धार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग मंगलवार, 22 जुलाई 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
मंगलवार 22 जुलाई 2025
22 जुलाई 2025 दिन मंगलवार को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष कि द्वादशी तिथि है। तो जैसा कि आप सभी जानते हैं की तारीख 21 जुलाई 2025 दिन सोमवार को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि थी जिसका आरंभ 20 जुलाई को दिन में 12:14 PM बजे दोपहर में हुआ था। और यह एकादशी तिथि 21 जुलाई सुबह 9:40 AM बजे तक थी। तो आज 22 जुलाई को कामदा एकादशी व्रत का प्रारंभ किया जाएगा। तो चलिए कामदा एकादशी व्रत के पारण का निर्णय देखते हैं। आज 22 जुलाई 2025 को पारण का समय सुबह 6:10 AM से 8:45 AM बजे तक है। इस समय के भीतर ही सभी उत्पन्ना एकादशी व्रतियो को एकादशी व्रत का पारण कर लेना चाहिए। आज मंगलवार का प्रदोष व्रत भी है। यह प्रदोष व्रत उनके लिए बहुत ही अच्छा है, जिनके ऊपर कर्ज बहुत ज्यादा हो गया है। आज दुर्गायात्रा – गौरीपूजा – हनुमान जी का दर्शन आदि बहुत ही श्रेयस्कर माना गया है। आज से।थायायीजययोग, द्विपुष्कर योग एवं यमघंट योग भी है।।
हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।
🌌 दिन (वार) – मंगलवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।
मंगलवार को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।
मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
👸🏻 शिवराज शक 352
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर वर्षा ऋतु
⛈️ मास – श्रावण मास
🌒 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – मंगलवार श्रावण माह के कृष्ण पक्ष द्वादशी तिथि 07:05 AM तक उपरांत त्रयोदशी तिथि 04:39 AM तक उपरांत चतुर्दशी
✏️ तिथि स्वामी – द्वादशी के देवता हैं विष्णु। इस तिथि को भगवान विष्णु की पूजा करने से मनुष्य सदा विजयी होकर समस्त लोक में पूज्य हो जाता है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र म्रृगशीर्षा 07:24 PM तक उपरांत आद्रा
🪐 नक्षत्र स्वामी – मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। और इसके अधिपति देवता चंद्र देव हैं ।
⚜️ योग – ध्रुव योग 03:31 PM तक, उसके बाद व्याघात योग
प्रथम करण : तैतिल – 07:05 ए एम तक गर – 05:51 पी एम तक
द्वितीय करण : वणिज – 04:39 ए एम, जुलाई 23 तक विष्टि
🔥 गुलिक काल : मंगलवार का गुलिक दोपहर 12:06 से 01:26 बजे तक।
🤖 राहुकाल (अशुभ) – दोपहर 15:19 बजे से 16:41 बजे तक। राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
⚜️ दिशाशूल – मंगलवार को उत्तर दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो कोई गुड़ खाकर यात्रा कर सकते है।
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:20:00
🌄 सूर्यास्तः- सायं 06:40:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:14 ए एम से 04:56 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 04:35 ए एम से 05:37 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 12:00 पी एम से 12:55 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:44 पी एम से 03:39 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:17 पी एम से 07:37 पी एम
🌌 सायाह्न सन्ध्या : 07:18 पी एम से 08:20 पी एम
