श्री श्री 108 कुंडात्मक श्री राम महायज्ञ संपन्न
ब्यूरो चीफ : शब्बीर अहमद
बेगमगंज । रायसेन जिले के बेगमगंज के करीब संतों की तपो भूमि भरत दास जी के आश्रम में पंडित राम जी शास्त्री महाराज के मुखारविंद से संगीतमय कथा का श्रवण कराया जा रहा है।
श्री राम कथा में सती संवाद, भगवान बाल रूप के बारे में संगीतमय कथा श्रवण का लोक अभिभूत हो रहे हैं।
शास्त्री जी ने कथा के दौरान बताया कि पुराणों में भगवान शंकर को शिव इसलिए कहते हैं, क्योंकि वे निराकार शिव के समान है। निराकार शिव को ही शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है। ज्यादातर जगहों पर भगवान शंकर को योगी के रूप में दिखाया जाता है कई जगह देखा जाता है कि भगवान शंकर खुद आंखें बंद किए ध्यान मुद्रा में बैठे हैं। कभी सोचा है कि आखिर देवाधिदेव महादेव किसका ध्यान कर रहे हैं, तो इसको लेकर अलग-अलग कथाएं हैं। रामचरित मानस में भगवान शिव और श्रीराम को एकदूसरे का उपासक बताया गया है। शिवपुराण में खुद भगवान शिव माता पार्वती को बताते हैं कि वह श्रीराम का ध्यान करते हैं। वहीं कुछ पुराणों में बताया जाता है कि भगवान शंकर शिव का ध्यान करते रहते हैं, कुछ जगहों पर भगवान शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए भी चित्रित किया गया है। इससे भी साफ होता है कि शिव और शंकर दो अलग सत्ताएं हैं।
मान्यता है कि भगवान शिव स्वयंभू हैं यानी खुद ही प्रकट हुए हैं, लेकिन पुराणों में उनकी उत्पत्ति का विवरण मिलता है। विष्णु पुराण के अनुसार, जहां भगवान विष्णु ब्रह्माजी की नाभि से उत्पन्न हुए थे। वहीं भगवान शिव विष्णु जी के माथे के तेज से उत्पन्न हुए, विष्णु पुराण के मुताबिक, माथे के तेज से उत्पन्न होने के कारण ही शिव-शंभू हमेशा योगमुद्रा में रहते हैं वहीं भगवान शिव से एक और मान्यता जुड़ी है कि नंदी और महाकाल भगवान शंकर के द्वारपाल हैं और रुद्रदेवता शंकर की पंचायत के सदस्य हैं।
उक्त कथा के बीच में संगीतमय भजनों की प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया चारों ओर जंगलों और खेतों के समीप तपोभूमि में चल रही संगीत में कथा को सुनने के लिए दूर-दूर से भक्त पहुंच रहे हैं और धर्म लाभ अर्जित कर रहे हैं। यहां पर कथा 2 मई तक प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक आयोजित होगी।