धार्मिक

मेष संक्रांति कब? जानिए तिथि, पुण्य काल और महा पुण्य काल का समय

Astologar Gopi Ram : आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
🙏🏻Զเधे👣Զเधे🙏🏻
🌞 मेष संक्रांति कब? जानिए तिथि, पुण्य काल और महा पुण्य काल का समय
🔮 HEADLINES
🌾 मेष संक्रांति के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं.
🌾 वैशाखी को फसलों का त्योहार कहते हैं, यह सुख और समृद्धिदायक होता है.
📜 ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, सूर्य जल्द ही मेष राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं, जिस वजह से इसे मेष संक्रांति कहा जाएगा। आमतौर पर मेष सक्रांति वैशाख मास में या अप्रैल मास में पड़ती है।
📚 हिंदू धर्म में मेष संक्रांति का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन खरमास समाप्त हो जाता है और मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। बता दें कि मेष संक्रांति के दिन धार्मिक कार्य, पूजा-पाठ, स्नान-दान इत्यादि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं, आचार्य श्री गोपी राम के पुत्र नीरज आचार्य से मेष संक्रांति की तिथि, मुहूर्त, पुण्य काल और महा पुण्य काल की अवधि।
⚛️ मेष संक्रांति 2023 तिथि और मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मेष संक्रांति 14 अप्रैल 2023, शुक्रवार के दिन पड़ रहा है। मेष संक्रांति का पुण्य काल सुबह 10 बजकर 55 मिनट से शाम 06 बजकर 46 मिनट तक रहेगा और महा पुण्य काल दोपहर 01 बजकर 04 मिनट से शाम 05 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। बता दें कि इस विशेष दिन पर सूर्य दोपहर 03 बजकर 12 मिनट पर मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश कर रहे हैं, जिसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा।
💥 मेष संक्रांति 2023 फल
आचार्य श्री गोपी राम के पुत्र नीरज आचार्य के अनुसार, मेष संक्रांति को शुभ माना जाता है। गोचर अवधि में धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही लोगों को स्वास्थ्य लाभ होता है और राष्ट्रों के बीच संबंध मधुर होते हैं। साथ ही वस्तुओं की लागत सामान्य हो जाती है और अनाज भंडार में वृद्धि होती है।
🐑 मेष संक्रांति 2023 महत्त्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मेष संक्रांति के दिन से सौर नव वर्ष शुरू हो जाता है। इस विशेष दिन पर स्नान, दान, जप, तप और तर्पण आदि करने से व्यक्ति को धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। बता दें कि इस विशेष दिन पर मधुसूदन भगवान की पूजा करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है और साथ ही इस दिन से विवाह, मुंडन, गृह-प्रवेश इत्यादि सभी मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। पंजाब में इस दिन वैशाखी और असम में बिहू पर्व मनाया जाता है।
🤷🏻‍♀️ मेष संक्रांति पर कर सकते हैं ये शुभ काम
👉🏽 मेष संक्रांति पर्व पर पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। जो लोग नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
👉🏽 स्नान के बाद घर सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाना चाहिए। जल चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें। इसके बाद सूर्य देव की विशेष पूजा करें। सूर्य देव के लिए गुड़ का दान करें।
👉🏽 संक्रांति पर स्नान के बाद पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि शुभ काम भी करना चाहिए। दोपहर में गाय के गोबर से बना कंडा (उपला) जलाएं और जब उससे धुआं निकलना बंद हो जाए, तब उस पर पितरों का ध्यान करते हुए गुड़-घी अर्पित करें। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर पितरों को जल अर्पित करें।
👉🏽 इस दिन स्नान के बाद पूजा-पाठ करें और फिर जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं। धन, अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल, छाता, गुड़, गेहूं दान करें।
👉🏽 जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक नहीं है, उन्हें संक्रांति पर सूर्य देव के लिए पूजा-पाठ जरूर करना चाहिए। सूर्य नौ ग्रहों का राजा है और इस वजह से सूर्य देव की कृपा से कुंडली के कई दोष शांत हो सकते हैं और कार्यों में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं।

Related Articles

Back to top button