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गिरफ्तार व्यक्ति को बन्ध पत्र पर कब छोड़ा जाता है जानिए/CRPC..

संकलन :- बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

अगर पुलिस अधिकारी द्वारा कोई गिरफ्तारी अवैध पाई जाती है तो आरोपित व्यक्ति को न तो कोई बंधपत्र देने की आवश्यकता है न ही जमानत लेने की उसे बिना जमानत एवं बन्ध पत्र पर छोड़ा जा सकता है। लेकिन हमारी दण्ड संहिता में कुछ अपराध जमानतीय एवं कुछ अजमानतीय होते हैं। जमानतीय अपराध को पुलिस आरोपी से स्वयं के बंधपत्र लेकर या जमानतदार के द्वारा जमानत पत्र पर छोड़ दिया जाता है। लेकिन अजमानतीय अपराध में आरोपी को स्वयं के बंधपत्र एवं जमानत पत्र पर नहीं छोड़ा जाता है, उसके लिए मजिस्ट्रेट के आदेश द्वारा आरोपी को मुक्त किया जाएगा।

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 59 की परिभाषा:-

पुलिस थाना अधिकारी किसी भी व्यक्ति को जमानतीय अपराध में उसके स्वंय बन्धपत्र (मुचलके) के नियमों के अनुसार मुक्त कर सकते हैं या किसी जमानतदार द्वारा आरोपी व्यक्ति की ज़मानत लेकर छोड़ दिया जाएगा। अगर कोई अपराध अजमानतीय है तब मजिस्ट्रेट के आदेश द्वारा आरोपी को जमानत पर छोड़ दिया जाएगा।
आरोपी व्यक्ति को बंदी या कैदी नहीं कहा जा सकता है उसे जमानत लेने का अधिकार होता है:-
★एस. संत सिंह बनाम सेक्रेटरी होम डिपार्टमेंट गवर्नमेंट ऑफ महाराष्ट्र★:- वाद में न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया कि भारतीय न्यायिक प्रणाली में निम्न मामलों में कोई व्यक्ति बंदी या कैदी कहलायेगा-
1. वह जेल में दोषसिद्ध के वाद बंदी है।

  1. वह विचारण से पूर्व बंदी है।
  2. जिनकी अपील लम्बित है।
  3. जिनकी जमानत का प्रार्थना पत्र उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया हो।
  4. जिनका अपराध किसी न्यायालय द्वारा सिद्ध कर दिया गया हो।
    ऐसे बन्दी व्यक्ति को जमानत पर नहीं पैरोल पर प्राधिकृत अधिकारी द्वारा छोड़ा जा सकता है।

उपरोक्त लेख संकलनकर्ता के अपने निजी ज्ञान एवं विवेक पर प्रसारित किया गया है पाठक अपने उचित माध्य्म एवं विवेक का उपयोग करे। मृगांचल एक्सप्रेस लेख से सम्बधिक किसी भी प्रकार के कानूनी वाद विवाद एवं आपत्ति के लिए उत्तरदायी नही होगा।

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