Today Panchang आज का पंचांग मंगलवार, 11 मार्च 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦2025
🧾 आज का पंचाग 🧾
मंगलवार 11 मार्च 2025
हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।
🌌 दिन (वार) – मंगलवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।
मंगलवार को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।
मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2024 विक्रम संवत : 2081 पिंगल संवत्सर विक्रम : 1946 क्रोधी
🌐 संवत्सर नाम पिंगल
🔯 शक सम्वत : 1946 (पिंगल संवत्सर)
☸️ काली सम्वत् 5125
🕉️ संवत्सर (उत्तर) पिंगल
☣️ आयन – उत्तरायण
☀️ ऋतु – सौर बसंत ऋतु
🌤️ मास – फाल्गुन मास
🌖 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📆 तिथि – मंगलवार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि 08:14 AM तक उपरांत त्रयोदशी
✏️ तिथि स्वामी – द्वादशी के देवता हैं विष्णु। इस तिथि को भगवान विष्णु की पूजा करने से मनुष्य सदा विजयी होकर समस्त लोक में पूज्य हो जाता है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र आश्लेषा 02:15 AM तक उपरांत मघा
🪐 नक्षत्र स्वामी – आश्लेषा नक्षत्र का स्वामी बुध है। आश्लेषा नक्षत्र से संबंधित देवता नाग हैं।
⚜️ योग – अतिगण्ड योग 01:17 PM तक, उसके बाद सुकर्मा योग
⚡ प्रथम करण : बालव – 08:13 ए एम तक
✨ द्वितीय करण : कौलव – 08:39 पी एम तक तैतिल
🔥 गुलिक काल : मंगलवार का गुलिक दोपहर 12:06 से 01:26 बजे तक।
🤖 राहुकाल (अशुभ) – दोपहर 15:19 बजे से 16:41 बजे तक। राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
⚜️ दिशाशूल – मंगलवार को उत्तर दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो कोई गुड़ खाकर यात्रा कर सकते है।
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 06:09:00
🌅 सूर्यास्तः – सायं 05:51:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:58 ए एम से 05:47 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 05:22 ए एम से 06:35 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 12:07 पी एम से 12:55 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 02:30 पी एम से 03:17 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 06:25 पी एम से 06:49 पी एम
🏙️ सायाह्न सन्ध्या : 06:27 पी एम से 07:40 पी एम
💧 अमृत काल : 12:33 ए एम, मार्च 12 से 02:15 ए एम, मार्च 12
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:06 ए एम, मार्च 12 से 12:55 ए एम, मार्च 12
⭐ सर्वार्थ सिद्धि योग : 06:35 ए एम से 02:15 ए एम, मार्च 12
❄️ रवि योग : 02:15 ए एम, मार्च 12 से 06:34 ए एम, मार्च 12
🚓 यात्रा शकुन-दलिया का सेवन कर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ अं अंगारकाय नम:।
🤷🏻♀️ आज का उपाय-शिवजी का फलों के रस से अभिषेक करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय- खैर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – सर्वार्थ सिद्धि योग/ रवि योग/ भौम प्रदोष/शौर्य दिवस, सिंगल्स अवेयरनेस डे, अभिनेता जॉनी नॉक्सविले जन्म दिवस, राष्ट्रीय प्रस्ताव दिवस, राष्ट्रीय औज़ार पूजा दिवस, राष्ट्रीय कोविड-19 दिवस, विश्व प्लंबिंग दिवस, मराठा साम्राज्य के दूसरे शासक संभाजी भोसले पुण्य तिथि, प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी चन्द्रभानु गुप्त स्मृति दिवस, अंडमान-निकोबार दिवस, पंजाब के मुख्यमंत्री अरविन्द सिंह जन्म दिवस
✍🏼 तिथि विशेष – द्वादशी तिथि को मसूर की दाल एवं मसूर से निर्मित कोई भी व्यंजन नहीं खाना न ही दान देना चाहिये। यह मसूर से बना सभी व्यंजन इस द्वादशी तिथि में त्याज्य बताया गया है। द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री हरि नारायण भगवान को बताया गया है। आज द्वादशी तिथि के दिन भगवान नारायण का श्रद्धा-भाव से पूजन करना चाहिये। साथ ही भगवान नारायण के नाम एवं स्तोत्रों जैसे विष्णुसहस्रनाम आदि के पाठ अवश्य करने चाहिए। नाम के पाठ एवं जप आदि करने से व्यक्ति के जीवन में धन, यश एवं प्रतिष्ठा की प्राप्ति सहज ही होने लगती है।
🏘️ Vastu tips 🏚️
वास्तु शास्त्र के अनुसार, हंसों के जोड़े की प्रतिमा को उचित दिशा में लगाने से आपको बहुत फायदा हो सकता है। अपने घर के शयनकक्ष की उत्तर दिशा की दीवार पर दो हंसों के जोड़े की तस्वीर लगाएं। इससे घर में सुख-समृद्धि के साथ प्रेम, विश्वास बढ़ता है। धन दौलत में अपार बरकत होती है।
