ज्योतिष

आज का पंचांग आज का पंचांग शुक्रवार, 01 मार्च 2024

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला मुख्यालय हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
शुक्रवार 01 मार्च 2024

01 मार्च 2024 : दिन शुक्रवार को कृष्ण मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि है। आज भद्रा भद्रा है परन्तु आज की यह भद्रा पाताल लोक एवं स्वर्ग लोक में विचरण कर रही है। साथ ही पाताल लोक एवं स्वर्ग लोक की भद्रा शभू और धनदायक मानी जाती है। आज पावन रवियोग भी है। आज शुक्रवार की नन्दा तिथि है। इसलिए आज शुक्रवार की नन्दा तिथि के वजह से सिद्धयोग का निर्माण हो रहा है, जो अत्यन्त ही शुभ है। आप सभी सनातनी बंधुओं को “शुक्रवार की नन्दा तिथि से निर्मित्त सिद्धयोग” की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें एवं अनन्त-अनन्त बधाइयाँ।।
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
🌌 दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन
🌐 संवत्सर नाम अनला
🔯 शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)
☸️ काली सम्वत् 5124
🕉️ संवत्सर (उत्तर) पिंगल
☣️ आयन – उत्तरायण
☀️ ऋतु – सौर बसन्त ऋतु
⛈️ मास – फाल्गुन मास
🌗 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष षष्टी तिथि पूर्ण रात्रि तक,
✏️ तिथि के स्वामी – षष्टी तिथि के स्वामी भगवान शंकर के पुत्र भगवान कार्तिकेय जी है।
💫 नक्षत्र : स्वाति 12.48 PM तक तत्पश्चात विशाखा
🪐 नक्षत्र के स्वामी :– स्वाति नक्षत्र के देवता वायु और सरस्वती जी और स्वामी राहु जी है ।
🔊 योग – ध्रुव योग 06:14 PM तक, उसके बाद व्याघात योग
प्रथम करण : – वणिज 15.33 AM तक
द्वितीय करण :- विष्टि 04.45 तक तत्पश्चात बव
🔥 गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
⚜️ दिशाशूल – शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है।यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल -दिन – 10:30 से 12:00 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 06:15:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 05:45:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 05:07 ए एम से 05:56 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 05:31 ए एम से 06:46 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 12:10 पी एम से 12:57 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 02:29 पी एम से 03:16 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 06:19 पी एम से 06:44 पी एम
🏙️ सायाह्न सन्ध्या : 06:21 पी एम से 07:35 पी एम
💧 अमृत काल : 05:12 ए एम, मार्च 02 से 06:56 ए एम, मार्च 02
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:08 ए एम, मार्च 02 से 12:58 ए एम, मार्च 02
❄️ रवि योग : 12:48 पी एम से 06:45 ए एम, मार्च 02
🚓 यात्रा शकुन-शुक्रवार को मीठा दही खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏽 आज का मंत्र-ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-लक्ष्मी में मखाने की खीर चढ़ाएं।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-गूलर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – यशोदा जयंती, शून्य भेदभाव दिवस, नीतिश कुमार जन्म दिवस, अंतर्राष्ट्रीय निगराणी कोष दिवस, अंतर्राष्ट्रीय व्हीलचेयर दिवस, ग्लोबल अनप्लगिंग दिवस, नेशनल डैडगम दैट गुड डे, सेंट डेविड डे, शेयर ए स्माइल डे, विश्व समुद्री घास दिवस, विश्व नागरिक सुरक्षा दिवस, राष्ट्रीय पोषण माह (1 से 31 मार्च)
