2 किलोमीटर की सड़क नेताओं की खोखले वायदे , सड़क ग्रामीणों के लिए बनी जी का जंजाल

ब्यूरो चीफ : शब्बीर अहमद
बेगमगंज । तहसील की ग्राम पंचायत शाहपुर सुल्तानपुर के ग्राम खमरिया कलां के लोगों की तकदीर जैसे धूल और कीचड़ में ही लिखी गई है। खमरिया कलां से बंदियाखेड़ा होते हुए उमरहारी, डुंगरिया और शाहपुर को जोड़ने वाला ये 2 किलोमीटर का रास्ता ये सिर्फ़ एक सड़क नहीं, खमरिया के किसानों की खेतों तक पहुँचने की जीवन रेखा है। लेकिन बरसों से ये पथरीली राह उनके सब्र की परीक्षा ले रही है। गर्मी में उड़ती धूल आंखों में जलन बनकर चुभती है और बरसात में कीचड़ कीचड़ नहीं, एक सज़ा बन जाती है। कहने को ग्रामीणों ने दर्जनों बार आवेदन दिए, नेताओं के सामने हाथ जोड़े, लेकिन मिला क्या? सिर्फ़ आश्वासन — वो भी हर चुनाव से पहले, जैसे वोट के बदले सपनों की सौदेबाजी हो रही हो। गाँववालों ने हार नहीं मानी। कई बार श्रमदान कर कच्ची सड़क को अपने खून-पसीने से सँवारा, लेकिन पक्की सड़क का वादा हर बार सिर्फ वायदा ही रह गया। अब सवाल उठता है — क्या दो किलोमीटर की सड़क बनवाना सरकार के लिए इतना मुश्किल है ? या फिर ये गाँव अब भी वोट बैंक के आंकड़ों से आगे नहीं बढ़ पाया ? ग्रामीण आज भी पक्की सड़क के लिए तरस रहे हैं। क्या कोई सुनेगा इनकी आवाज, या फिर ये सड़क भी किसी नेता की स्पीच का हिस्सा बनकर रह जाएगी ?