धार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग गुरुवार, 15 मई 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
गुरुवार 15 मई 2025
मंगल श्री विष्णु मंत्र :-
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
☄️ दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए।
गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126_

🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – उत्तरायण
☂️ ऋतु – सौर ग्रीष्म ऋतु
☀️ मास – ज्यैष्ठ मास
🌒 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – गुरुवार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष तृतीया तिथि 04:03 AM तक उपरांत चतुर्थी
✏️ तिथि स्वामी – तृतीया तिथि की स्वामी माँ गौरी और कुबेर जी है ।तृतीया: किसी भी पक्ष की तीसरी तारीख को तृतीया तिथि या तीज कहते है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र ज्येष्ठा 02:07 PM तक उपरांत मूल
🪐 नक्षत्र स्वामी – ज्येष्ठा नक्षत्र का स्वामी ग्रह बुध है।ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इंद्र हैं, जो देवताओं के राजा भी माने जाते हैं।
⚜️ योग – शिव योग 07:01 AM तक, उसके बाद सिद्ध योग
प्रथम करण : वणिज – 03:18 पी एम तक
द्वितीय करण : विष्टि – 04:02 ए एम, मई 16 तक बव
🔥 गुलिक कालः- गुरुवार का (शुभ गुलिक) 09:45:00 से 11:10:00 तक
⚜️ दिशाशूल – बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल – दिन – 2:00 से 3:25 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:23:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 06:37:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:07 ए एम से 04:49 ए एम
🌆 प्रातः सन्ध्या : 04:28 ए एम से 05:30 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:50 ए एम से 12:45 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 02:33 पी एम से 03:28 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:04 पी एम से 07:25 पी एम
🌃 सायाह्न सन्ध्या : 07:05 पी एम से 08:07 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:57 पी एम से 12:38 ए एम, मई 16
🚓 यात्रा शकुन-बेसन से बनी मिठाई खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवै नम:।
💁🏻‍♀️ आज का उपाय-विष्णु मंदिर बेल का फल चढ़ाएं।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – बुधास्त/भद्रा/सौर ज्येष्ठ मास प्रारंभ/वृषभ संक्रांति/ अगस्ती लोप/ विश्व परिवार दिवस/ लेखक देबेंद्रनाथ टैगोर जन्म दिवस, परिवारों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस, महान् क्रांतिकारी सुखदेव थापर जयन्ती, किसी के लिए फूल लाओ दिवस, राम पोथिनेनी जयन्ती, प्रसिद्ध दक्षिण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू जयन्ती, बालीवुड अभिनेत्री माधुरी दीक्षित जन्म दिवस, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत स्मृति दिवस, संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह (12 से 16 मई)
✍🏼 तिथि विशेष – तृतीया तिथि में नमक का दान तथा भक्षण दोनों ही त्याज्य बताया गया है। तृतीया तिथि एक सबला अर्थात बल प्रदान करने वाली तिथि मानी जाती है। इतना ही नहीं यह तृतीया तिथि आरोग्यकारी रोग निवारण करने वाली तिथि भी मानी जाती है। इस तृतीया तिथि की स्वामिनी माता गौरी और इसके देवता कुबेर देवता हैं। यह तृतीया तिथि जया नाम से विख्यात मानी जाती है। यह तृतीया तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ फलदायिनी मानी जाती है।
🏘️ Vastu tips 🏚️
कौन सी चीजे उपहार में देना है अशुभ? वास्तु के अनुसार, काले रंग की चीजें आपको कभी भी किसी को नहीं देना चाहिए. इससे जीवन में नकारात्मकता आती है . इससे रिश्तों में दूरी भी आती है. इसलिए आपको काले वस्त्र, जूते, चप्पल और घड़ी किसी को नहीं देना चाहिए.
वास्तु के अनुसार, परफ्यूम भले ही आपको महकाने का काम करता है, लेकिन आपको इसे कभी किसी को नहीं देना चाहिए. यह आर्थिक तंगी का भी कारण बन सकता है.