✍🏼 विशेष – षष्ठी तिथि को तैल कर्म अर्थात शरीर में तेल मालिश करना या करवाना एवं सप्तमी तिथि को आँवला खाना तथा दान करना भी वर्ज्य बताया गया है। इस षष्ठी तिथि के स्वामी भगवान शिव के पुत्र स्वामी कार्तिकेय जी को बताया गया हैं। यह षष्ठी तिथि नन्दा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह षष्ठी तिथि शुक्ल एवं कृष्ण दोनों पक्षों में मध्यम फलदायीनी मानी जाती है। इस तिथि में स्वामी कार्तिकेय जी के पूजन से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। विशेषकर वीरता, सम्पन्नता, शक्ति, यश और प्रतिष्ठा कि अकल्पनीय वृद्धि होती है।
🗽 Vastu Tips 🗺️
वास्तु शास्त्र में आज हम बात करेंगे घर में पैसों की प्राप्ति और बरकत के बारे में। एक कांच के पात्र में या कटोरी में थोड़ा-सा मोटा नमक लें और उस कटोरी में नमक के साथ चार-पांच लौंग भी रखें। इसे आप घर के किसी भी एक कोने में रख सकते हैं। इस उपाय को करने से धन की आवक शुरू होगी और घर की चीजों में बरकत भी बनी रहेगी। कांच की कटोरी में नमक रखने से जहां एक तरफ घर में धन की कमी दूर होगी तो दूसरी तरफ पूरा घर एक अलग ही सुगंध से महक उठेगा और घर में सुख-शांति बनी रहेगी।
इसके अलावा यदि बाथरूम संबंधी कोई वास्तु संबंधी समस्या है तो कटोरी में क्रिस्टल नमक लेकर बाथरूम में ही किसी ऐसी जगह पर रख दें जहां पर किसी के हाथ उस पर न पड़े और कुछ-कुछ दिनों में कटोरी में से नमक को बदल दें। वास्तु के अनुसार, यदि आपके घर में भी कोई सदस्य बीमार है तो उस सदस्य के सोने के कमरे में सिरहाने पर एक कटोरी में सेंधा नमक के कुछ टुकड़े रख दें। बीमारी व्यक्ति का सिरहाना पूर्व दिशा की तरफ रख दें। वास्तु में इस उपाय को काफी कारगार बताया गया है।
♻️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
चरक संहिता की माने तो भोजन इस तरह खाएं जैसे पानी पी रहे हो और पानी ऐसे पिएं जैसे खाना खा रहे हो। इस प्रक्रिया से उदर में आहार, पाचक रस बनेगा, जो नवीन रक्त, वीर्य, शुक्राणु और सप्त धातु का निर्माण कर तन, मन को तंदरुस्त बनाएगा।
वर्तमान में भोजन करने के पुराने तरीके बदल गए हैं। सभी को जल्दी है। अन्नादि आहार ग्रहण करते समय वे ठीक से चबाने की जगह ठूंस कर मात्र उदर पूर्ति करते हैं।
फिर, खाना आंतों को पचाना पड़ता है और वे चिकनी होने लगती हैं। भोजन न पचने के कारण ही पेट में गैस, एसिडिटी बनती है, जो एक प्रकार से रसायनिक जहर है।
भोजन पचेगा, तो यकृत क्रियाशील होकर आगे का कार्य ठीक से कर सकेगा। रस, रक्त बनाएगा। समय पर भूख भी लगेगी।
मल कठोर सख्त नहीं होगा। पेट की बीमारी, कब्ज से बचाएगा। केवल खानपान का नियम बदलने से सभी 70 साल तक निरोगी रह सकते हैं।
आजकल ह्रदय रोग, उच्च रक्त चाप (बीपी/BP) की समय, मधुमेह या डायबिटीज, त्वचा रोग, ग्रंथि शोथ यानि थायराइड आदि असाध्य विकराल बीमारियां मात्र भोजन ठीक से न करने ही पनप रही हैं।
अधिकांश लोगों का पित्त असंतुलित है। इसी से मानसिक संतुलन बिगड़ रहा है। मन अशांत रहता है। स्वभाव क्रोधित, चिड़चिड़ा हो गया है।
रात को नींद नहीं आती। दिन भर आलस्य रहता है। चिंता, डर, भय, भ्रम ने नाड़ी कोशिकाओं को सख्त बना दिया, तो रक्त संचार अवरुद्ध हो गया है।
💉 आरोग्य संजीवनी 🩸
पेट के फ्लू से कैसे बचें?_