💧 अमृत काल : 11:14 ए एम से 12:43 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:07 ए एम, जुलाई 23 से 12:48 ए एम, जुलाई 23
🌸 द्विपुष्कर योग : 05:37 ए एम से 07:05 ए एम
🚓 यात्रा शकुन-दलिया का सेवन कर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ अं अंगारकाय नम:।
💁🏻‍♀️ आज का उपाय-हनुमान मंदिर में पंचमुखा दीपक प्रज्जवलित करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय- खैर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – भद्रा/ द्विपुष्कर योग/ भौम प्रदोष व्रत/ केर पूजा (त्रिपुरा)/ राष्ट्रीय ध्वज दिवस, विश्व मस्तिष्क दिवस, राष्ट्रीय अभिभावक दिवस, राष्ट्रीय झूला दिवस, सरदार तेजा सिंह जन्म दिवस, प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायक विनायकराव पटवर्धन जन्म दिवस, हिंदी चलचित्र पार्श्व गायक मुकेश जयन्ती, मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस जन्म दिवस, भारतीय क्रिकेटर वसंत रंजने जन्म दिवस, पद्म भूषण से सम्मानित मुत्तू लक्ष्मी रेड्डी पुण्य तिथि, वरिष्ठ नेता अनंत कुमार जन्म दिवस, राष्ट्रीय आम दिवस (National Mango Day), राष्ट्रीय झंडा अंगीकरण दिवस” (National Flag Adoption Day)
✍🏼 तिथि विशेष – द्वादशी तिथि को मसूर की दाल एवं मसूर से निर्मित कोई भी व्यंजन नहीं खाना न ही दान देना चाहिये। यह मसूर से बना सभी व्यंजन इस द्वादशी तिथि में त्याज्य बताया गया है। द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री हरि नारायण भगवान को बताया गया है। आज द्वादशी तिथि के दिन भगवान नारायण का श्रद्धा-भाव से पूजन करना चाहिये। साथ ही भगवान नारायण के नाम एवं स्तोत्रों जैसे विष्णुसहस्रनाम आदि के पाठ अवश्य करने चाहिए। नाम के पाठ एवं जप आदि करने से व्यक्ति के जीवन में धन, यश एवं प्रतिष्ठा की प्राप्ति सहज ही होने लगती है।
🏘️ Vastu tips_ 🛕
पूजा स्थल पर भगवान शिव या भगवान शिव के परिवार की तस्वीर लगानी चाहिए। वास्तु के अनुसार भगवान शिव के परिवार की तस्वीरें उत्तर दिशा में लगानी चाहिए। घर में भगवान शिव और माता पार्वती की ऐसी प्रतिमा या तस्वीर लगानी चाहिए, जिसमें वह प्रसन्न मुद्रा में बैल पर विराजित हों। साथ ही अर्धनारीश्वर रूप की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।
भोलेनाथ को शमी की पत्ती अर्पित करना चाहिए। महादेव को शमी काफी जड़ा पसंद है।इससे वो प्रसन्न हो जाते हैं और आपको मनचाहा वरदान प्रदान करते हैं।इसके अलावा आपको पूरा सावन शमी के पौधे के नीचे भी दिया जलाना चाहिए ऐसा करने से आपको सुख समृद्धि प्राप्त होती हैं आपके सारे काम बनने लगते हैं।इसके साथ ही महादेव को आप चंदन और भस्म लगाना न भूले ये दोनों ही महादेव को प्रिय है।
❇️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद
क्या आप अपनी हार्ट हेल्थ को मजबूत बनाकर दिल से जुड़ी गंभीर और जानलेवा बीमारियों के खतरे को कम करना चाहते हैं? अगर हां, तो रोज करी पत्ते का पानी पीना शुरू कर दीजिए। ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए भी इस ड्रिंक को कंज्यूम किया जा सकता है।इसका मतलब ये है कि करी पत्ते के पानी में पाए जाने वाले तमाम पोषक तत्व डायबिटीज के पेशेंट्स के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
कैसे बनाएं करी पत्ते का पानी?
