धार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग गुरुवार, 24 जुलाई 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
गुरुवार 24 जुलाई 2025
24 जुलाई 2025 दिन गुरुवार को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष कि अमावस्या तिथि है। आज स्नान दान एवं श्राद्ध आदि के लिए पुण्य फलदायिनी अमावस्या है। आज शुभवार अर्थात गुरुवार होने से सुभिक्ष का योग भी बन रहा है। अर्थात प्रजा में बहुत सुख एवं आनंद रहेगा। आज की अमावस्या को उड़ीसा में चिताऊ अमावस्या कहते हैं।आज की अमावस्या को हरियाली अमावस्या भी कहते हैं। भारत के दक्षिण के प्रान्तों में इस अमावस्या को आडि अमावस्या लोग कहते हैं। आज सर्वार्थ सिद्धि योग भी है। आज सभी सनातनियों बंधुओं को “स्नान – दान एवं श्राद्ध आदि के अमावस्या” की बहुत – बहुत हार्दिक शुभकामनाएं एवं अनन्त – अनन्त बधाईयाॅं।।
मंगल श्री विष्णु मंत्र :-
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः।
☄️ दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए।
गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
👸🏻 शिवराज शक 352
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर वर्षा ऋतु
⛈️ मास – श्रावण मास
🌑 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📅 तिथि – गुरुवार श्रावण माह के कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि 12:40 AM तक उपरांत प्रतिपदा
🖍️ तिथि स्वामी – अमावस्या तिथि के देवता हैं अर्यमा जो पितरों के प्रमुख हैं। अमावास्या में पितृगणों की पूजा करने से वे सदैव प्रसन्न होकर प्रजावृद्धि, धन-रक्षा, आयु तथा बल-शक्ति प्रदान करते हैं।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र पुनर्वसु 04:43 PM तक उपरांत पुष्य
🪐 नक्षत्र स्वामी – पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी ग्रह बृहस्पति (गुरु) है।और पुनर्वसु के लिए अदिति हैं।
⚜️ योग – हर्षण योग 09:50 AM तक, उसके बाद वज्र योग
प्रथम करण : चतुष्पाद – 01:31 पी एम तक
द्वितीय करण : नाग – 12:40 ए एम, जुलाई 25 तक किंस्तुघ्न
🔥 गुलिक कालः- गुरुवार का (शुभ गुलिक) 09:45:00 से 11:10:00 तक
⚜️ दिशाशूल – बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल – दिन – 2:00 से 3:25 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:18:00
🌄 सूर्यास्तः- सायं 06:38:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:15 ए एम से 04:57 ए एम
🌆 प्रातः सन्ध्या : 04:36 ए एम से 05:38 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 12:00 पी एम से 12:55 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:44 पी एम से 03:39 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:17 पी एम से 07:38 पी एम
🌌 सायाह्न सन्ध्या : 07:17 पी एम से 08:19 पी एम
💧 अमृत काल : 02:26 पी एम से 03:58 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:07 ए एम, जुलाई 25 से 12:48 ए एम, जुलाई 25
🌸 गुरु पुष्य योग : 04:43 पी एम से 05:39 ए एम, जुलाई 25
सर्वार्थ सिद्धि योग : पूरे दिन
💦 अमृत सिद्धि योग : 04:43 पी एम से 05:39 ए एम, जुलाई 25
🚓 यात्रा शकुन-बेसन से बनी मिठाई खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवै नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-किसी विप्र को दक्षिणा सहित आमान्न (सीदा) भेंट करें।
