श्रीमद्भागवतकथा के छठे दिन श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह का प्रसंग
सिलवानी।सिलवानी के निकटस्थ ग्राम रमपुरा खुर्द में चल रही श्री शिव परिवार, हनुमत प्राण प्रतिष्ठा एवं श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन श्रीकृष्ण- रुक्मिनी विवाह का प्रसंग सुनाया गया। छठे दिन व्यास व्यास पर विराजमान कथावाचक नगर खेरापती पंडित नरेश शास्त्री ने रास पांच अध्याय का वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें से गाये जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। कथा में भगवान का मुहूर्त, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के अजर में विद्या ग्रहण करना, कालवन का वध, उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुक्णी विवाह के संबंध का संगीतमय भपूर्ण पाठ किया गया । कथा के दौरान पंडित नरेश शास्त्री ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला के द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का मिलन हुआ। जीव और ब्रह्म के मिलने को ही महारास कहते हैं। इस मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामवासी एवं क्षेत्रवासी उपस्थित रहे। बुधवार को कथा का समापन विशाल भंडारे के साथ होगा।