डिहाइड्रेशन से बचने के लिए, साफ तरल पदार्थ जैसे पानी, इलेक्ट्रोलाइट का घोल या जिंजर ड्रिंक लें।
बार-बार थोड़ा-थोड़ा पानी पिएं जिससे उल्टी रोकने में मदद मिल सकती है।
दूध, दही और पनीर जैसे डेयरी उत्पाद, कैफीन और शराब से बचें।
केले, चावल, सेब की चटनी जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें क्योंकि ये खाद्य पदार्थ आसानी से पच जाते हैं।
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
ऋषि मांडच्य दवारा यमराज को श्राप महा-भारत काल के समय एक बहुत ही तेजस्वी और प्रतापी ऋषि हुआ करते थे जिनका नाम था ऋषि मांडव्य… ऋषि मांडव्य ने अपने जीवन काल में कोई भी पाप कर्म नहीं किया था इसलिए अब वो मोक्ष की तैयारी में जुड़ गए थे… मगर इसी बीच एक दिन ऋषि मांडव्य के आश्रम में जब उनके शिष्यों ने पौधे लगाने के लिए ज़मीन की खुदाई की तो आश्रम की ज़मीन से बहुत सारा सोना निकलने लगा…जब ये बात राजा तक पहुंची तो उन्होंने ऋषि मांडव्य को पूर्व काल का डाकू समझकर पकड लिया… राजा ने ऋषि मांडव्य को प्रजा के सामने ही सूली पर चढाने का का आदेश दे दिया… किन्तु जल्लाद ने जितनी बार भी ऋषि मांडव्य को फांसी देनी चाही ऋषि मांडव्य मरे नहीं…फिर राजा को अपनी भूल का आभास हुआ और उन्होंने ऋषि के पैर पकड़कर उनसे क्षमा याचना कर ली…..मगर अब इधर ऋषि मांडव्य कुपित होकर काल देव के पास पहुँच गए और उनसे जानना चाहा कि उन्होंने जीवन में कभी कोई पाप नहीं किया फिर ऐसी अपमान की परिस्थिति क्यूँ बन गयी उनके साथ..? तब यमराज ने ऋषि मांडव्य को उस वक़्त का काल दिखाया जब वे १२ वर्ष के थे और उन्होंने खेल खेल में एक फतिंगे की पूँछ में सीक डालकर उसे उड़ाया था… काल देव के अनुसार ये उसी पाप का दंड था .. किन्तु ऋषि मांडव्य इसे पाप नहीं मानते क्यूंकि उस उम्र में बालक को पाप और
पुण्य का ज्ञान नहीं होता… ऋषि मांडव्य इसी बात से कुपित होकर काल देव को एक दासी के गर्भ से नीच जाती में जन्म लेने का श्राप दे देते हैं…कालान्तर में वही यमराज, नीतिवान विदूर के रूप में एक दासी के गर्भ से जन्म लेते हैं…
द्वापर युग में धरती पर ऐसा कोई नहीं था जो लोगों को निति -अनीति का ज्ञान देकर उन्हें उचित मार्ग पर लाते.. यमराज ने विदूर के रूप में हस्तिनापुर में जन्म लेकर उसी कमी को पूरा किया और उनकी विदूर नीतियाँ संसार भर में प्रसिद्ध हुई….
❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※
⚜️ षष्ठी तिथि यदि आपके उपर यदि मंगल कि दशा चल रही हो और आप किसी प्रकार के मुकदमे में फंस गये हों तो षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय स्वामी का पूजन करें। मुकदमे में अथवा राजकार्य से सम्बन्धित किसी भी कार्य में सफलता प्राप्ति के लिये षष्ठी तिथि को सायंकाल के समय में किसी भी शिवमन्दिर में षण्मुख के नाम से छः दीप दान करें। कहा जाता है, कि स्वामी कार्तिकेय को एक नीला रेशमी धागा चढ़ाकर उसे अपने भुजा पर बाँधने से शत्रु परास्त हो जाते हैं। साथ ही सर्वत्र विजय कि प्राप्ति होती है।
जिस व्यक्ति का जन्म षष्ठी तिथि को होता है, वह व्यक्ति सैर-सपाटा पसंद करने वाला होता है। इन्हें देश-विदेश घुमने का कुछ ज्यादा ही शौक होता है अत: ये काफी यात्राएं करते रहते हैं। इनकी यात्रायें मनोरंजन और व्यवसाय दोनों से ही प्रेरित होती हैं। इनका स्वभाव कुछ रूखा जैसा होता है। परन्तु ऐसे जातक छोटी छोटी बातों पर भी लड़ने को तैयार हो जाता हैं।

Related Articles

Back to top button