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हरदौल पर आधारित फिल्म को मुंबई में मिला सम्मान

फिल्म फेयर इंडिया इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट शॉर्ट फिल्म क्रिटिक्स के अवार्ड से नवाजा गया
ब्यूरो चीफ : भगवत सिंह लोधी
दमोह। फिल्मफेयर इंडिया इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल जो कि मुंबई में आयोजित हुआ और इसकी अवार्ड सेरेमनी 14 मार्च को मुंबई में आयोजित हुई, मुंबई में प्रसिद्ध फिल्म उद्योग की हस्तियों के समक्ष आयोजित इस फ़िल्म समारोह में लगभग देश-विदेश की 300 से ज्यादा फिल्मों को शामिल किया गया। इस अवसर पर डॉ रश्मि जेता तथा उनकी टीम द्वारा बनाई गई एक ऐतिहासिक फिल्म ओरछा इज़ हरदौल अलाइव को सर्वश्रेष्ठ शॉर्ट फिल्म क्रिटिक के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ज्ञात हो कि इसके पूर्व इस फिल्म को सिंगापुर, कोलकाता, चेन्नई तथा अन्य फिल्म फेस्टिवल्स में सर्वश्रेष्ठ शॉर्ट फिल्म का सम्मान प्राप्त हो चुका है। वही पहले देश के प्रसिद्ध फिल्मफेयर द्वारा 2023 की 20 सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में भी इस फिल्म को नामित किया गया था। इस अवार्ड सेरेमनी में फिल्म के डायरेक्टर डॉ रश्मि जेता के अलावा फिल्म के मुख्य कलाकार मनीष सोनी एवं जूही सोनी भी शामिल हुई, इस फिल्म से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण सदस्यों में नरेंद्र अठ्या तथा सुदीप्ति खरे भी समारोह के दौरान उपस्थित रहे। फ़िल्म ओरछा- इज़ हरदौल अलाइव (क्या हरदौल जिंदा है) देश विदेश में विभिन्न फिल्म समारोह में शामिल हो चुकी है दरअसल ओरछा के राजा जुझार सिंह के छोटे भाई हरदौल पर बनी यह फिल्म बुंदेलखंड में प्रचलित कहानीयो और इतिहास को समेटे हुए निर्माता रश्मि जेता और निर्देशक डॉ रश्मि जेता द्वारा बनाया गया है। जिसकी अधिकांश शूटिंग ओरछा में ही हुई थी फिल्म मानवीय रिश्तों के महत्व को बताने वाली और बुंदेलखंड के समृद्ध इतिहास को विश्व पटल पर पहुंचने वाली एक सशक्त कहानी है। हाल ही में मिले इस अवार्ड ने यह साबित कर दिया है की बुंदेलखंड के इतिहास को अगर इस रूप में दुनिया के सामने रखा जाए तो इसे मान सम्मान अवश्य मिलता है लाला हरदौल बुंदेलखंड के स्थानीय देवता के रूप में पूजे जाते हैं हम सभी जानते हैं शादी ब्याह से पहले सबसे पहला निमंत्रण लाला हरदौल को दिया जाता है जिनमें त्याग और बलिदान की कहानी को इस फिल्म के जरिए निर्माता निर्देशक ने विश्व पटेल पर रखा और बुंदेलखंड की समृद्ध परंपरा, प्रतिष्ठा और अटूट पारिवारिक रिश्तों को एक नए अंदाज में फिल्मांकन किया, और नई ऊंचाईयो तक पहुंचा गया है।
इस फ़िल्म में राहुल तिवारी, शनि परोचे, धर्मेन्द्र यादव, हरप्रसाद अहीरवाल, अज्जू ठाकुर, दिनेश ठाकुर की विशेष भूमिका रही। इस टीम के द्वारा पहले भी बुंदेलखंड के कई सशक्त मुद्दों को उठाया गया जिसमें खजुराहो पर आधारित फिल्म खजुराहो की बोलती दीवारे, जिसमें नारी सशक्तिकरण को पूरी ताकत के साथ रखा गया, वहीं राई नृत्य पर आधारित फिल्म द कर्ड्स क्वीन का निर्माण भी इसी टीम द्वारा किया गया था, फिल्म निर्माण के क्षेत्र में जहां इन्होंने अर्थपूर्ण सिनेमा बनाकर अपनी बुंदेलखंड की परंपराओं को विश्व पटल पर रखा वही विभिन्न संस्थाओं द्वारा इन्हें दिया गया सम्मान यह साबित कर रहा है की विश्व के नक्शे में बुंदेलखंड और बुंदेली परंपरा का स्थान सबसे अलग सबसे ऊंचा है। जिनको सम्मान दिलाने का जरिया ये फिल्मे साबित हो रही है।

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