न करने में सक्षम होता है। यदि आप ब्रेकफास्ट को देर से करते हैं, तो आपका मेटाबोलिज्म धीमा हो सकता है, जिससे शरीर में फैट जमा होने की संभावना बढ़ जाती है।
ऊर्जा का स्तर बढ़ता है: सुबह ब्रेकफास्ट करने से आपके शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलती है, जिससे आप मानसिक और शारीरिक रूप से पूरे दिन सक्रिय रहते हैं। खासकर यदि आप सुबह की दौड़, जिम या योगा करते हैं, तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
ब्लड शुगर नियंत्रण में रहता है: सुबह का समय वह है जब हमारे शरीर की शुगर लेवल सबसे नीचे होती है। जल्दी ब्रेकफास्ट करने से ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित रखा जा सकता है, जो दिनभर की ऊर्जा के लिए आवश्यक होता है।
🥛 आरोग्य संजीवनी 🍶
हल्दी और गर्म पानी का सेवन करें
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन (Curcumin) एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व है, जो गठिया के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है।
रोज सुबह एक गिलास गर्म पानी में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं।
हल्दी को दूध में मिलाकर पीना भी फायदेमंद होता है।
इसे खाने में इस्तेमाल करने से भी सूजन कम होती है।
🤷🏻♀️ टिप: हल्दी को काली मिर्च के साथ लेने से शरीर इसे बेहतर तरीके से अवशोषित करता है।
🌷 गुरु भक्ति योग_ 🌹
अंत समय में ध्यान का स्थान भक्तिपूर्ण व्यक्ति अंत समय में योगबल से प्राण को भृकुटी के मध्य स्थिर करता है। यह स्थान शरीर का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र है, जिसे ‘तीसरी आंख’ या ‘शिव नेत्र’ कहा जाता है। यह मुक्ति का द्वार है। ध्यान टिकाने के लिए निर्विचार और निष्कंप स्थिति आवश्यक होती है, क्योंकि एक छोटी सी विचार-लहर भी ध्यान को हटा सकती है।
विचार और भाव का अंतर विचार = तरंग हैं, वे स्थिर नहीं हो सकते। भाव = स्थिर और निस्तरंग हो सकते हैं। निश्चलता केवल भाव में संभव है। प्रेम में यह निष्कंपता प्राप्त हो सकती है। इस सूक्ष्म स्थान (भृकुटी) पर ध्यान केंद्रित करने के लिए नियमित अभ्यास और योगबल आवश्यक है।
कबीर की कथा – स्मरण का उदाहरण जैसे महिलाएं सिर पर घड़ा रखकर गपशप करती हैं, फिर भी घड़े का ध्यान बनाए रखती हैं—वैसे ही प्रेम में डूबा व्यक्ति बाहर से सक्रिय होते हुए भी भीतर स्मरण बनाए रखता है।
ध्यान का अभ्यास और चित्त की दिशा सामान्यतः मनुष्य का ध्यान काम-केंद्र पर रहता है, जो चेतना का सहज लेकिन निम्नगामी मार्ग है। भृकुटी तक पहुँचना ऊर्ध्वगामी और कठिन है। बार-बार नीचे गिरने वाली चेतना को ऊपर उठाने के लिए नियमित अभ्यास आवश्यक है, अन्यथा अंत समय में ध्यान वहाँ लाना कठिन होता है।
योगबल और ‘ओम’ का स्मरण कृष्ण कहते हैं कि योगबल से प्राण को भृकुटी पर स्थिर कर, निश्चल मन से परमात्मा का स्मरण करें। ‘ॐ’ उस अक्षर का प्रतीक है जो शाश्वत और अविनाशी है। यह अस्तित्व का नाद है जो मौन में प्रकट होता है। यह कोई अर्थ वाला शब्द नहीं, बल्कि अस्तित्व बोधक संकेत है।
ओंकार में प्रवेश – मुक्ति का मार्ग जब ध्यान भृकुटी पर स्थिर हो जाता है, तो ओंकार का नाद गूंजने लगता है। यह नाद अस्तित्व से उत्पन्न होता है और साधक को संसार के पार ले जाने वाला वाहन बनता है। साधक इस नाद के सहारे ऊर्ध्वगति करता है और परम पद को प्राप्त करता है।
आसक्तिरहित यत्नशील महात्मा जो ज्ञानीजन आसक्तिरहित होते हुए भी यत्नशील रहते हैं, वे ओंकार में प्रवेश करते हैं। मोक्ष की भी इच्छा बंधन बन सकती है। सच्चा वैराग्य वासना-शून्यता है। प्रयास केवल आनंद के लिए होना चाहिए, न कि फल की कामना से।
भक्त का प्रेम – मोक्ष भी त्याज्य सच्चा भक्त मोक्ष की कामना भी नहीं करता, वह कहता है कि उसे केवल परमात्मा की गली और धूल चाहिए। जब प्रेम इतना गहरा हो जाए, तो वही मोक्ष बन जाता है। संन्यास किसी फल के लिए नहीं, बल्कि वह अपने आप में आनंद है।
ब्रह्मचर्य – प्रभु जैसी चर्या ब्रह्मचर्य केवल संयम नहीं, बल्कि वह जीवनशैली है जिसमें व्यक्ति ऐसे जीता है जैसे प्रभु पहले से मिल चुके हों। जब साधक इस भाव से जीवन जीता है, तभी उसका जीवन ब्रह्मचर्य बनता है और प्रभु से मिलन घटित होता है।
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⚜️ पञ्चमी तिथि में शिव जी का पूजन सभी कामनाओं की पूर्ति करता है। आज पञ्चमी तिथि में नाग देवता का पूजन करके उन्हें बहती नदी में प्रवाहित करने से भय और कष्ट आदि की सहज ही निवृत्ति हो जाती है। ऐसा करने से यहाँ तक की कालसर्प दोष तक की शान्ति हो जाती है। अगर भूतकाल में किसी की मृत्यु सर्पदंश से हुई हो तो उसके नाम से सर्प पूजन से उसकी भी मुक्ति तक हो जाती है।।