मध्य प्रदेश

महादेवी स्व- सहायता समूह कछारगांव बड़ा खरीदी केंद्र में नियमोें की उड़ाई जा रही धज्जियां

रिपोर्टर : सतीश चौरसिया
उमरियापान l खरीदी केंद्र महादेवी स्व- सहायता समूह कछारगांव बड़ा मे जब खरीदी के विषय में जानकारी ली गई तो बताया गया कि यहां साहूकारों का माल अत्यधिक एवं किसानो का माल कम खरीदी केंद्र में दिख रहा हैं। जिम्मेदारों की ऐसी मनमानी चल रही हैं कि मौसम खराब होने के बाद भी केंद्र में कोई व्यवस्था नही की गई, साहूकारों का खराब माल तौलकर अपनी जेब गर्म की जा रही हैं। साहूकारों से भी जमकर कमीशन लिया जाता हैं। कछारगांव बड़ा में धान कम बदरा ज्यादा दिखाई दे रहा हैं ऐसा लग रहा हैं जैसे जिम्मेदार उच्चाधिकारियों को चुनौती दे रहे हैं। किसानो की मांग हैं कि ऐसे जिम्मेदार लोग हमको नही चाहिए इसकी उच्चाधिकारियों से जांच होना चाहिए।जिले में धान गेहूं की खरीदी की व्यवस्थाएं स्थाई हैं।लेकिन यहां व्यवस्थाएं अस्थाई हैं। खरीदी केंद्रों में अपनी उपज को बेचने के लिए अपनी वर्ष भर की मेहनत को बेचने के लिए इंतजार करते अन्नदाता की नजर हमेशा आसमान की तरफ रहती है कि कहीं ऊपर वाला पानी न गिरा दे और उसकी वर्ष भर की मेहनत पर क्वालिटी का डंडा चलाकर प्रशासन उसकी फसल को रिजेक्ट न कर दे। यहीं नहीं किसान के अनाज को बेचे जाने के बाद भी रिजेक्ट कर दिया जाता है। ऐसे किसान जिले में बहुत अधिक हैं, जिनकी उपज बेचे जाने के बाद गोदामों से रिजेक्ट कर दी गई। अब किसान भुगतान के लिए चक्कर लगाते रहते हैं पर कछारगांव बड़ा के जिम्मेदारो को इन सबसे क्या मतलब वहां पर तो कोई व्यवस्था नही हैं। जिले में हर वर्ष दो बार खरीदी केंद्रों में किसान अपना धान, गेहूं लेकर पहुंचता है। यहां पर भी सारी व्यवस्थाएं अस्थाई ही होती हैं। बिजली कनेक्शन से लेकर अन्य व्यवस्थाएं भी अस्थाई हैं। धान और गेहूं के सीजन में खरीदी केंद्रों पर हजारों किसान अपनी धान लेकर पहुंचते हैं। यहां पर भी किसान के अनाज बेचने तक या बेचने के बाद बारिश सहित अन्य आपदाओं से बचाने के लिए कोई इंतजाम नहीं होते हैं। इन्ही सब भ्रष्टाचारो के कारण सरकार खरीदी केंद्रों का कम्पनियों से निजीकरण कर रही हैं।
उच्चाधिकारियों के द्वारा जांच का विषय
जानकार बताते हैं कि मिलर, खरीदी केंद्र प्रभारी और फर्जी किसानों का गिरोह खुलेआम कागजों में धान खरीदी के बाद उसके एवज में सरकार से मिलने वाली का बंदरबाट करते हैं। इसमें मिलर को बिना धान परिवहन के ही परिवहन राशि मिलने से अतिरिक्त लाभ होता है। धान की मात्रा के एवज में चावल जमा करने के लिए खराब धान सस्ते दर पर मंगवाई जाती है, इससे निम्न गुणवत्ता की धान जरुरतमंद परिवारों को आपूर्ति होती है। जिले में लगातार खरीदी केंद्रो में बाहर से धान आ रही हैं उच्चाधिकारी भी नजर खरीदी केंद्रों में बनाए हुए हैं। केंद्रों में कलेक्टर साहब के द्वारा जमकर कार्यवाही की जा रही हैं। जिले के बाहर से कम पैसें देकर धान को खरीदा जाता हैं और खरीदी केंद्रों में सरकार को ज्यादा पैसा में बेचा जाता हैं।
जिम्मेदारो की मनमानी के आगे किसान बेबस
किसानों से कमीशन के रूप में क्रय केंद्र पर मानक से ज्यादा धान की तौल की जा रही है।परन्तु यहां के जिम्मेदारो के द्वारा किसानों की बजाय बिचौलियों से खरीद किया जा रहा है। खराब मौसम को देखते हुए किसान भी मजबूरी में जिम्मेदारो की मनमानी के आगे बेबस दिख रहे है। उन्होंने कहा कि मानसून कभी भी बिगड़ सकता है। किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर जमकर कमीशन लिया जाता हैं।
स्व- सहायता समूह की महिलाएं रहती हैं नदारद, बिचौलियां कर रहे खरीदी
महादेवी स्व- सहायता समूह कछारगांव बड़ा खरीदी केंद्र में स्व- सहायता समूह की महिलाएं रहती हैं नदारद।बिचौलियों के द्वारा मनमानी ढंग से केंद्र को चलाया जाता हैं। आज- कल लोग व्यापार के माध्यम से स्व- सहायता समूह बना लेते हैं और स्व- सहायता समूह के नाम पर अपनी रोटियां शेक रहे हैं।उच्चाधिकारियों के द्वारा जांच का विषय हैं कि बिचौलियों को खरीदी केंद्रों में न घुसने दिया जाएं क्यूंकि घुसते ही कमीशन की बात करते हैं।

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