🌳 वनस्पति तंत्र उपाय-पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – सर्वार्थसिद्धि योग/अमृतसिद्धि योग/गुरुपुष्य योग/देवपितृकार्ये/ हरियाली अमावस्या/ सावन अमावस्या/ दर्श अमावस्या/ दीप पुजन/ गुरुपुष्यामृत योग शाम 04.43 से उ. रात्रि 06.15 तक/ अमावस्या समाप्ति उ. रात्रि 00.40/ राष्ट्रीय थर्मल इंजीनियर दिवस, पायनियर दिवस, पन्नालाल घोष जन्म दिवस, नाज़िश प्रतापगढ़ी जन्म दिवस, केशुभाई पटेल जयन्ती, पंकज आडवाणी जन्म दिवस, अमला शंकर स्मृति दिवस, यशपाल पुण्य तिथि, तरूण राम फुकन स्मृति दिवस, अंतर्राष्ट्रीय स्व-देखभाल दिवस, राष्ट्रीय तापीय अभियंता दिवस
✍🏼 तिथि विशेष – अमावस्या को मैथुन एवं प्रतिपदा को कद्दू और कूष्माण्ड के फल का दान तथा भक्षण दोनों ही त्याज्य होता है। शास्त्रों में अमावस्या तिथि को सम्भोग वर्जित तिथि बताया गया है। अमावस्या तिथि एक पीड़ाकारक और अशुभ तिथि मानी जाती है। अमावस्या तिथि पितृगणों को समर्पित तिथि है अर्थात इसके स्वामी पितृगण हैं। यह केवल कृष्ण पक्ष में ही होती है तथा अशुभ फलदायिनी मानी जाती है।
🏘️ Vastu tips 🏚️
इस दिशा में रखें जल की निकासी व्यवस्था घर का पानी निकलने के लिए का ढलान हमेशा उत्तर और पूर्व दिशा में होना चाहिए। पूर्व दिशा का नीचा होना, वास्तु के अनुसार यह शुभ होता है। घर की छत का ढलान भी उत्तर पूर्व दिशा में होना ही हितकारी है क्योंकि जब बारिश होती है तो पानी को हमेशा उत्तर या पूर्व के दिशा में बहना चाहिए। इससे आपके घर की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके अलावा, घर की नाली हमेशा ढकी होनी चाहिए।
इस दिशा में नहीं होना चाहिए निकासी घर से निकलने वाले पानी का ढलान किसी भी दशा में दक्षिणा-पश्चिम नहीं होना चाहिए। इससे उसके घर के लोगों के हेल्थ पर असर पड़ता है और वे बीमार रह सकते हैं। अगर जातक के जल निकासी की व्यवस्था पश्चिम दिशा है तो उन्हें संतान संबंधी परेशानी हो सकती है और अगर दक्षिण दिशा में है तो धन को नष्ट करता है। घर की शांति भी खत्म हो जाती है।
🎯 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
🥣 बचपन की यादें और एक भूला हुआ खजाना। याद कीजिए — जब सुबह मम्मी मुस्कुराकर कहती थीं, “बेटा, रात की रोटी है… दूध या घी के साथ खा लो।” तब हमें बासी रोटी बेस्वाद लगती थी। लेकिन शायद मम्मी और दादी को पता था कि इसमें कितनी ताकत छुपी है।
🤔 बासी रोटी मतलब क्या?पहले ये जान लें कि बासी रोटी का मतलब खराब रोटी नहीं होती।
यह वो रोटी है जो फ्रिज या सूखे कंटेनर में रातभर रखी गई हो — जिसमें नेचुरल बदलाव आ जाते हैं, जो उसे हेल्दी बना देते हैं।
🔬 बासी रोटी के पीछे का साइंस: स्टार्च रेट्रोग्रेशन। जब रोटी ठंडी होती है, तो उसमें रेजिस्टेंट स्टार्च बनने लगता है। यह स्टार्च हमारे पाचन में धीरे-धीरे टूटता है और इसके फायदे कुछ इस तरह हैं:
✅ फायदे: ओवरईटिंग से बचाव – बासी रोटी पेट जल्दी भरने का एहसास कराती है।
डाइजेशन फ्रेंडली – हल्के रूप में टूटे हुए कार्ब्स पेट में आसानी से पचते हैं।
गैस व एसिडिटी में राहत – कमजोर पाचन वाले लोगों के लिए वरदान।
🩻 आरोग्य संजीवनी 🩸
कभी-कभी हिचकी इतनी ज़िद्दी हो जाती है कि लाख कोशिशों के बाद भी बंद नहीं होती। पानी पीना, सांस रोकना, या डराने की तरकीबें — कुछ भी काम नहीं आता। लेकिन एक ऐसा घरेलू नुस्खा है जो शर्तिया काम करता है और वह भी सिर्फ एक चीज से – हरी इलायची।
🌱 क्या है ये देसी उपाय?