वास्तु के अनुसार, आपको पर्स भी नहीं देना चाहिए. इससे नकारात्मकता आती है. इससे भी आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है.
वास्तु के अनुसार, मोती भी किसी को उपहार के रूप में नहीं देना चाहिए. यह आंसू का प्रतीक माना जाता है. इसलिए भेंट न दें. आपको किसी को रूमाल भी गिफ्ट में नहीं देना चाहिए. यह भी अशुभ माना जाता है. इससे रिश्ते में खटास आ सकती है
🎯 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार:
तुलसी (Basil):तुलसी के पत्ते मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। आप 10-12 तुलसी के पत्ते चबा सकते हैं या तुलसी का रस सुबह खाली पेट ले सकते हैं।
आंवला (Amla):आंवला में उच्च मात्रा में विटामिन C और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। आप आंवला का रस ले सकते हैं या इसे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
मेथी दाना (Fenugreek): मेथी के बीज भी मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। रात को मेथी के कुछ बीज पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें।
धनिया (Coriander):धनिया का उपयोग भी रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है। आप धनिया का पाउडर पानी में घोलकर पी सकते हैं।
कड़वा तरबूज (Bitter Melon):कड़वा तरबूज (करेला) का सेवन भी रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। आप इसका जूस या सब्जी बना सकते हैं।
नारियल पानी:नारियल पानी भी मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। यह शुगर लेवल को संतुलित करने में सहायक होता है।
🥂 आरोग्य संजीवनी 🍻
🌱 आयुर्वेद में फिस्टुला का इलाज बिना सर्जरी 💫
🔶 1. क्षार सूत्र थेरेपी (Kshar Sutra Therapy) – प्रकृति का चमत्कारी धागा
*
यह एक प्राचीन और बेहद सफल आयुर्वेदिक तकनीक है जिसमें औषधीय लेप से लिपटे धागे को फिस्टुला के रास्ते में डाला जाता है। यह:
धीरे-धीरे अंदर से उसे सुखाता है संक्रमण को जड़ से मिटाता है
नए ऊतक बनाता है और फिस्टुला को पूरी तरह बंद करता है, बिना कट-फाड़ के! 🙌
🔸 इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे रीकरेंस (दोबारा होना) का खतरा लगभग ना के बराबर होता है।
📚 गुरु भक्ति योग 📗
वैदिक ज्योतिष में सूर्यदेव को ग्रहों का राजा बताया गया है और पृथ्वी पर ऊर्जा का मुख्य स्रोत सूर्यदेव ही हैं. वैदिक काल के लोगों द्वारा सबसे पहले पहचाने गए देवता सूर्य हैं और सूर्य के शुभ प्रभाव से मनुष्य के मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में अच्छी वृद्धि होती है. सूर्यदेव को भगवान विष्णु का अंश भी माना जाता है इसलिए सूर्यदेव को सूर्य नारायण भी कहा जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सूर्यदेव के पिता का नाम महर्षि कश्यप और माता का नाम अदिती था. माता अदिती की कोख से जन्म लेने के कारण सूर्यदेव का नाम आदित्य पड़ा. आज हम आपको सूर्यदेव के परिवार के बारे में बताएंगे और उनकी संतान आखिर पृथ्वी लोक पर किन वजह से बदनाम हैं.
सूर्यदेव की दो पत्नियां धार्मिक ग्रंथों में सूर्यदेव की दो पत्नियों का वर्णन मिलता है, एक का नाम संज्ञा और दूसरी का नाम छाया. संज्ञा और छाया से सूर्यदेव को 10 संतान की प्राप्ति हुई और एक संतान कुंति से. सूर्यदेव का तेज बहुत अधिक था, जिसकी वजह से सूर्यदेव की पहली पत्नी संज्ञा ने छोड़ दिया था क्योंकि संज्ञा सूर्यदेव के तेज को सहन नहीं कर पा रही थीं. इसके बाद संज्ञा के पिता और सूर्यदेव के ससुर विश्वकर्मा ने सूर्य के तेज को छांट काटकर कम कर दिया, इसके बाद सूर्यदेव के तेज में कमी आई.
