ज्योतिष

ग्रह परिवर्तन: 30 साल बाद स्व राशि में लौट रहे शनि, मिथुन, तुला वाले रहें चौकन्ने

मीन राशि में साढ़े साती शनि का प्रकोप होगा शुरु, ग्रह परिवर्तन- शनि के राशि परिवर्तन का इंसान के जीवन से गहरा संबंध

रिपोर्टर : शिवलाल यादव
रायसेन।
ग्रह नक्षत्र शनि 30 साल बाद कुंभ राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं।शनि के इस राशि परिवर्तन के बाद मीन राशि में शनि की साढ़े साती शुरू होगी। जबकि मिथुन और तुला राशि वाले शनि की ढैय्या के दायरे में आ जाएंगे। नवग्रह शनिधाम मन्दिर के पुजारी पण्डित राजू जोशी, सुनील जोशी ने बताया कि शनिदेव किसी जातक पर मेहरबान हो जाएं तो उसका जीवन सुखों से भर सकते हैं।लेकिन शनि की टेढ़ी नजर धनवान के भंडार भी खाली कर सकती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि के राशि परिवर्तन का इंसान के जीवन से गहरा संबंध होता है। सभी ग्रहों में शनि सबसे धीमी गति से राशि बदलता है।ये ढाई वर्ष में एक बार राशि बदलता है। शनि इस वक्त मकर राशि में हैं और 2022 में यह अपनी स्व राशि कुंभ में गोचर करेंगे।
आचार्य पं.राममोहन चतुर्वेदी
के मुताबिक, सूर्य पुत्र शनि 29 अप्रैल 2022 को कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. शनि ढाई साल में एक बार राशि बदलते हैं। इस हिसाब से शनि 30 साल बाद स्व राशि कुंभ में लौट रहे हैं। शनि इस राशि के स्वामी भी हैं।शनि का राशिचक्र 30 महीने यानी ढाई साल में पूरा होता है। ज्योतिष की मानें तो साल 2022 में शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करते ही धनु राशि के जातक शनि की साढ़े साती से मुक्त हो जाएंगे जबकि मीन राशि में इसके पहले चरण की शुरुआत हो जाएगी।
कुंभ राशि वालों के लिए साढ़े साती का दूसरा चरण शुरू हो जाएगा। मकर राशि में इसका आखिरी चरण प्रारंभ होगा।वहीं अगर हम शनि की ढैय्या की बात करें तो साल 2022 में गोचर के बाद कर्क और वृश्चिक राशि के जातक ढैय्या के दायरे में आ जाएंगे। इसलिए ज्योतिष इन दोनों राशियों के जातकों को संभलकर रहने की सलाह दे रहा है। इसके अलावा, मिथुन और तुला राशि के जातकों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी।
शनि देव की प्रतिमा का तेल से अभिषेक…
यदि कोई जातक शनि की साढ़े साती या ढैय्या के नकारात्मक प्रभाव से ग्रसित है तो इससे निजात पाने के उपाय भी बताए गए हैं।शनि के प्रकोप से बचने के लिए शनिवार को शनि देव की प्रतिमा पर सरसों का तेल चढ़ाएं। पीपल के वृक्ष की पूजा करें। शनि की प्रतिमा और पीपल के सामने दीपक जलाएं।शनि से संबंधित वस्तुएं जैसे कि तेल, लोहा, काली मसूर, काले जूते, काले तिल, कस्तूरी आदि का दान करें। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है. मान्यता है कि मनुष्य के शुभ-अशुभ कर्मों का फल शनि देव प्रदान करते हैं।
पण्डित राजू जोशी ने बताया कि बुरे कर्म करने वालों को शनिदेव के क्रोध का सामना करना पड़ता है वहीं जो लोग परोपकारी होते हैं।शनि की कृपा से उनके जीवन से हर कष्ट का अंत हो जाता है।नौकरी और व्यापार पर चल रहे संकट भी दूर होते हैं। ऐसे में अगर आप भी शनिदेव को खुश करना चाहते हैं तो हर शनिवार के दिन आपको निम्न खास मंत्र और उपाय करने चाहिए।

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