सबसे पहले करी पत्तों को अच्छी तरह से धो लीजिए। अब एक पैन में पानी निकाल लीजिए। इसके बाद पानी में करी पत्ते डालकर इसे अच्छी तरह से बॉइल होने दीजिए। जब ये ड्रिंक थोड़ी ठंडी हो जाए, तब आप इसे एक गिलास में छान सकते हैं। बेहतर परिणाम हासिल करने के लिए सुबह-सुबह खाली पेट करी पत्ते का पानी पीना शुरू कर दीजिए और आपको महज कुछ ही हफ्तों के अंदर खुद-ब-खुद पॉजिटिव असर दिखाई देने लगेगा।
🌿 आरोग्य संजीवनी ☘️
♦️त्रिकटु चुर्ण
♦️त्रिकटु तीन चीजों के समान अनुपात का संयोजन को कहते है। पिप्पली (लंबी काली मिर्च) + सौठ (सूखी अदरक) + मारीच (काली मिर्च)।
♦️यह स्वाद में तीखा, सूखा, खुरदुरा, हल्का और प्रकृति में गर्म होता है।
♦️यह वात, कफ और पित्त को संतुलित करता है।
♦️यह पाचन संबंधी समस्याओं, श्वसन संबंधी समस्याओं, संक्रमण, जोड़ों के दर्द, मोटापा, PCOD, फैटी लिवर और हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया में बहुत उपयोगी होता है।
♦️यह पाउडर और टैबलेट के रूप में उपलब्ध है।
♦️इसे आसानी से घर पर भी बनाया जा सकता है
♦️यह पानी, घी या शहद के साथ लिया जा सकता है।
♦️यह भूख में सुधार करता है। पाचन रस के स्राव को बढ़ाता है और पोषक तत्वों का अवशोषण करता है। कब्ज, सूजन, पेट फूलना और पेट में ऐंठन जैसी समस्याओं में उपयोगी होता है।
♦️यह श्वसन प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करता है। अन्य दवाओं के साथ लेने पर खांसी, सर्दी, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्या होने से रोकता तथा उपचार करता है।
♦️दिल, यकृत, प्लीहा और अग्न्याशय (Spleen and Pancreas) के लिए अच्छा होता है।
♦️सेवन
♦️इस पाउडर की 2 ग्राम मात्रा सुबह शाम हल्के गरम पानी से भी ले सकते है.
♦️भिन्न भिन्न रोगों मे इसको अलग अलग तरिके से इस्तेमाल किया जाता है…
📖 गुरु भक्ति योग
🕯️
हनुमान जी जिनसे सभी बल, बुद्धि, विद्या देने की कामना करते हैं। लेकिन मां को तो हर बात का ध्यान रखना होता है ना इसलिए हनुमान जी की शिक्षा के लिए उनकी माता बड़ी चिंतित थी।
सन्तान के चरित्र-निर्माण में माता की भूमिका आधारशिलास्वरूप होती है इसीलिए महीयसी “माता को प्रथम गुरु” का सम्मान दिया गया है।
अंजनादेवी परम सदाचारिणी, तपस्विनी एवं सद्गुण-सम्पन्न आदर्श माता थीं। वे अपने पुत्र श्रीहनुमानजी को श्लाघनीय तत्परता से आदर्श बालक का स्वरूम प्रदान करने की दिशा में सतत जगत और सचेष्ट रहती थीं।
पूजनोपरान्त और रात्रि में शयन के पूर्व वे अपने प्राणाधिक प्रिय पुत्र को पुराणों की प्रेरणाप्रद कथाएं सुनाया करतीं थीं। वे आदर्श पुरुषों के चरित्र श्रीहनुमानजी को पुनः-पुनः सुनातीं और अपने पुत्र का ध्यान उनकी ओर आकृष्ट करती रहतीं।
माता अंजनादेवी जब भगवान् श्रीरामजी के अवतार की कथा सुनाना प्रारम्भ करतीं, तब बालक श्रीहनुमानजी का सम्पूर्ण ध्यान उक्त कथा में ही केन्द्रित हो जाता। निद्रा एवं क्षुधा उनके लिए कोई अर्थ नहीं रखतीं। सहजानुराग से श्रीहनुमानजी पुनः-पुनः श्रीराम-कथा का श्रवण करते और खो जाते।