✅ सामग्री: हरी इलायची (जो अक्सर घरों में मिलती है)
🧪 कैसे करना है इस्तेमाल:एक हरी इलायची को एक चिमटी से पकड़िए।
गैस या आग पर थोड़ी देर के लिए गर्म कीजिए।
जैसे ही इलायची से धुआं निकलने लगे — तुरंत उस धुएं को हल्के से सूंघिए।
हिचकी वहीं बंद हो जाएगी — बिना किसी दवाई के।
🧘‍♀️ क्यों काम करता है ये नुस्खा? इलायची में प्राकृतिक औषधीय गुण होते हैं जो श्वास मार्ग को शांत करते हैं।
गर्म होकर उसका धुआं नाक की नसों और तंत्रिका प्रणाली पर हल्का झटका देता है, जिससे हिचकी की प्रक्रिया रुक जाती है।
📚 गुरु भक्ति योग 📗
पहली झलक और प्रेम का अंकुरण
एक दिन अपने साथियों के साथ शिकार पर निकले थिण्णन की नज़र एक पहाड़ी पर स्थित, एकांत में खड़े एक शिवलिंग पर पड़ी। वह शिवलिंग कोई साधारण शिवलिंग नहीं था, वह श्रीकालहस्ती का प्रसिद्ध वायु लिंगम था। उसे देखते ही थिण्णन के भीतर कुछ ऐसा हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ था। उसके शिकारी मन में अचानक वात्सल्य और प्रेम का एक असीम सागर उमड़ पड़ा। वह उस मूर्ति को देखकर स्तब्ध खड़ा रह गया, जैसे कोई खोया हुआ बच्चा अपनी माँ को देख ले।
उसे लगा, “मेरा स्वामी, मेरा महादेव इस घने जंगल में अकेला क्यों है? इसकी देखभाल कौन करता है?” बस, उसी पल से थिण्णन का जीवन बदल गया।
एक शिकारी की अनूठी पूजा थिण्णन को पूजा-पाठ के नियम नहीं मालूम थे। उसे तो बस प्रेम करना आता था। उसने अपने महादेव की सेवा अपनी तरह से शुरू की:
अभिषेक: उसे लगा कि मेरे स्वामी को स्नान कराना चाहिए। पर जंगल में लोटा या कलश कहाँ? वह पास की नदी में गया, अपनी अंजुलि में नहीं, बल्कि सीधे अपने मुँह में पानी भरा और शिवलिंग पर लाकर कुल्ला कर दिया, ताकि एक बूँद भी बर्बाद न हो!
नैवेद्य (भोग): उसे लगा कि मेरे स्वामी भूखे होंगे। वह तुरंत शिकार पर गया, एक जंगली सूअर मारा, उसके मांस को आग में भूना और… भोग लगाने से पहले उसने खुद चखकर देखा कि कौन सा टुकड़ा सबसे नरम और स्वादिष्ट है। जो हिस्सा उसे सबसे अच्छा लगा, वही उसने शिवलिंग पर चढ़ा दिया।
पुष्पांजलि: उसे सुंदर फूल दिखे। उसने उन्हें तोड़ा और कहाँ रखता? उसने उन्हें अपने बालों में सजा लिया और फिर एक-एक करके शिवलिंग पर चढ़ा दिया।
उसका प्रेम शास्त्रों के नियमों का मोहताज नहीं था। वह हर दिन आता और अपनी इसी भोली और निश्छल विधि से अपने ‘स्वामी’ की सेवा करता।
परंपरा और प्रेम का टकराव उसी मंदिर में एक अत्यंत विद्वान और गुणी ब्राह्मण पुजारी भी हर दिन पूजा करने आते थे। जब वे सुबह आते तो मंदिर में मांस के टुकड़े, हड्डियाँ और जूठे फूल देखकर उनका मन क्षोभ से भर जाता। उन्हें लगता कि कोई दुष्ट राक्षस उनके महादेव का अपमान कर रहा है। वह रोज़ मंदिर को धोते, मंत्रों से उसका शुद्धिकरण करते और महादेव से इस अनाचार को रोकने की प्रार्थना करते।
एक रात, महादेव उस पुजारी के स्वप्न में आए और मुस्कुराकर बोले, “कल तुम पास की झाड़ी में छिपकर देखना। तुम जिसे अनाचार समझ रहे हो, वह भक्ति की वो पराकाष्ठा है जिसे देखने के लिए देवता भी तरसते हैं।”
महादेव की परीक्षा और भक्ति का चरमोत्कर्ष
अगले दिन पुजारी छिपकर बैठ गए। थिण्णन अपने रोज़ के अंदाज़ में आया, पर आज मंदिर का दृश्य देखकर उसका संसार उजड़ गया। उसने देखा कि शिवलिंग की एक आँख से रक्त की धारा बह रही है।
“मेरे स्वामी! मेरी आँखों के सामने आपको कष्ट! यह कैसे हुआ?” वह चीख पड़ा।
उसने जंगल की तमाम जड़ी-बूटियाँ खोजीं और आँख पर लगाईं, पर रक्त नहीं रुका। वह असहाय होकर रोने लगा। तभी उसके सरल मन में एक बिजली-सा विचार कौंधा – “आँख के बदले आँख!”
