भगवत प्राप्ति के लिए निश्चय और परिश्रम भी जरूरी हैं : पं. पीलेश कृष्ण शास्त्री
भागवत कथा में रुकमणी विवाह का प्रसंग सुनाया
रिपोर्टर : सतीश मैथिल
सांचेत । कस्बा सांचेत में रायसेन जिला अध्यक्ष राकेश शर्मा के निज निवास पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन कथा ब्यास अचार्य पंडित पीलेश कृष्ण शास्त्री ने श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह प्रसंग सुनाया
भागवत कथा की व्यास पीठ पर कथावाचक आचार्य पीलेश कृष्ण शास्त्री ने पंच अध्याय का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाये जाने वाले पंच गीत, भागवत के पंच प्राण हैं, जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है। वह भव पार हो जाता है। उसे वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती हैं। महाराज ने कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, उद्धव-गोपी संवाद, द्वारका की स्थापना, रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया। आस्था और विश्वास के साथ भगवत प्राप्ति आवश्यक हैं। भगवत प्राप्ति के लिए निश्चय और परिश्रम भी जरूरी हैं। भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। कथा के दौरान भक्तिमय संगीत ने श्रोताओं को आनंद से परिपूर्ण किया। उन्होंने कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। कथावाचक ने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती हैं। कथा वाचक ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश हैं। कथा के दौरान स्वामी ने ग्रामीणों को विश्व हिंदू परिषद के हितचिंतक अभियान के बारे में जानकारी देते हुए परिषद से जुड़कर राष्ट्रभक्ति को मजबूत करने का आह्वान किया।