मध्य प्रदेश

फर्जी जाॅबकार्ड पर इंजीनियरों की मेहरबानी, मशीनों से काम

रिपोर्टर : शुभम साहू, सिलवानी।

सिलवानी। मनरेगा के तहत विकासखंड में हो रहे करोड़ों रूपए के कई कार्यों पर मजदूर भले ही नजर न आ रहे हों, लेकिन मशीनों से हो रहे इस काम को पूरा कराने में जिम्मेदार इंजीनियरों का बड़ा हाथ है। जो इन कार्यों की माॅनिटरिंग करने के साथ ही मूल्यांकन करते हैं, लेकिन इस मूल्यांकन को जमीन पर न करते हुए कागजों पर ज्यादा किया जा रहा है। सवाल उठता है कि 10 प्रतिशत कामों को अधिकारी भी जाकर देखते हैं लेकिन विकासखंड की यदि बात करें तो जिम्मेदार अधिकारियों को यह भी नहीं पता कि किस जगह काम चल रहे है और कहां काम नहीं हो रहा है।
पंचायत में फर्जीवाडे़ की हद पार

प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा मार्च महीने में पूरे प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू लगाया गया था। यह ऐसा समय था जब लोगों को घर से किसी को भी निकलने की इजाजत नहीं थी, लेकिन कई ग्राम पंचायतों में इस दौरान भी मजदूरों द्वारा काम होना बताया है। लेकिन जिम्मेदार आंख बंद करके इस भुगतान को जारी करते जा रहे है। जो इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि कहीं न कहीं इस गड़बड़ी में अधिकारियों का भी संरक्षण है।
ग्राम पंचायत में मस्टरोलों से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि कोरोना काॅल में जनता कर्फ्यू के दौरान खेत तालाब निर्माण कार्य में 50 मजदूर कार्य कर रहे है। तब सोशल डिस्टेंस का पालन किस तरह हुआ होगा? दरअसल कार्य तो मशीनों से हुआ है, और भुगतान मजदूरों के खाते में हुआ है। ग्राम पंचायत मशीनों से कार्य होने से इंकार कर रही है तो फिर ग्राम पंचायत के विरूद्ध लाॅक डाउन के उल्लंघन का प्रकरण बनता है। इस अवधि में कई ग्रामो में कई लोग कोरोना पाॅजिटिव थे, फिर मजदूरों ने किस तरह कार्य किया? ऐसे कई सवाल है जिनका जबाब ग्राम पंचायत के सचिव, रोजगार, सरपंच के पास और ना ही जनपद पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों के पास है।
जनपद पंचायत सिलवानी की ग्राम पंचायतों की स्वतंत्र एजेंसी जांच कराई जाये तो कई कारनामे उजागर हो सकते है। इन निर्माण कार्यों में बड़े घर के लोग भी मस्टरोल में कार्य करते मिल जायेंगे।
नहीं पहुंचे जांच करने
पंचायतों में इस भीषण गर्मी के बीच भी मजदूरी चढ़ा रहे पंचायत प्रतिनिधियों को लेकर विभाग द्वारा कोई सुध नहीं ली जा रही है। खबर के माध्यम से मामले को लेकर प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराया गया है। लेकिन एक भी अधिकारी पंचायतों में नहीं पहुंचे।

इस संबंध में जनपद पंचायत सिलवानी मनरेगा के सहायक यंत्री सुशील कुमार गोयल का कहना है कि शासन से कोरोना काॅल में मजदूरों को अधिक से अधिक कार्य देने के निर्देश प्राप्त हुये थे। हर कार्य की जानकारी मैं नहीं दे सकता है इसके लिए ग्राम पंचायत के रोजगार सचिव एवं पंचायत सचिव ही दे सकता है। कोरोना काॅल में निर्माण कार्यों में इतनी लेबर कैसे कार्य कर रही है इसका कोई जबाब नहीं दे सके।

इस सम्बंध में पूर्व लोक निर्माण मंत्री एवं विधायक रामपालसिंह राजपूत का कहना है कि मनरेगा योजना शासन ने लोगों को रोजगार प्रदाय करने के लिए बनाई है, हमारे देश के प्रधानमंत्री और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जी खोलकर पैसा दिया जा रहा है । सरकार ने लॉक डाउन में मजदूरों के लिये कई काम शुरू किए जिससे वह आर्थिक समस्या से नही जूझे। स्वास्थ्य सेवा के लिये भी भरपूर राशि दी है। एक ओर जहां गांव का विकास हो दूसरी ओर गांव के लोगों को रोजगार मिले। अगर मशीन के द्वारा कार्य कराया जा रहा है, यह गलत है। इसकी जांच कराई जाएगी।
इस संबंध में कलेक्टर उमाशंकर भार्गव का कहना है कि आपके द्वारा मामले की जानकारी मिली है। एक दल बनाकर जांच कराई जावेगी। दोषियों पर कार्यवाही की जाएगी।

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