माता को चिंता सताने लगी। श्री हनुमानजी की आयु भी विद्याध्ययन के योग्य हो गई थी। माता अंजनीदेवी एवं वानरराज केसरी ने विचार किया- ‘अब हनुमान को विद्यार्जन के निमित्त किसी योग्य गुरु के हाथ सौंपना ही होगा। अतएव माता अंजना और कपीश्वर केसरी ने श्रीहनुमानजी को ज्ञानोपलब्धि के लिए गुरु-गृह भेजने का निर्णय किया।
अपार उल्लास के साथ माता-पिता ने अपने प्रिय श्रीहनुमानजी का उपनयन-संस्कार कराया और उन्हें विद्यार्जन के लिए गुरु-चरणों की शरण में जाने का स्नेहिल आदेश किया, पर समस्या यह थी कि श्रीहनुमानजी किस सर्वगुण-सम्पन्न आदर्श गुरु का शिष्यत्व अंगीकृत करें।
माता अंजना ने प्रेमल स्वर में कहा- ‘‘पुत्र ! सभी देवताओं में आदि देव भगवान् भास्कर को ही कहा जाता है और फिर, सकलशास्त्र मर्मज्ञ भगवान् सूर्यदेव तुम्हें समय पर विद्याध्ययन कराने का कृपापूर्ण आश्वासन भी तो दे चुके हैं। अतएव, तुम उन्हीं के शरणागत होकर श्रद्धा-भक्तिपूर्वक शिक्षार्जन करो।’’
श्रीहनुमान जी माता-पिता के श्रीचरणों में अपने सादर प्रणाम निवेदित कर आकाश में उछले तो सामने “सूर्यदेव के सारथि अरुण” मिले। श्रीहनुमानजी ने पिता का नाम लेकर अपना परिचय दिया और अरुण ने उन्हें अंशुमाली के पास जाने को कहा। आंजनेय ने अतीव श्रद्धापूर्वक भगवान् सूर्यदेव के चरणों का स्पर्श करते हुए उन्हें अपना हार्दिक नमन निवेदित किया।
विनीत श्रीहनुमानजी को बंद्धाजलि खड़े देख भगवान् भुवन भास्कर ने स्नेहिल शब्दों में पूछा- ‘बेटा ! आगमन का प्रयोजन कहो।’ श्रीहनुमानजी ने विनम्र स्वर में निवेदन किया- ‘प्रभो ! मेरा यज्ञोपवीत संस्कार सम्पन्न हो जाने पर माता ने मुझे आपके चरणों में विद्यार्जन के लिए भेजा है। आप कृपापूर्वक मुझे ज्ञानदान कीजिए।’
सूर्यदेव बोले- ‘‘बेटा ! मुझे तुम्हें अपना शिष्य बनाने में अमित प्रसन्नता होगी, पर तुम तो मेरी स्थिति देखते ही हो। मैं तो अहर्निश अपने रथ पर सवार दौड़ता रहता हूं। सूर्यदेव की बात सुनकर पवनपुत्र बोले-‘प्रभो ! वेगपूर्वक चलता आपका रथ कहीं से भी मेरे अध्ययन को बाधित नहीं कर सकेगा। हां आपको किसी प्रकार की असुविधा नहीं होनी चाहिए। मैं आपके सम्मुख रथ के वेग के साथ ही आगे बढ़ता रहूंगा।’
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⚜️ द्वादशी तिथि के दिन तुलसी नहीं तोड़ना चाहिये। आज द्वादशी तिथि के दिन भगवान नारायण का पूजन और जप आदि करने से मनुष्य का कोई भी बिगड़ा काम भी बन जाता है। यह द्वादशी तिथि यशोबली अर्थात यश एवं प्रतिष्ठा प्रदान करने वाली तिथि मानी जाती है। यह द्वादशी तिथि सर्वसिद्धिकारी अर्थात अनेकों प्रकार के सिद्धियों को देनेवाली तिथि भी मानी जाती है। यह द्वादशी तिथि भद्रा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह द्वादशी तिथि शुक्ल पक्ष में शुभ तथा कृष्ण पक्ष में अशुभ फलदायिनी मानी जाती है।

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