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जहां फॉगिंग-छिड़काव किया, वहां भी कम नहीं हुए मरीज: ये फॉगिंग सिर्फ धुआं है क्योंकि 4 महीने में लाखों खर्च; फिर भी 150 को डेंगू, चिकनगुनिया 70 मरीजों के पार

पिछले साल डेंगू के 74 और चिकनगुनिया के 32 मरीज थे
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन। रायसेन शहर सहित जिले भर में की जा रही फॉगिंग स्प्रे महज धुआं साबित हो रही है। शहर में पिछले चार महीने से की जा रही फाॅगिंग और छिड़काव पर अब तक करीब 3 लाख रुपये से ज्यादा खर्च हो चुका है। लेकिन शहर में न तो मच्छर कम हुए और न डेंगू-चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या। उल्टा संक्रमण की रफ्तार ऐसी है कि शहर में डेंगू मरीजों की संख्या बढ़कर 150 और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या बढ़कर 74 के पार पहुंच गई है।
ये स्थिति तब है जबकि शहर में जिला मलेरिया कार्यालय, नगर पालिका परिषद के साथ मिलकर विशेष अभियान चला रहा है। जिन रायसेन जोन के वार्डों में सर्वाधिक मरीज निकल रहे हैं, उन इलाकों में खासकर टीमें लगाकर फॉगिंग और छिड़काव किया जा रहा है। लेकिन, इन सबके बावजूद शहर में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
नियम यह कहता है…..
जहां मरीज मिलता है उसके आसपास के 50 घरों में फॉगिंग की जाती है। लेकिन बार-बार इन्हीं इलाकों में मरीज मिल रहे हैं। दिनभर में फॉगिंग और छिड़काव के लिए एक एएचओ के पास 10 से 12 कॉल पहुंचते हैं। यानी 19 एएचओ के हिसाब से यह आंकड़ा 200 पर पहुंचता है।
6 जोन में निकले 60 फीसदी मरीज…
शहर में 60 प्रतिशत से ज्यादा मरीज तो 6 जोन में ही मिले हैं। जबकि, इन्हीं इलाकों में लगातार फॉगिंग की जा रही है। पिछले साल डेंगू के 150 और चिकनगुनिया के 74 मरीज थे। लेकिन इस बार मरीजों की संख्या कई गुना ज्यादा है। यानी संक्रमण की रफ्तार तेज है।
400 लीटर डीजल रोज फूंक रही 5 गाड़ियां…..,
शहर में फॉगिंग का जिम्मा नगर पालिका, जिला मलेरिया विभाग को दिया गया है। इसके लिए 3 बड़ी मशीन के साथ-साथ प्रत्येक जोन में हाथ से चलने वाली एक मशीन भी दी गई है। इनको रोज 400 लीटर डीजल और 100-,150 लीटर भी पेट्रोल दिया जाता है।
यहां फॉगिंग जारी- फिर भी अगस्त से मिल रहे मरीज…..,
यह शहर में गंदी बस्ती क्षेत्र के कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां अगस्त से बार-बार मरीज मिल रहे हैं। जिला मलेरिया कार्यालय और नगर पालिका का अमला यहां लगातार फॉगिंग कर रहा है।
इस संबंध में डॉ. दिनेश खत्री सीएमएचओ रायसेन का कहना है कि डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या रायसेन में दूसरे शहरों के मुकाबले बेहद कम है। यह स्थिति फॉगिंग और कीटनाशकों के छिड़काव के कारण ही है। यह कहना ठीक नहीं कि फॉगिंग और कीटनाशकों का छिड़काव उपयोगी साबित नहीं हो रहा है।

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