मध्य प्रदेश

मां बहनें ज्यादातर साहिबे निसाब होती हैं जिन पर जकात है : सामिद नदवी

ब्यूरो चीफ : शब्बीर अहमद
बेगमगंज । जकात साहिबे निसाब के लिए है जिसके पास साढ़े सात तोला सोना या साडे 52 तोला चांदी या दोनों को मिलाकर एक निशाब पूरा होता है उसको जकात निकालना जरूरी है। खास तौर से हमारे घरों में मां बहिनो के पास इतना जेवर होता है जिसकी कीमत 43 हजार के करीब हो जाए उन पर जकात निकालना जरूरी है। जकात के बारे में हमें उलेमा से मालूमात करना चाहिए।
ढाई परसेंट का हिसाब जकात का है एक लाख रुपए पर ढाई हजार रुपए जकात निकाली जाती है।
‌ उक्त बात मरकज मस्जिद के पेश इमाम मौलाना सामिद खां नदवी ने उपस्थित लोगों को जकात के बारे में रसमझाइश देते हुए कहीं। उन्होंने जकात नहीं देने वालों पर अल्लाह की पकड़ के बारे में भी विस्तार से बताया।
जकात निकालकर मुस्तहिक तक पहुंचाना
भी जरूरी बताते हुए कहा कि सबसे पहले अपने रिश्तेदार जो गरीब हैं उन्हें जकात दें। मां बाप और ऊपर के रिश्ते और औलाद व उससे नीचे के रिश्तेदारों को जकात नहीं दी जा सकती उसके बारे में भी तफ्सील से बताया। भाई भाई को बहन को और किन रिश्तेदारों को जकात दी जा सकती है उसके बारे में भी जानकारी देकर जकात अदा करने की नसीहत की। उन्होंने बताया कि जिस निसाब में आने के बाद जिस रकम पर साल गुजर गई उस पर जकात जरूरी है। उसके बाद गरीबों और मदारिस में भी जकात दी जा सकती है के बारे में जानकारी दी। जकात देने से माल कम नहीं होता बल्कि जकात निकाला हुआ माल सुरक्षित रहता है इसे कुरआन और हदीस की रोशनी में समझाया।
इसी तरह साहिबे निसाब पर सदकए फितर ईद की नमाज से पहले पहले देना जरूरी है 1 किलो 633 ग्राम गेहूं या उसकी कीमत जो तकरीबन ₹40 बनती है अदा करना जरूरी बताया और कहा कि रमजान में ही अदा कर दें ताकि गरीब अपनी जरूरत के मुताबिक सामान खरीद कर ईद की खुशियां मना सकें। ‌

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