दो हंसों के अलावा आप दो सारस के जोड़े की तस्वीर भी लगा सकते हैं, लेकिन तस्वीर की जगह यदि मूर्ति मिल जाये तो और भी अच्छा होगा। इससे अधिक लाभ होगा। इससे आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा आएगी और ऐसा करने से आपके और आपके पार्टनर के बीच तालमेल बेहतर होगा और घर की कलह दूर होगी। साथ ही आपका दाम्पत्य जीवन भी सुख से बीतेगा।
🔊 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
साइड इफेक्ट हुआ हो तो आयुर्वेद साइड इफेक्ट न हो ऐसा बताता है। गिलोय का रस ले लिया करो। गिलोय जहां तहां खूब मिलती है। उसकी टहनियों तोड़ के मिक्सी में गुमा दो और सुबह सुबह गिलोय का रस 20 – 25 मिलि. ले लिया करो। कैसा भी साइड इफेक्ट हुआ हो भाग जाएगा।
🍀 आरोग्य संजीवनी ☘️
पेट को अंदर करने के लिए- आपका पेट बाहर लटक रहा है और आप इसे अंदर करना चाहते हैं तो रात को दो टुकड़े गुड़ के खाकर ऊपर से गर्म पानी पी ले, आपको बता दें गुड के अंदर पोटेशियम, विटामिन b1, B6, विटामिन सी और मैग्नीशियम होता है जो एक्स्ट्रा कैलोरी बर्न करने में काफी मदद करता है|
गर्म पानी के साथ खाएं गुड़,.. जड़ से खत्म हो जाएंगी ये 3 बड़ी बिमारी …..
गुड़ खाने में मीठा होता है और यह खाने में भी स्वादिष्ट लगता है, लेकिन फिर भी बहुत से लोग इसके फायदों को नहीं जानते, गुड़ खाने से बहुत से फायदे होते हैं, यदि आप ठंड के मौसम में गुड़ का सेवन करते हैं तो आपका शरीर का संतुलन अच्छा बना रहता है, तो चलिए फिर जान लेते हैं सोने से पहले गुड़ खाकर एक गिलास गर्म पानी पीने से कौन-कौन से रोग खत्म हो जाते हैं|
पेट से जुड़ी समस्या- सोने से पहले एक टुकड़ा गुड खाकर ऊपर से गर्म पानी पीने से पेट से संबंधित परेशानी दूर हो जाती है, आपका सुबह के समय पेट साफ नहीं होता, कब्ज की शिकायत रहती है, तो ऐसे में आप इस उपाय को जरूर आजमाएं|
🌷 गुरु भक्ति योग 🌸
रामायण राम के जन्म से कई साल पहले लिखी जा चुकी थी | रामायण महाकाव्य की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की है। इस महाकाव्य में 24 हजार श्लोक, पांच सौ उपखंड तथा उत्तर सहित सात कांड हैं।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को, पुनर्वसु नक्षत्र में कर्क लग्न में हुआ था। उस समय सूर्य, मंगल, शनि, गुरु और शुक्र ग्रह अपने-अपने उच्च स्थान में विद्यमान थे तथा लग्न में चंद्रमा के साथ गुरु विराजमान थे। यह सबसे उत्कृष्ट ग्रह दशा होती है , इस घड़ी में जन्म बालक अलौकिक होता है।
जिस समय भगवान श्रीराम वनवास गए, उस समय उनकी आयु लगभग 27 वर्ष थी। राजा दशरथ श्रीराम को वनवास नहीं भेजना चाहते थे, लेकिन वे वचनबद्ध थे। जब श्रीराम को रोकने का कोई उपाय नहीं सूझा तो उन्होंने श्रीराम से यह भी कह दिया कि तुम मुझे बंदी बनाकर स्वयं राजा बन जाओ।4. रामायण के अनुसार समुद्र पर पुल बनाने में पांच दिन का समय लगा। पहले दिन वानरों ने 14 योजन, दूसरे दिन 20 योजन, तीसरे दिन 21 योजन, चौथे दिन 22 योजन और पांचवे दिन 23 योजन पुल बनाया था। इस प्रकार कुल 100 योजन लंबाई का पुल समुद्र पर बनाया गया। यह पुल 10 योजन चौड़ा था। (एक योजन लगभग 13-16 किमी होता है)।
सभी जानते हैं कि लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा की नाक काटे जाने से क्रोधित होकर ही रावण ने सीता का हरण किया था, लेकिन स्वयं शूर्पणखा ने भी रावण का सर्वनाश होने का श्राप दिया था। क्योंकि रावण की बहन शूर्पणखा के पति विद्युतजिव्ह का वध रावण ने कर दिया था। तब शूर्पणखा ने मन ही मन रावण को श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा।6. कहते हैं जब हनुमान जी ने लंका में आग लगाई थी, और वे एक सिरे से दूसरे सिरे तक जा रहे थे, तो उनकी नजर शनी देव पर पड़ गयी ! वे एक कोठरी में बंधे पड़े थे ! हनुमान जी ने उन्हें बंधन मुक्त किया ! मुक्त होने पर उन्होंने हनुमान जी के बल बुद्धी की भी परिक्षा ली और जब उन्हें यकीन हो गया कि वह सचमुच में भगवान रामचंद्र जी के दूत हनुमान जी हैं तो उन्होंने हनुमान जी से कहा कि “इस पृश्वी पर जो भी आपका भक्त होगा उसे मैं अपनी कुदृष्टि से दूर ही रखूंगा, उसे कभी कोइ कष्ट नहीं दूंगा ” ! इस तरह शनिवार को भी मदिरों में हनुमान चालीसा का पाठ होता है तथा आरती गाई जाती है !