बिना एक पल सोचे, थिण्णन ने अपनी कमर से एक तीर निकाला और अपनी एक आँख निकालकर शिवलिंग के उस स्थान पर रख दी जहाँ से रक्त बह रहा था। और चमत्कार! रक्त बहना बंद हो गया!
थिण्णन खुशी से नाचने लगा, पर उसकी खुशी क्षणिक थी। तभी, शिवलिंग की दूसरी आँख से भी रक्त बहने लगा।
इस बार थिण्णन घबराया नहीं। उसे उपाय पता था। उसने अपनी दूसरी आँख भी निकालने का निश्चय किया। पर उसे एक समस्या हुई – “अगर मैं अपनी यह आँख भी निकाल लूँगा, तो मुझे दिखेगा कैसे कि इसे लगाना कहाँ है?”
एक शिकारी का दिमाग तुरन्त चला। उसने शिवलिंग पर बहते रक्त वाली जगह को पहचानने के लिए अपना पैर शिवलिंग पर रख दिया! और फिर जैसे ही उसने अपनी दूसरी आँख निकालने के लिए तीर उठाया…
प्रभु का प्राकट्य और अमर वरदान
तभी एक दिव्य हाथ ने उसका हाथ पकड़ लिया। स्वयं महादेव प्रकट हो गए। उनकी आँखों में अपने भक्त के लिए असीम करुणा और प्रेम था।
“रुको, कण्णप्प!” महादेव ने उसे पहली बार उसके नए नाम से पुकारा। कण्ण (आँख) + अप्प (अर्पण करने वाला)।
“बस करो, तुम्हारी भक्ति ने समस्त ज्ञान, समस्त तर्क और समस्त नियमों को परास्त कर दिया है। जिस स्थान को पहचानने के लिए तुमने अपना पैर मेरे ऊपर रखा, वह स्थान अब से मेरे भक्तों के लिए कैलाश से भी पवित्र होगा।”
पुजारी यह दृश्य देखकर अवाक थे। उन्हें समझ आ गया कि ईश्वर को आडम्बर नहीं, सिर्फ़ निश्छल भाव चाहिए।
महादेव ने कण्णप्प को अपनी शरण में ले लिया और वह शिव के सबसे प्रिय भक्तों में से एक, 63 नयनार संतों में अमर हो गए। यह कथा आज भी हमें सिखाती है कि जब भक्ति सच्ची हो, तो कर्मकांड के नियम पीछे छूट जाते हैं और भक्त का प्रेम ही उसका सबसे बड़ा मंत्र बन जाता है।
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⚜️ अमावस्या को दूध का दान श्रेष्ठ माना जाता है। किसी कुआँ, तलाब, नदी अथवा बहते जल में दो-चार बूंद दूध डालने से कार्यों में आनेवाली परेशानियाँ दूर होती है। जौ दूध में धोकर नदी में प्रवाहित करने से सौभाग्य की वृद्धि होती है। इस तिथि को पीपल में जल देना परिक्रमा करना मिश्री दूध में मिलाकर अर्घ्य देना अत्यन्त शुभ फलदायी माना जाता है।
ऐसा करने से शनिदेव का प्रकोप कम होता है तथा भगवान नारायण एवं माँ लक्ष्मी कि पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। अमावस्या को तुलसी और बिल्वपत्र नहीं तोड़ना चाहिये। आज घर की सफाई करना और कबाड़ बेचना शुभ माना जाता है। अमावस्या को भूलकर भी सम्भोग (स्त्री सहवास) नहीं करना चाहिये। घर के मन्दिर एवं आसपास के नजदीकी मन्दिर में तथा तुलसी के जड़ में सायंकाल में घी का दीपक जलाना चाहिये इससे लक्ष्मी माता प्रशन्न होती हैं।

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