सतयुग में तप से, त्रेता में यज्ञ से, द्वापर में दान से जो फल मिलता है, वो कलियुग में केवल ‘राम’ नाम स्मरण से ही उस फल की सहज प्राप्ति हो जाती है : जगतगुरु स्वामी रामस्वरूपाचार्य
श्रीराम कथा द्वितीय दिवस
सिलवानी। राम नाम के जप से ही जीव की जन्म जन्मांतर की समस्त आधि-व्याधि दूर हो जाती है और प्रभु शरण गति की प्राप्ति हो जाती है। भगवान श्री कृष्ण श्री राम कण-कण में व्याप्त है मनुष्य के अंदर भक्ति भाव दया हो तो भगवान हर जगह प्रकट हो जाते है, फिर भी मनुष्य भगवान का भजन नहीं करता। भगवान का मिलना तो सरल है लेकिन मनुष्य का सहज और सरल होना बड़ा कठिन है भगवान के नाम की
कलियुग में श्रीराम नाम की महिमा अपार है। इसके जाप मात्र से ही मनुष्य अपनी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। जो मनुष्य भौतिक सुख-सुविधाओं में लीन होकर ईश्वर को भूल जाता है उसे मृत्यु के अंत में पछताना पड़ता है।
राम नाम की महिमा अनंत सदाशिव भोले शंकर भी राम नाम जपते रहते हैं इसी नाम का वो हर प्रहर जाप करते रहते है। संसार चल ही राम नाम से रहा है। सूर्य, चन्द्रमा, अग्नि, वायु सभी में जो शक्ति है वो सब राम नाम की हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में राम नाम का बहुत महत्व है तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा है कि प्रभु के जितने भी नाम प्रचलित हैं उनमें सर्वाधिक श्रीफल देने वाला नाम राम का ही है। राम नाम सबसे सरल और सुरक्षित है और इसके जप से लक्ष्य की प्राप्ति निश्चित रूप से होती है। जगदगुरु स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने कहा कि भगवान शिव व पार्वती का मूल स्वरूप श्रद्धा व विश्वास है। शब्द ब्रह्मा होता है और शब्द को संभाल कर बोलना चाहिए। जीवन में अभिमान की शून्यता आ जाए तो श्रद्धा अपने आप आ जाएगी। उन्होंने कहा कि जीवन में राम नाम का बहुत महत्व है। जीवन के हर पल और हर क्षण में राम नाम चलन रहता है। बच्चे के जन्म में श्री राम के नाम का सोहर होता है। विवाह आदि मांगलिक कार्यों के अवसर पर श्री राम के गीत गाए जाते हैं। यहां तक कि मनुष्य की अंतिम यात्रा में भी राम नाम का ही घोष किया जाता है। राम सब में बड़े हैं तथा राम में शिव और शिव में राम विद्यमान हैं। श्री राम को शिव का महामंत्र माना गया है और राम सर्वमुक्त हैं। राम सबकी चेतना का सजीव नाम है। श्री राम अपने भक्त को उसके हृदय में वास करके सुख सौभाग्य प्रदान करते हैं। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा है कि प्रभु के जितने भी नाम प्रचलित हैं उनमें सर्वाधिक श्रीफल देने वाला नाम राम का ही है। राम नाम सबसे सरल और सुरक्षित है और इसके जप से लक्ष्य की प्राप्ति निश्चित रूप से होती है।
मनुष्य को मोक्ष दिलाने वाली है तुलसी : अशोक दास जी
श्री 1008 मानस रत्न श्री अशोक दास जी रामायणी ब्रह्मचारी जी अयोध्या धाम द्वारा हेलीपैड ग्राउंड पर चल रही श्री राम कथा के द्वितीय दिवस पर तुलसी की अपार महिमा के बारे कथा श्रवण कर रहे श्रद्धालुओं को बताया कि तुलसी की महिमा के स्कंद पुराण पदमपुराण में ब्रह्म व्यर्थ पुराण सहित कई धर्म शास्त्रों के साथ सनातन समाज के अनेकों धर्म ग्रंथों में तुलसी की अपार महिमा के बारे में बताया गया। तुलसी की महिमा अद्भुत है
मनुष्य को मोक्ष दिलाने वाली है तुलसी बगैर तुलसी दल के भगवान भी भोग ग्रहण नहीं करते। तुलसी की महिमा अद्भुत है जो व्यक्ति स्नान करते समय अपने शरीर पर तुलसीदल की माला पहनता है या एक भी तुलसी का दाना भी धारण करता है उसको छूकर स्नान करता है तो उस मनुष्य को हजारों तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है। कहां तक कहे तुलसी धारण करके मनुष्य भगवान का प्रसाद पाता है तो उसे अश्वमेध यज्ञ का पुण्य प्राप्त होता है तुलसी की सूखी लकड़ी से जो हवन में एक एक चावल एक एक जौ एक एक तिल से आहुति देता है उस सैकड़ों यज्ञ का पुण्य प्राप्त होता है। तुलसी कास्ट की अग्नि में ही भगवान नाम उच्चारण पूर्वक भगवान का प्रसाद तैयार करें रसोई तैयार करके भगवान को भोग लगावे उससे भगवान की अक्षय तृप्ति हो जाती है। ऐसा पुराणों में लिखा हुआ है तुलसी दल के बिना भगवान भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
ग्रस्त जीवन यापन करने वाले परिवारों को भी तुलसी दल से भगवान को भोग लगाकर फिर भोजन ग्रहण करना चाहिए। लहसुन प्याज का भगवान कभी भोग ग्रहण नहीं करते हैं मनुष्यों को भी लहसुन प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए यह तामसी भोजन है। शास्त्रों में इतना तक उल्लेख आया है कि जो व्यक्ति लेसन या प्याज खाता और उसकी मृत्यु 15 दिवस के भीतर हो जाती है तो वह नरक का गामी ही होता है उसे नर्क प्राप्त होता है चाहे वह कितना ही सत्कर्म करने वाला मनुष्य क्यों ना हो।

