धार्मिक

विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत 2025 पूजन विधि चंद्रोदय का समय एवं पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Astologar Gopi Ram : आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
|| जय श्री राधे ||
🔮 विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत 2025 पूजन विधि चंद्रोदय का समय एवं पूजा विधि और शुभ मुहूर्त……
🔘 HIGHLIGHTS
◻️ संकष्टी चतुर्थी का सनातन धर्म में अपना ही महत्व है।
◻️ यह पर्व भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है।
◻️ चतुर्थी एक महीने में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आती है।
🤷🏻‍♀️ हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजा करने का विधान है। वैशाख मास में आने वाली संकष्टी चतुर्थी को विकट संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। 16 अप्रैल बुधवार को आने वाली संकष्टी चतुर्थी के दिन 2 शुभ योग बनेंगे। भद्रा काल भी रहेगा लेकिन वो धरती पर नहीं स्वर्ग लोक में स्थित होगा। धरती वासियों पर इसका कोई भी अशुभ प्रभाव नहीं होगा। विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत की रात चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन होता है। इस व्रत के प्रभाव से घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। व्यक्ति के सभी मनोरथ और इच्छाएं पूर्ण होती हैं। आइए जानें है आचार्य श्री गोपी राम से पूजा का शुभ मुहूर्त
📅 अप्रैल संकष्टी चतुर्थी 2025 तारीख
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 16 अप्रैल दिन बुधवार को दोहपर 1 बजकर 16 मिनट से प्रारंभ होगी. इस तिथि का समापन 17 अप्रैल दिन गुरुवार को दोपहर 3 बजकर 23 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, अप्रैल का संकष्टी चतुर्थी व्रत 16 अप्रैल को रखा जाएगा।
⚛️ अप्रैल संकष्टी चतुर्थी पूजा का मुहूर्त 2025

आपको बता दिं कि जो लोग संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखेंगे, वे ब्रह्म मुहूर्त 04:25 ए एम से 05:10 ए एम के बीच स्नान कर सकते हैं। वहीं उसके बाद व्रत का संकल्प लें। साथ ही सूर्योदय के बाद विधि विधान से पूजा करें। वहीं विजय मुहूर्त 02:30 पी एम से 03:21 पी एम और अमृत काल 06:20 पी एम से 08:06 पी एम तक है। संकष्टी चतुर्थी को चांद निकलने का समय रात 10:00 बजे है।हालांकि, अलग-अलग शहरों में चांद निकलने के समय में थोड़ा अंतर हो सकता है।
🪐 बन रहे हैं 2 शुभ योग
अप्रैल की संकष्टी चतुर्थी के दिन 2 शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। आपको बता दें कि संकष्टी चतुर्थी को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बनेंगे। इन योगों में पूजा करने का दोगुना फल प्राप्त होता है। साथ ही कार्यों में सिद्धि मिलती है।
🔅 अप्रैल संकष्टी चतुर्थी 2025 भद्रा का समय

संकष्टी चतुर्थी को भद्रा भी लग रही है. उस दिन भद्रा सुबह में 05 बजकर 55 मिनट से दोपहर 01 बजकर 16 मिनट तक रहेगी. इस भद्रा का वास स्वर्ग लोक में है, इसलिए इसका दुष्प्रभाव धरती पर नहीं होगा. ऐसे में आप कोई भी कार्य कर सकते हैं, उसके लिए आपको पंचांग देखने की जरूरत नहीं है।
📖 संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
▪️ विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन सबसे पहले सुबह स्नान करें.
▪️ फिर स्वच्छ वस्त्र धारण कर शांत मन से व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
▪️ मंदिर को साफ करें और गणेश जी की मूर्ति को लाल या पीले कपड़े पर स्थापित करें.
▪️ यदि आपके पास मूर्ति नहीं है तो पूरी सुपारी को भगवान गणेश मानकर उसकी पूजा करें.
▪️ इसके बाद भगवान गणेश को पंचामृत से स्नान कराएं.
▪️ फिर साफ पानी से स्नान करें.
▪️ भगवान गणेश को सिंदूर, साबुत चावल, चंदन, धूप, गुलाल, फूल, दूर्वा और पवित्र धागा अर्पित करें.
▪️ अब उन्हें प्रसाद के रूप में उनकी पसंदीदा मिठाई मोदक खिलाएं.
▪️ शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें.
▪️ इसके बाद दीप और धूप जलाकर गणपति की आरती करें और अंत में व्रत समाप्त करें।
💦 व्रत का पारण कैसे करें: विकट संकष्टी चतुर्थी के व्रत का पारण करने के अगले दिन भी केवल सात्विक भोजन या फलाहार ही ग्रहण करें और तामसिक भोजन से परहेज करें। विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत खोलने के लिए चंद्रमा दर्शन और पूजन को जरूरी माना गया है। इस व्रत को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पूर्ण माना जाता है। चंद्रोदय के बाद अपनी सुविधा अनुसार अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें और अपनी मनोकामना के लिए पूजा अर्चना करें।

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