गौसेवा के नाम पर प्रदेश स्तर पर एनजीओ के माध्यम से चल रहा फर्जीवाड़ा
1962 पशुधन संजीवनी योजना के डेमो परीक्षण से पूर्व मौखिक आदेश पर चल रहे एनजीओ के फर्जीवाड़ा का हुआ खुलासा
सिलवानी। सिलवानी सहित मध्यप्रदेश में पशु पालन विभाग एवं भारत फायनेंसियल इन्क्लूसिव लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से 1962 पशुधन संजीवनी के नाम से योजना संचालित है। इसी तरह की योजना केन्द्र सरकार द्वारा संचालित किया जाना प्रस्तावित है। इसी कड़ी में षुक्रवार की सुबह सिलवानी में एनजीओ संचालक ने बिना लिखित आदेश के सरकारी कार्यालयों का उपयोग कर उक्त योजना का सफल क्रियान्वयन का डेमो परीक्षण एवं प्रचार-प्रसार हेतु संस्था के अधिकारी विडियो शूटिंग के माध्यम से केन्द्र सरकार के समक्ष रखना चाहते थे। डेमो की जानकारी सिलवानी पशु पालकों एवं गौसेवकों को मिली तो पशु चिकित्सालय में जमकर हंगामा हुआ।
जानकारी के अनुसार 1962 पशुधन संजीवनी योजना के प्रदेश प्रभारी असद अहमद एवं सिलवानी ब्लाक के प्रभारी डाॅक्टर योगेन्द्र गौर द्वारा सिलवानी तहसील जिला रायसेन में योजना का संचालन किया जा रहा है। डेमो की जानकारी पशुपालकों एवं गौसेवकों को जब यह जानकारी प्राप्त हुई कि 1962 पशुधन संजीवनी नाम की कोई योजना क्षेत्र में संचालित है जिसके संचालक एवं प्रभारी डाॅक्टर शुक्रवार की सुबह शासकीय पशु पालन विभाग सिलवानी में अपने योजना का डेमो परीक्षण कर रहे है। तो योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए पशु पालन विभाग में एकत्रित हुए। जब योजना के बारे में प्रदेश प्रभारी असद अहमद एवं प्रभारी डाॅक्टर योगेन्द्र गौर से पूछा गया तो वह किसी भी जानकारी नहीं दे पाए। न ही योजना से संबंधित किसी प्रकार का लिखित आदेश उनके पास प्राप्त हुआ, मामले को गंभीरता से लेते हुए गौसेवकों ने आक्रोश व्यक्त किया जिसकी जानकारी पशु पालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को प्राप्त हुई तो आनन फानन में मध्यप्रदेश के डारेक्टर एनिमल हास्वेडरी द्वारा पशु पालन विभाग में उक्त योजना के डेमो परीक्षण एवं प्रचार प्रसार हेतु संस्था के अधिकारियों द्वारा वीडियो शूटिंग का लिखित आदेश ईमेल के माध्यम से भेजा गया। जिसे प्राप्त करने के लिए स्थानीय पशुपालन विभाग सिलवानी के प्रभारी डाॅक्टर सतीश चौरे पशु चिक्तिसालय में उपस्थित नहीं थे। जबकि पशु पालकों से प्राप्त जानकारी से यह स्पष्ट हुआ कि 1962 पशुधन संजीवनी नाम की किसी भी प्रकार की योजना क्षेत्र में संचालित नहीं है।
बताया जाता है 1962 पशुधन संजीवनी योजना लगभग दो साल पूर्व प्रारंभ की गई थी और एक साल तक सिलवानी में उक्त योजना संचालित रही, एक साल पूर्व वाहन मालिक को उक्त योजना को बंद करने की बात कर बिना लिखित आदेष के बंद कर दी गई थी। लगभग एक साल से सिलवानी ब्लाक में योजना बंद है। और शुक्रवार को प्रायवेट वाहन क्रमांक एमपी 38 सीए 0844 को 1962 संजीवनी वाहन का रूप देकर पशु चिकित्सालय में डेमो बनाया गया। इस बीच हंगामा बढ़ने पर पुलिस पहुंच गई और दोनों पक्षों को थाने आना पड़ा और काफी गहमागहमी रही। और ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर डेमो बनाये जाने की जानकारी है।
इस संबंध में क्षेत्र प्रांत मठ मंदिर प्रमुख महेष नामदेव, मुकेश साहू, लवलेश रैकवार, श्रीप्रकाश श्रीवास्तव, वीरेन्द्र साहू, राहुल यादव, विकास यादव, आकाश यादव, यश कुलकर्णी, शुभम यादव आदि गौसेवकों ने बताया कि 1962 पशुधन संजीवनी योजना पिछले एक साल से बंद है। क्षेत्र में गायों के दुर्घटना एवं बीमार होने से आकाल मौत हो जाती है परंतु योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। और उक्त योजना के प्रभारी डाॅ. योगेन्द्र गौर एवं एनजीओ की मिलीभगत से कागजों में संचालित की जा रही है।
ज्ञातव्य है कि 1962 पषु संजीवनी योजना के तहत पूर्व में पशु पालक के फोन लगाने पर घर पहुंचकर पशु का इलाज किया जाता था और 150 रूपये शुल्क लिया जाता है और जिसकी रसीद भी दी जाती थी।
इस संबंध में 1962 पशु संजीवनी योजना के प्रभारी डाॅ. योगेन्द्र गौर का कहना है कि योजना के अंतर्गत ग्रामीण पशु पालकों को घर पहुंच पशु चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। मीडिया के इस सवाल पर कि कितने पशु पालकों को अभी तक लाभ प्राप्त हुआ है इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करा पाए।
वही संचालक पशुपालन एवं डेरी विभाग मध्यप्रदेश शासन के मोबाइल 9425487280 एवं विनोद अग्रवाल उपसंचालक रायसेन का मोबाइल 9425394394 कॉल किया गया, परन्तु रिसीव नही किया गया।