जब खर दूषण मा रे गए, तो एक दिन भगवान राम चन्द्र जी ने सीता जी से कहा, “प्रिये अब मैं अपनी लीला शुरू करने जा रहा हूँ ! खर दूषण मारे गए, सूर्पनखां जब यह समाचार लेकर लंका जाएगी तो रावण आमने सामने की लड़ाई तो नहीं करेगा बल्की कोई न कोई चाल खेलेगा और मुझे अब दुष्टों को मारने के लिए लीला करनी है ! जब तक मैं पूरे राक्षसों को इस धरती से नहीं मिटा देता तब तक तुम अग्नि की सुरक्षा में रहो” ! भगवान् रामचंद्र जी ने उसी समय अग्नि प्रज्वलित की और सीता जी भगवान जी की आज्ञा लेकर अग्नि में प्रवेश कर गयी ! सीता माता जी के स्थान पर ब्रह्मा जी ने सीता जी के प्रतिबिम्ब को ही सीता जी बनाकर उनके स्थान पर बिठा दिया !8. अग्नि परीक्षा का सच :- रावण जिन सीतामाता का हरण कर ले गया था वे सीता माता का प्रतिबिम्ब थीं , और लौटने पर श्री राम ने यह पुष्टि करने के लिए कि कहीं रावण द्वारा उस प्रतिबिम्ब को बदल तो नहीं दिया गया , सीतामाता से अग्नि में प्रवेश करने को कहा जो कि अग्नि के घेरे में पहले से सुरक्षित ध्यान मुद्रा में थीं , अपने प्रतिबिम्ब का संयोग पाकर वे ध्यान से बाहर आईं और राम से मिलीं।
आधुनिक काल वाले वानर नहीं थे हनुमान जी :- कहा जाता है कि कपि नामक एक वानर जाति थी। हनुमानजी उसी जाति के ब्राह्मण थे।शोधकर्ताओं के अनुसार भारतवर्ष में आज से 9 से 10 लाख वर्ष पूर्व बंदरों की एक ऐसी विलक्षण जाति में विद्यमान थी, जो आज से लगभग 15 हजार वर्ष पूर्व विलुप्त होने लगी थी और रामायण काल के बाद लगभग विलुप्त ही हो गई। इस वानर जाति का नाम कपि
था। मानवनुमा यह प्रजाति मुख और पूंछ से बंदर जैसी नजर आती थी। भारत से दुर्भाग्यवश कपि प्रजाति समाप्त हो गई, लेकिन कहा जाता है कि इंडोनेशिया देश के बाली नामक द्वीप में अब भी पुच्छधारी जंगली मनुष्यों का अस्तित्व विद्यमान है।
विश्व में रामायण का वाचन करने वाले पहले वाचक कोई और नहीं बल्कि स्वयं भगवान श्री राम के पुत्र लव और कुश थे | जिन्होंने रामकथा स्वयं अपने पिता श्री राम के आगे गायी थी | पहली रामकथा पूरी करने के बाद लव कुश ने कहा भी था हे “पितु भाग्य हमारे जागे, राम कथा कहि श्रीराम के आगे”
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⚜️ द्वादशी तिथि के दिन तुलसी नहीं तोड़ना चाहिये। आज द्वादशी तिथि के दिन भगवान नारायण का पूजन और जप आदि करने से मनुष्य का कोई भी बिगड़ा काम भी बन जाता है। यह द्वादशी तिथि यशोबली अर्थात यश एवं प्रतिष्ठा प्रदान करने वाली तिथि मानी जाती है। यह द्वादशी तिथि सर्वसिद्धिकारी अर्थात अनेकों प्रकार के सिद्धियों को देनेवाली तिथि भी मानी जाती है। यह द्वादशी तिथि भद्रा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह द्वादशी तिथि शुक्ल पक्ष में शुभ तथा कृष्ण पक्ष में अशुभ फलदायिनी मानी जाती है।