सूर्यदेव ने लिया अश्व का रूप सूर्यदेव को छोड़ने के बाद संज्ञा पृथ्वी लोक पर आ गईं और एक अश्विनी यानी घोड़ी के रूप में रहती थी. अपनी पत्नि को मनाने के लिए सूर्यदेव ने भी अश्व के रूप धारण कर लिया और फिर उनसे दो पुत्र की प्राप्ति हुई, जो अश्विनी कुमार कहलाते हैं. एक पौराणिक कथा यह भी मिलती है कि रामायण काल में सुग्रीव और महाभारत काल में कुंति से कर्ण का जन्म सूर्यदेव की वजह से हुआ था.
संज्ञा से हुई संतान
* यमराज – मृत्यु के देवता
यमुना नदी- जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध नदी है
वैवस्वत मनु – जो वर्तमान मन्वन्तर के अधिपति हैं.
अश्विनी कुमार – जिन्हें चिकित्सा के देवता के रूप में जाना जाता है.
सूर्यपुत्र रेवंत – एक अन्य पुत्र है.
छाया से हुई संतान शनिदेव – न्याय के देवता और कर्म के कारक ग्रह
ताप्ती – सूर्यदेव की पुत्री हैं और पृथ्वी पर नदी के रूप में रहती हैं.
विष्टि (भद्रा) – सूर्यदेव की अन्य पुत्री, जो काल में आती हैं.* *सावर्णि मनु – जो एक और पुत्र हैं.
महाभारत और रामायण काल सुग्रीव – रामायण काल में बलशाली वानर हैं, उनकी माता का नाम ऋक्षराज और पिता का नाम सूर्यदेव है.
कर्ण – महाभारत काल में एक शक्तिशाली योद्धा थे और कर्ण की माता कुंती व पिता सूर्य देव थे.
सूर्य पुत्र और पुत्री, नाम की वजह से बदनाम यमराज मृत्यु के देवता हैं, जिनसे पृथ्वी लोक के वासी काफी डरते हैं. वहीं शनिदेव, जो छाया के पुत्र हैं. शनिदेव की महादशा व साढ़ेसाती व ढैय्या के अशुभ प्रभाव से मनुष्य को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसलिए हर कोई चाहता है कि उन पर शनि की महादशा का प्रभाव ना हो. इस वजह से शनिदेव से मनुष्य काफी डरते हैं. सूर्यदेव की पुत्र के अलावा पुत्री से भी मनुष्य काफी डरते हैं और उनका नाम है विष्टि या फिर उनको भद्रा भी कहा जाता है. भद्रा शब्द का अर्थ शुभ है लेकिन ज्योतिष में भद्रा काल को एक अशुभ समय माना गया है. इस काल में किया गया कोई भी कार्य हमेशा अशुभ फल ही देता है. रक्षाबंधन, होली समेत सभी पर्व में की जाने वाली पूजा अर्चना में भद्रा का विशेष ध्यान रखा जाता है और कोई भी शुभ कार्य करने से भद्रा को देखा जाता है.
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⚜️ तृतीया तिथि केवल बुधवार की हो तो अशुभ मानी जाती है। अन्यथा इस तृतीया तिथि को सभी शुभ कार्यों में लिया जा सकता है। आज तृतीया तिथि को माता गौरी की पूजा करके व्यक्ति अपनी मनोवाँछित कामनाओं की पूर्ति कर सकता है। आज तृतीया तिथि में एक स्त्री माता गौरी की पूजा करके अचल सुहाग की कामना करे तो उसका पति सभी संकटों से मुक्त हो जाता है। आज तृतीया तिथि को भगवान कुबेर जी की विशिष्ट पूजा करनी चाहिये। देवताओं के कोषाध्यक्ष की पूजा आज तृतीया तिथि को करके मनुष्य अतुलनीय धन प्राप्त कर सकता है।।

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