जब संक्रमित न के बराबर तब होगी डेल्टा प्लस वैरिएंट की खोजबीन, प्रदेश सरकार के निर्णय के बाद हरेक जिलों में होनी है जीनोम सिक्वेंसिंग, जांच नमूने भेजे जाएंगे दिल्ली।
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन।
रायसेन। कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट की जांच के लिए अब रायसेन जिले से जांच सेंपल भी दिल्ली भेजे जाएंगे।मालूम हो कि मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट से पीड़ित मरीजों के सामने आ जाने के बाद इस तरह की कवायद की जा रही है। हालांकि यह संक्रमण फिलहाल पूरी तरह से कंट्रोल में है। इसकी टेस्टिंग के लिए एक क्राइटेरिया भी सीमित है। लिहाजा जांच के लिए भी नमूने जुटाना भी आसान नहीं हो रहा है। जानकारों का कहना है कि अगर यही जांच और खोजबीन पहले शुरू कर दी गई होती तो परिणाम और कारगर साबित होते।
प्रदेश सरकार में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी और चिकित्सा मंत्री विश्वास सारंग के मध्यप्रदेश के सभी 52 जिलों में जीनोम सिक्वेंसिंग कराने के फैसले के बाद रायसेन जिले से भी नमूनों को एनएसडीसी दिल्ली भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हम आपको यह बता दें कि मध्यप्रदेश में अब तक डेल्टा प्लस के 11 मामले सामने आ चुके हैं।अभी तक प्रदेश के 25 जिलों में ही जांच सैंपल भेजकर जीनोम सिक्वेंसिंग की जांच की जा रही थी।उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने डेल्टा प्लस को वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया है। यानि कि इसे भी गंभीर श्रेणी में रखा है।।
ये है वायरस का क्राइटेरिया …..
- कोरोना के गंभीर मरीज।
- दोबारा संक्रमित होने वाले कोरोना पीजिटिव मरीज।
- वैकशीनेशन के बाद चपेट में आने वाले।
- लंबे समय तक अस्पतालों में दाखिल रहने वाले मरीज।
- दूसरी गंभीर बीमारियों पीड़ितों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर।
इस तरह करेंगे चयन
स्वास्थ्य विभाग से मिले निर्देशों के अनुसार जिला अस्पताल रायसेन की वायरोलॉजी लैब से कोरोना संक्रमितों के नमूने भेजे जाएंगे। लैब प्रभारी डॉ बीबी गुप्ता ने बताया कि निर्धारित क्राइटेरिया में जो भी जांच सैंपल आएंगे। उन्हें जल्द ही जांच के लिए दिल्ली भेजा जाएगा। हरेक15 दिनों में 6 जांच नमूने भेजे जाएंगे। यह जांच नमूने पहले भोपाल जाएंगे। इसके बाद प्रदेश के अन्य जिलों से आए नमूनों के साथ रायसेन जिले के नमूनों की जांच नमूने भी दिल्ली भेजे जाएंगे।
संक्रमित सीमित तो चयन कैसे करेंगे…..
मेडिकल ऑफिसर डॉ यशपाल सिंह बाल्यान, डॉ एमएल अहिरवार के मुताबिक जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए ऐसे 6 मरीजों के जांच नमूने चुने जाते हैं जो निर्धारित क्राइटेरिया पर खरे साबित हो। फिलहाल वायरोलॉजी लैब के विशेषज्ञों के सामने फिलहाल यही चुनोती है। ऐसे में उन मरीजों को भी चुनना है जिनमें डेल्टा प्लस से जुड़े कोई लक्षण हो इससे निपटना आसान नहीं होगा।
क्या है जीनोम सिक्वेंसिंग
जीनोम सिक्वेंसिंग एक तरह से किसी भी वायरस का बायोडाटा होता है। कोई वायरस कैसा है, किस तरह दिखता है इसकी जानकारी जीनोम से मिलती है। इसी वायरस के विशाल समूह को जीनोम कहते हैं। वायरस के बारे में जानने की विधि कोजीनोम सिक्वेंसिंग कहते हैं। कोरोना वायरस आरएनए से बना है। जीनोम सिक्वेंसिंग में इस बात की स्टडी की जाती है कि वायरस ने समय के साथ अपने ब्ल्यू प्रिंट में क्या बदलाव किए हैं। जैसे कि यह पहले से और भी आक्रामक हुआ है या कमजोर पड़ा है।
एक्पर्ट व्यू….
मेडिकल विशेषज्ञों का साफ कहना है कि कोरोना का असर फिलहाल कम हुआ है खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में लोगों को संयम और सावधानी पूर्वक तरीके से रहना होगा। कोरोना प्रोटोकॉल के नियमों गाइड लाइन का भी पालन करना होगा। घर से बाहर निकलने पर फेस मास्क लगाना अनिवार्य होगा। सोशल डिस्टनसिंग का कड़ाई से पालन करना होगा।