मध्य प्रदेश

सरकारी स्कूलों में खेल सामग्री खरीदी में करोड़ों का घोटाला, शुरू हुआ शिकवा शिकायतों का दौर

ग्रामीणों ने उठाई घोटाले के जांच की मांग
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन।
जिले के शासकीय स्कूलों में करोड़ों की खेल सामग्री खरीदी में कमीशनखोरी और भ्र्ष्टाचार का मामला सामने आया है। अब ग्रामीणों व अभिभावकों ने विभागीय स्तर पर बड़े पैमाने पर हुए करोड़ों के घोटाले की जांच की मांग कलेक्टर अरविंद कुमार दुबे, स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से की है।
दरअसल रायसेन जिले के सभी शासकीय प्रायमरी, मिडिल और हाई स्कूल, हायर सेकंडरी स्कूल में छात्र छात्राओं के लिए शासन के आदेश पर खेल सामग्री खरीदने के आदेश दिए गए थे। आदिम जाति कल्याण विभाग जिला शिक्षा विभाग और जिला शिक्षा केन्द्र रायसेन द्वारा शासकीय प्रायमरी और मिडिल स्कूल सहित शासकीय हाई स्कूल हायर सेकंडरी स्कूलों में खेल सामग्री की खरीदी करने के आदेश जारी किए गए थे। लेकिन कुछ सरकारी स्कूलों में खेल सामग्री खरीदी गई है। तो कहीं खेल सामग्री का कहीं कुछ पता नहीं है।
हालांकि सरकारी स्कूलों में खेल सामग्री खरीदने के यह आदेश विभागीय स्तर लगभग 2 साल पूर्व आए थे। लेकिन पता चला है कि सैकड़ों सरकारी स्कूलों में खेल सामग्री क्रय तक नहीं की गई है। जहां खेल सामग्री खरीदी जा चुकी है, वहां मापदंडों का जरा सा भी ख्याल नहीं रखा गया। मनमानी व लापरवाही का आलम यह है कि आदिवासी अंचलों में गांवों के स्कूलों में बजाय लकड़ी के बेट बल्ला गेंद प्लास्टिक के खरीदे गए हैं।इस तरह खेल सामग्री खरीदी के मामले भारी गड़बड़ी और घोटाले किए गए हैं। इस मामले की शिकवा शिकायतों को जिम्मेदार विभाग के आला अधिकारियों से कर घोटाले की जांच की मांग की है।
विभाग से यह मिले थे आदेश…..
मप्र राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल से शासकीय प्राथमिक स्कूल को 5 हजार रुपये, मिडिल स्कूल को 10 हजार और हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल 25-25 हजार रुपये की खेल सामग्री एसएमसी के नाम खेल सामग्री खरीदने के लिए आदेश दिए गए थे।
बताया यह जा रहा है कि जिले की बहुत सी प्रायमरी व मध्यत्मिक शालाओं में प्लास्टिक की खेल सामग्री भेज दी गई है। इन शाला प्रभारियों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमसे तो 5 से 10 और 25 हजार रुपये के चैक साइन कर लिए गए थे। बाद में प्लास्टिक के गेंद बल्ले सहित अन्य प्लास्टिक खेल सामग्री सप्लाई कर दी गई है। खेल सामग्री खरीदी में हुई लाखों करोड़ों रुपये की कमीशनखोरी अधिकारियो ने गुपचुप तरीके से कर ली गई है। गड़बड़ी के मामले सामने आने के बाद इसके लिए विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी बीएसी बीआरसी और प्राचार्यों की एक संयुक्त टीम जांच के लिए बनाई गई है।
ऐसी है खेल सामग्री…..
हालांकि खेल सामग्री सभी सरकारी स्कूलों में भेजी जाना थी। शहरी क्षेत्र के स्कूलों की मॉनिटरिंग कराए जाने के बाद सभी खेल सामग्री पहुचने की जानकारी सामने आई है। रायसेन शहरी क्षेत्र के स्कूलों में कहीं लकड़ी के बल्ले बाल टी कहीं प्लास्टिक की बाल बल्ले सहित अन्य प्लास्टिक की सामग्री और बड़े बच्चों के लिए इन डोर आउट डोर सामग्री शामिल है। जबकि पता चला है कि जिले के आदिवासी अंचलों के स्कूलों में कहीं प्लास्टिक की खेल सामग्री तो कहीं खेल सामग्री भेजी तक नहीं गई है।
अब तक यह हो चुका…..
शासकीय प्राथमिक, मिडिल स्कूलों में 5 से 10 हजार और हाई स्कूल हायर सेकंडरी स्कूलों में 25-25 हजार रुपये के चैक प्राचार्यों से लेकर आला अधिकारियों ने कमीशनखोरी के बाद प्लास्टिक की खेल सामग्री स्कूलों में भेजी गई है। इस तरह घटिया खेल सामग्री सप्लाई को लेकर घोटाले की जांच की मांग जब उठी तो अधिकारी लीपापोती करने में जुट गए हैं।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है……
प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी एमएल राठौरिया का इस मामले में कहना है कि शासकीय हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में जो खेल सामग्री भेजी गई थी । उसकी बारीकी से जांच कराई जा चुकी है। वहीं डीपीसी सीबी तिवारी का कहना है कि प्रायमरी मिडिल क्लास की खेल सामग्री खरीदी की जांच पड़ताल चल रही है।

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