हिंदुस्तान का दिल देखो: अब भोपाल के पास बनेगा देश का पहला रॉक शेल्टर कॉरिडोर, रायसेन जिले में भी पहाड़ों में रॉक शेल्टर
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन। इन दिनों राज्य पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से सर्वे कराया जा रहा है । इस रूट में बैरसिया, विदिशा, रायसेन और सीहोर भी शामिल। राजधानी भोपाल उसके आसपास पाषाणयुगीन शैलचित्र (रॉक शेल्टर) मौजूद हैं। ये करीब एक दर्जन स्थानों से ज्यादा हैं। इन्हें राज्य पुरातत्व विभाग सुरक्षित एवं संरक्षित करेगा। ताकि नई पीढ़ी इनके बारे में जान सके। इसके लिए कॉरिडोर डेवलप कराया जाएगा। इसमें रायसेन जिले के देवरी, नीलगढ, शंकरगढ़ के पहाड़ियों सहित सदालतपुर, खनपुरा घाटला, गोपीसुर, सेहतगंज, भीम बैठिका, पेनगंवा, कठौतिया, गोंडीपुरा आदि हैं।इसके अलावा राजधानी भोपाल के आसपास कोलार, इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय, दुपाड़िया गेट के पास, हलालपुरा और लालघाटी साइट शामिल हैं। वहीं, अब नई साइट में बैरसिया, विदिशा, रायसेन और सीहोर को शामिल किया जाएगा। राज्य पुरातत्व अभिलेखागार इसके लिए एक सर्वे करा रहा है। भोपाल के साथ विदिशा और रायसेन में सर्वे हो गया है। अब सीहोर और राजगढ़ की कुछ साइट पर होना है।
विदिशा में मिली नई साइट..
भोपाल के साथ विदिशा में भी शैलचित्र वाले स्थानों को सुरक्षित बनाने के लिए सर्वे चल रहा है। इनमें निमखिरिया, अहमदपुर, उदयगिरी, धनोरा पठारी, कबोलपुरी, ग्यारसपुर मुख्य रूप से शामिल हैं। इनके अलावा नटेरन, हवेली पठारी में नई साइट मिली है, जहां शैलचित्र वाली गुफाएं हैं। उदयगिरी गुफाओं में अच्छी खासी संख्या में पर्यटक आने लगे हैं।
कुछ शैलचित्र बर्बाद….
सर्वेक्षण के दौरान टीम को शहर में करीब चार साइट काफी अच्छी हालत में मिली हैं। लेकिन लाल घाटी और गुफा मंदिर साइट पर बने शैल चित्र अब पूरी तरह बर्बाद हो गए।
भोपाल-विदिशा में दोवारा सर्वे….
सर्वे के दौरान पता चला कि देखरेख के अभाव में कुछ स्थानों पर बने शैलचित्र नष्ट हो गए हैं। इस बात से चिंतित राज्य पुरातत्व अभिलेखागार की तरफ से भोपाल और विदिशा में दोबारा सर्वे करवाया जा रहा है। इसके पीछे दो मकसद है। पहला, पुरानी जगहों की भौतिक स्थिति का पता चल सके। दूसरा, इन्हें सुरक्षित करने का इंतजाम हो सके।
कॉरिडोर बनाकर करेंगे सुरक्षित
भोपाल, रायसेन के आसपास बड़ी संख्या में शैलचित्र हैं। इन्हें संरक्षित करने एक कॉरिडोर बनाएंगे।ताकि लोग एक के बाद दूसरे शैलचित्र तक पहुंचकर उनके बारे में जान समझ सके। अभी भीम बैठिका को छोड़ दें तो नई पीढ़ी बाकी स्थानों से एकदम अंजान है। डॉ. रमेश यादव, आर्किलोजिकल ऑफिसर, राज्य पुरातत्व अभिलेखागार
दिवाली पर्व के बाद और तलाशेंगे….
भोपाल के आसपास हम सर्वे कर रहे हैं। इस दौरान कई नई साइट मिली हैं। इनमें कुछ तो बेहद खास हैं। दिवाली के बाद हम और नई साइट तलाश करेंगे। -अहमद अली, टेक्निकल असिस्टेंट, पुरातत्व