मध्य प्रदेश

सीएमएचओ की हठधर्मिता गुंडागर्दी, नियम एक, पैमाने दो, एक को अनुमति, दूसरे की सेवा समाप्त

रायसेन। कहते हैं जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो फिर क्या करें,ऐसा ही मामला रायसेन जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ दिनेश खत्री के द्वारा किया जा रहा है यहां डॉक्टर दिनेश खत्री की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगते नजर आ रहे हैं कारण है। और डॉ अपने ही जाल में खुद फसते नजर आ रहे है। CMHO डॉ दिनेश खत्री ने मंडीदीप के गंगा मल्टी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की सेवा महज इसलिए समाप्त कर दी क्योंकि यह अस्पताल डॉ दिनेश खत्री की भ्रस्टाचार की इच्छा पूरी नहीं कर पाया। सेवा समाप्ति का कारण जो डॉक्टर दिनेश खत्री ने बताया है उसमें उन्होंने गंगा अस्पताल मैं ईटीपी प्लांट और फायर एनओसी का ना होना बताया है, लेकिन जमीनी हकीकत पर जब अस्पताल का निरीक्षण किया गया तो पता चला कि रायसेन जिले का सबसे बड़ा ईटीपी प्लांट और फायर एनओसी सिर्फ गंगा अस्पताल मंडीदीप के पास ही है, जबकि सीएमएचओ डॉ खत्री ही द्वारा अभी हाल ही में बेगमगंज में एक निजी अस्पताल सहारा को बिना ईटीपी प्लांट और फायर एनओसी के रजिस्ट्रेशन दे दिया है जबकि इन्ही को आधार बनाकर गंगा अस्पताल का रजिस्ट्रेशन समाप्त किया है अब इस मामले में डॉ दिनेश खत्री की जमकर किरकिरी हो रही है,और दिनेश खत्री खुद अपने ही किए फेंके गए जाल में खुद फंसते नजर आ रहे हैं।इसे डॉक्टर दिनेश खत्री की अनुभवहीनता और गुंडागर्दी नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे। अब गंगा अस्पताल के संचालक कोर्ट जाने की बात कर रहे हैं ताकि उनको न्याय मिल सके।दो अस्पतालों के लिये दो अलग अलग नियम कई सवाल खड़े करते है?
मंडीदीप के गंगा अस्पताल में बीते दिनों जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दिनेश खत्री द्वारा कई कमियां निकाली, जवकि अस्पताल के मालिक जो कि फ़ौज से रिटायर डॉक्टर रणविजय सिंह है ने साफ तौर पर कैमरे के सामने कहा में डॉ दिनेश खत्री की अपेक्षा पूरी नही कर सका और मेरी हैसियत नही है की में उनकी इतनी बड़ी इक्छा पूरी कर सकता था इसलिये मेरे अस्पताल की सेवा समाप्त कर दी गयी है,डॉ रणविजय ने आगे कहा कि महज एक अस्पताल को टारगेट कर उसे बन्द करने की कार्यबाही की गई है जबकि जिले भर में दर्जनों ऐसे अस्पताल है जो बगेर किसी मापदण्ड के चल रहे है उन अस्पतालों की तरफ दिनेश खत्री जी की नजर क्यो नही जाती है।जहां सरकार छोटे छोटे गाव, कस्बो में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के उद्देश्य से अस्पताल खोलने की प्रक्रिया सरल कर रही है तो दूसरी तरफ दिनेश खत्री जैसे अधिकारी अपनी जेब भरने के लिए इन अस्पताल संचालको को परेशान कर रहे है।
देखा जाए तो जिले में एक भी प्राइवेट अस्पताल ऐसा नही है जो मानकों पर खरा उतरे लेकिन अपने ही घर मे स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही है इसलिए लोग उँगली नही उठाते वरना जिला स्वाथ्य अधिकारी जरा बताए अकेले रायसेन जिला मुख्यालय का जिला अस्पताल अपना बेस्ट मटेरियल कहा डिस्पोज़ करते है और जिले के प्रायवैट अस्पतालों में बेस्ट मटेरियल डिस्पोजल की क्या व्यवस्था है।नही बता पाएंगे क्योकि किसी अस्पताल में ऐसी कोई व्यवस्था नही है।
मंडीदीप के गंगा अस्पताल के बंद होने से लोगों का कहना है कि गरीबों की मदद करने वाला एक मात्र अस्पताल गंगा अस्पताल था जिसमें बेहतर सुविधाएं है और इस अस्पताल ने कोरोनाकाल मे भी देश की सेवा की और कोरोना के मरीजो को भी बेहतर इलाज दिया इस कारण ही लगभग सभी मरीज स्वस्थ होकर अपने घर पहुंचे थे।वही लोग इसे जलन की भावना और दुर्भाग्यपूर्ण बता रहे हैं तो बहुत जल्द स्वास्थ्य मंत्री से निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं,और डॉक्टर दिनेश खत्री की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहे हैं।वही आपको बता दें कि डॉ दिनेश खत्री को जिले में जूनियर डॉक्टर होने के बाद भी प्रभारी सीएमएचओ का पद दिया गया है जबकि जिले में कई सीनियर डॉक्टर है जो प्रभारी सीएमएचओ का पद संभाल सकते हैं। डॉक्टर दिनेश खत्री की कार्यप्रणाली हमेशा विवादों में रही है अब देखना यह होगा कि स्वास्थ्य मंत्री कब तक इस मामले को दबाने की कोशिश करेंगे या डॉक्टर दिनेश खत्री पर कार्रवाई करेंगे यह तो समय बताएगा।

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