जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियों के तहत ज़ायद फसल एवं पराली प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न

ब्यूरो चीफ : भगवत सिंह लोधी
तेजगढ़ । स्मॉल ग्रांट प्रोग्राम (SGP) के 7 वें परिचालन चरण के अंतर्गत ऊर्जा और संसाधन संस्थान TERI (THE ENERGY RESOURCES INSTITUTE ) के सहयोग से नेशनल सेंटर फॉर ह्यूमन सेटलमेंटस एंड एनवायरमेंट (एन.सी.एच.एस.ई) भोपाल द्वारा दमोह जिले की तेंदूखेड़ा तहसील के ग्राम देवरी लीलाधर में 17 अप्रैल 2025 कृषकों का जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियों के तहत ज़ायद फसल एवं पराली प्रबंधन कार्यक्रम कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन में किया गया, कार्यक्रम की शुरुआत ब्रजेश सिंह किरार (कार्यक्रम समन्वयक) एनसीएचएसई भोपाल द्वारा कि गई जिसमें उन्होंने ऊर्जा और संसाधन संस्थान TERI व एन.सी.एच.एस.ई भोपाल द्वारा चयनित ग्रामो में चल रहे स्मॉल ग्रांट प्रोग्राम के कार्यो के बारे में बताया तथा भूमिहीन स्वयं सहायता समूह (SHG) महिला समूहों की आजीविका को सुदृढ़ करने व नियमित आय में वृद्धि के लिए बकरी पालन, मुर्गी पालन, नस्ल सुधार, हस्तशिल्प, अन्य स्थानीय उद्योग एवं उन्हें स्थानीय बाजार तक पहुंच, प्रोद्योगिकी उपयोग, बाजार और व्यवसाय के विस्तार के लिए विस्तार से जानकारी दी |
तत्पश्चात कृषि वैज्ञानिक बी.एल.साहू द्वारा ज़ायद सीजन में मूंग और उड़द की खेती के लिए, अच्छी भूमि चयन और तैयारी, बीज अंकुरण परिक्षण, उचित बुवाई, सही मात्रा में उर्वरक का उपयोग, और कीट एवं रोग प्रबंधन, बुवाई से पहले भूमि को तैयार करने के लिए गहरी जुताई करें और खरपतवारों को नियंत्रित एवं मूंग और उड़द दोनों के लिए बीज को उपचारित करना महत्वपूर्ण बताया और सही समय पर सिंचाई करने के लिए कहा गया, साथ ही शासन द्वारा दिये निर्देशों के तहत जिले में नरवाई में आग लगाने की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण तथा कृषकों को जागरूक करने के उद्देश्य से श्री साहू द्वारा बताया गया की पराली (नरवाई) जलाने से होने वाले नुकसान जैसे लाभदायक सुक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते, मृदा में उपस्थिति जैविक कार्बन नष्ट हो जाता है तथा मृदा सक्त एवम् कठोर होकर बंजर हो जाती हैं साथ ही पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव देखा जा रहा हैं, जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग जैसे समस्याएं उत्पन्न हो रही है उन्होंने किसान भाईयों से आग्रह किया की फसल अवशेष / पराली को किसी भी स्थिति में नही जलानी चाहिए एवं कृषक बिना जुताई किये हुए गेहूं की फसल की कटाई के बाद खड़ी पराली (नरवाई) में सीधे हेप्पी सीडर / सुपर सीडर से बोनी कर सकते है जिससे मृदा में जैविक कार्बन की मात्रा में वृद्धि तथा लागत में कमी आती है, पराली प्रबंधन हेतु अत्याधुनिक मशीनों (बेलर, रेकर, चौपर) के द्वारा पराली से बंडल बना कर उसका उचित प्रबंधन करना चाहिए | उसके पश्चात् कृषि विस्तार अधिकारी दुर्गेश पटेल द्वारा किसानों को मृदा परीक्षण और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लिए किसानों को सुझाव दिए जिसमे उन्होंने किसानो को अपने खेत के विभिन्न क्षेत्रों से मिट्टी के नमूने इकट्ठा कर, उन्हें कृषि विभाग की प्रयोगशाला में भेजने और मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्राप्त करने को कहा ओर बताया की यह कार्ड आपको मिट्टी की स्थिति और पोषक तत्वों की जानकारी देगा, जिससे आप आगामी में उचित उर्वरक और फसल बुवाई कार्य योजना बना सकते हैं अंत में संस्था एन.सी.एच.एस.ई. के उपनिदेशक अविनाश श्रीवास्तव द्वारा कार्यक्रम में पधारे सभी अधिकारियों एवं किसानों का आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम में एन.सी.एच.एस.ई दमोह टीम, जनप्रतिनिधि सरपंच इमरत सिंह, उपसरपंच नेपालसिंह, शिक्षक मनोहर सिंह ठाकुर शामिल हुए और लगभग 100 से अधिक महिला एवं पुरुष कृषक एवं गैर कृषक प्रतिभागियों ने भाग लिया, अंत में प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं को विशेषज्ञों ने जवाब देकर संतुष्ट किया |