धार्मिक

मांस के टुकड़ों को प्रसाद में बदलने वाली मां हिंगलाज देवी, 500 साल पहले पाकिस्तान से मप्र लाए थे महात्मा भगवानदास महाराज

रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन।
रायसेन जिले के बाड़ी तहसील मुख्यालय पर स्थित है मां हिंगलाज देवी का प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर मठ। यहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती है। निःसन्तान दंपत्ति की खाली गोद भी भरती है। लगभग 500 साल पहले यहां के संत भगवान दास पाकिस्तान के बलूचिस्तान से लाए थे ।मां हिंगलाज को यहां तब से लेकर आज तक मां हिंगलाज देवी के दरबार में सभी भक्तों की मनोकामना होती है पूरी।
मां हिंगलाज देवी का मंदिर पूरे भारत वर्ष में केवल रायसेन जिले के बाड़ी में स्थित है। यहां हिंगलाज देवी मां विराजमान है और भारत देश के 52 शक्तिपीठों में से एक हैं। इस स्थान का अलग ही महत्व है यहां भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण कराने आते हैं और मां की कृपा से खुश होकर जाते हैं।व हीं इस मंदिर का इतिहास बताता है कि लगभग 500 वर्ष पहले यहां के संत भगवान दास जी पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मां हिंगलाज देवी के दर्शन करने जा रहे थे कि एक रात रास्ते में उन्हें सपना आया कि मां कह रही हैं कि मुझे यहां से ले जाकर बाड़ी रायसेन में स्थित हिंगलाज देवी की स्थापना कर दो। तब महात्मा भगवान दास ने मां हिंगलाज देवी को यहां लाकर मठ में स्थापित किया था ।तब से लेकर आज तक मां भक्तों की हर दुख पीड़ा को हरती हैं।
एक बार भोपाल नवाब हमीद उल्लाह साहब की बेगम सिकंदरा को उनके अधीनस्थ कर्मचारियों ने बताया कि बाड़ी के पास हिंगलाज देवी का स्थान है, जहां के संत भगवान दास अपने आपको मां का परम भक्त बताते हैं। तब बेगम सिकंदरा ने संत भगवान दास की और हिंगलाज देवी मां की परीक्षा लेनी चाही थी। उन्होंने एक बार मांस के टुकड़ों को थाल में सजाकर मां के दरबार में भोग लगाने भेजा था ।लेकिन संत भगवान दास महाराज ने करीब 200 मीटर पहले ही अपने शिष्यों को बोला कि यह जल थाल पर छिड़क देना और कहना कि प्रसाद चढ़ गया है और यह थाल बेगम सिकंदरा के सामने ही खोलना।
भोपाल नवाब के सिपाही जब बेगम सिकंदरा के पास पहुंचे और उन्होंने उस थाल को खोला तो, देखा की मां हिंगलाज माता ने साक्षात मांस के टुकड़ों को प्रसाद में बदल दिया है। इसके बाद बेगम सिकंदरा ने अपनी गलती मानी थी । इसके बाद मातारानी की शक्ति और भक्ति से प्रभावित होकर भोपाल से बाड़ी के हिंगलाज मंदिर तक की पदयात्रा की और इसके पश्चात ही करीब 100 एकड़ जमीन मंदिर समिति को दान में दी थी। वही मंदिर के मुख्य पुजारी का कहना है कि करीब 500 साल पुराने इस मंदिर में सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है दूर दूर से भक्त यहां आते है।कहते हैं इस मंदिर में आकर मां हिंगलाज से जो भी भक्त मन्नतें मांगते हैं वह मुराद जरूर पूरी होती है। वही मंदिर के शास्त्री पुजारी कहते हैं कि यहां खाकी अखाड़े का अलग महत्व है। खाकी अखाड़े के संत भगवान दास महाराज मां हिंगलाज को बाड़ी लेकर आए थे ।तब से लेकर आज तक मां हिंगलाज देवी सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं।

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